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Farrey Movie Review: अभिनय में पास अलीजे अग्निहोत्री, पर मैसेज देने में चूकी सौमेंद्र पाढी की 'फर्रे'

Farrey Movie Review अलीजे सलमान खान की बहन अलविरा और अतुल अग्निहोत्री की बेटी हैं। अतुल खुद बॉलीवुड एक्टर रहे हैं। नब्बे के दौर में उन्होंने कई फिल्मों में लीड या सेकंड लीड किरदार निभाये हैं। उन्होंने फिल्मों का निर्देशन भी किया है। अब बेटी का फिल्म करियर फर्रे के साथ शुरू हुआ है जो एक थाई फिल्म का आधिकारिक रीमेक है।

By Jagran NewsEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 24 Nov 2023 03:21 PM (IST)
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फर्रे थिएटर्स में रिलीज हो गयी है। फोटो- फिल्म टीम

प्रियंका सिंह, मुंबई। विदेशी फिल्मों का भारतीय संस्करण बनाने में जोखिम तो रहता है। कई बार मूल फिल्म के मुकाबले अडेप्ट की हुई कहानी कमजोर पड़ जाती है। हालांकि, थाई (थाईलैंड की) फिल्म बैड जीनियस की आधिकारिक भारतीय रीमेक फर्रे कुछ कमियों के साथ अभिनय के दम पर ठीकठाक फिल्म साबित होती है।

क्या है फर्रे की कहानी?

कहानी शुरू होती है दिल्ली के अनाथालय में पली-बढ़ी लड़की नियति (अलीजे) के साथ, जो एक परीक्षा में हॉल टिकट पर अपनी तस्वीर लगाकर उस लड़की की परीक्षाएं दे रही है, जिसे वह ट्यूशन पढ़ाती है। अनाथालय के वार्डन (रोनित रॉय) को वहां की सभी लड़कियां पापा कहकर बुलाती हैं।

वार्डन की पत्नी जोया (जूही बब्बर) भी बच्चियों के लिए किसी मां से कम नहीं है। नियति दसवीं की परीक्षा में आल इंडिया टाप करती है, जिसकी वजह से उसे इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन मिलता है। वहां अमीर बच्चों के बीच नियति पहले तो असहज महसूस करती है, लेकिन जल्द ही सबसे उसकी दोस्ती हो जाती है।

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एक परीक्षा में नियति बिजनेसमैन की बेटी छवि (प्रसन्ना बिष्ट) की मदद करती है। छवि और उसके दोस्त प्रतीक (जेन शॉ) को लगता है कि नियति उन्हें नकल कराकर आसानी से पास करवा सकती है। वह नियति को इस काम के लिए पैसे आफर करते हैं। अपने हालात को देखकर नियति वह ऑफर ले लेती है।

अच्छे नंबर पाकर आकाश (साहिल मेहता) को भी वहां एडमिशन मिला जाता है। हालांकि, वह अमीर बच्चों के साथ घुलमिल नहीं पाता। नियति और आकाश को स्कूल से विदेशी यूनिवर्सिटी के लिए स्कॉलरशिप का मौका मिलता है। क्या दोनों स्कॉलरशिप लेकर आगे जा पाएंगे या नकल कराने की नियति की चालाकी पकड़ी जाएगी?कहानी इस पर तेजी से आगे बढ़ती है।

कैसा है फिल्म का स्क्रीनप्ले और अलीजे का अभिनय?

इस फिल्म की सबसे खास बात यही है कि फिल्म में कहीं पर भी समय की बर्बादी नहीं की गई है। बिना वजह का कोई प्रेम प्रसंग नहीं है। बुधिया सिंह बॉर्न टू रन फिल्म और 'जामताड़ा- सबका नंबर आएगा' वेब सीरीज का निर्देशन कर चुके सौमेंद्र पाढी ने फिल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद अभिषेक यादव के साथ मिलकर लिखे हैं।

सौमेंद्र की पकड़ निर्देशन पर तो मजबूत दिखती है, लेकिन लेखन के स्तर पर कमजोर हो जाती है। जो सबसे बड़ी कमी है, वो है नकल करने या करवाने के बाद मिलने वाले सबक की। नियति और आकाश का ऑस्ट्रेलिया जाकर पेपर लिखकर नकल करवाने वाला प्रसंग अपच है।

छवि और प्रतीक का नकल करके आसानी से बच जाना गलत लगता है, जबकि सौमेंद्र के पास एक सीन में जगह थी, जहां वह उन्हें सबक सीखा सकते थे। फिल्म का क्लाइमेक्स भी जल्दबाजी में खत्म किया गया है। फिल्म में उन लड़कियों का भी जिक्र है, जिन्हें 18 साल की होने के बाद अनाथालय से दूसरे जगह स्थानांतरित किया जाता है।

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एक-दो सीन में वहां के हालात का जिक्र है, लेकिन आगे उस पर कोई बात नहीं की गई है। ऐसे में इन बातों का जिक्र बेमानी लगता है। नकल करने के लिए विद्यार्थियों का मास्टरमाइंड की तरह सोचना, हजम नहीं होता है।

अभिनय की बात करें तो अभिनेता सलमान खान की भांजी और अतुल अग्निहोत्री-अलविरा की बेटी अलीजे को देखकर लगता है कि वह पूरी तैयारी के साथ अभिनय के क्षेत्र में उतरी हैं।

चालाकी से नकल करवाने वाले दृश्य हों या नकल करवाने के बाद का डर और अपराधबोध, हर फ्रेम में अलीजे को पूरे नंबर दिए जा सकते हैं। अलीजे का साथ इसमें साहिल मेहता, जेन शाह और प्रसन्ना बिष्ट ने दिया है। रोनित रॉय और जूही बब्बर अपना अनुभव दिखाते हैं। सुनिधि चौहान का गाया मचा दे तबाही और एमसी स्टैन, सचिन-जिगर, मानूनी देसाई का गाया टाइटल ट्रैक फर्रे कहानी के साथ मेल खाता है।