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Farzi Review: नकली नोटों की कहानी में शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की असली अदाकारी, पढ़िए

Farzi Web Series Review शाहिद कपूर और विजय सेतुपति के बीच चूहे-बिल्ली का खेल दिलचस्प है। केके मेनन बिल्कुल अलग रंग में दिखते हैं। द फैमिली मैन के बाद राज एंड डीके एक और दिलचस्प सीरीज लेकर आये हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 10 Feb 2023 03:02 PM (IST)
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Farzi Web Series Review Shahid Kapoor Vijay Sethupathi. Photo- Instagram
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली Farzi Web Series Review Shahid Kapoor Debuts: 2016 में सरकार ने नोटबंदी का एलान किया था, जिसके तहत एक हजार का नोट बंद कर दिया गया था। 500 और 2000 रुपये के नये नोट जारी किये गये थे। मकसद था ब्लैक मनी को नियंत्रित करना। नये नोटों को लेकर तमाम तरह के दावे किये गये थे।

इनकी डिजाइनिंग ऐसी रखी गयी थी कि इसका जाली बनाना लगभग असम्भव था। हालांकि, यह भ्रम ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और देश में जाली नोट पकड़े जाने की खबरें जोर पकड़ने लगी थीं। जाली नोटों के कारोबार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे पूरी तरह खत्म करना सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं के लिए भी मुश्किल हो गया है। 

प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई राज एंड डीके की वेब सीरीज फर्जी ऐसी ही खबरों से निकली एक कहानी है, जिसमें देश में जाली नोटों के जाल, इस काले कारोबार को लेकर राजनेताओं की सोच और मिलीभगत, आर्थिक असमानता और ईमानदार अफसरों की जिद और जुनून को दिखाया गया है। साथ ही सीरीज जाली नोटों के कारोबार की कड़ियों को बारीकी से दिखाती है।   

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Photo- Prime Video

सीरीज से शाहिद कपूर ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डेब्यू किया है। सीरीज की पूरी कल्पना उन्हीं के किरदार सनी यानी आर्टिस्ट को केंद्र में रखकर की गयी है। जाली नोटों के इस कारोबार का वो एक मामूली मोहरा होता है, मगर अपने दुर्लभ हुनर के चलते इस कारोबार की धुरी बन जाती है। यह सीरीज साउथ के लोकप्रिय कलाकार विजय सेतुपति का भी डिजिटल डेब्यू है। वहीं, राशि खन्ना की यह दूसरी हिंदी सीरीज है।

ओटीटी स्पेस में क्राइम पर आधारित वेब सीरीज और शोज की कमी नहीं है। मगर, ज्यादातर गैंगस्टर, बाहुबली, आतंकवाद, जासूसी और राजनीतिक भ्रष्टाचार के आसपास ही घूमती हैं। ऐसे में जाली नोटों के आर्थिक अपराध पर बनी फर्जी ओटीटी स्पेस के कंटेंट में एक नयापन लेकर आती है। फर्जी तेज रफ्तार थ्रिलर है, जिसमें बोझिल करने वाले लम्हे कम ही हैं। कहानी के कमजोर हिस्सों को स्क्रीनप्ले, अभिनय और संवादों के ह्यूमर ने संभाला है।

Photo- Prime Video

आर्टिस्ट के जाली नोटों के धंधे में उतरने की कहानी

सनी (शाहिद कपूर) एक पेंटर और स्केच आर्टिस्ट है। बेहद प्रतिभाशाली है। बारीकियों को देखने की जो नजर उसे मिली है, वो दुर्लभ है। अपना नाना माधव (अमोल पालेकर) के साथ उनकी प्रिंटिंग प्रेस में काम करता है। नाना और बचपन के दोस्त फिरोज (भुवन अरोड़ा) के अलावा उसका कोई नहीं है।

सनी का पिता चोर था, जो बचपन में उसे एक ट्रेन में छोड़कर चला जाता है। मासूम सनी अलग-अलग स्टेशंस पर पेंटिंग बनाता रहता है, इस उम्मीद में कि कहीं उसके पिता देख लें और उसे ले जाएं। मगर, पिता की मौत हो चुकी होती है। एक स्टेशन पर उसे नाना मिल जाते हैं, जो फिरोज को भी साथ ले आते हैं।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रह चुके नाना समाज में क्रांति लाना चाहते हैं, इसके लिए कर्ज लेकर भी क्रांति मैगजीन निकाल रहे हैं। बार-बार मोहलत के बाद भी कर्ज चुकता नहीं हो पाता। आर्थिक तंगी के कारण प्रेस बंद करने की नौबत आ जाती है। नाना की इस हालत को देखते हुए सनी अपने हुनर का इस्तेमाल करके जानी नोटों के धंधे में उतर जाता है। पहले जरूरत और मजबूरी में शुरू हुए इस खेल का चस्का सनी को लग जाता है और अपनी आर्थिक परेशानियों से निजात पाने का सहारा मिल जाता है।

Photo- Prime Video

लालच सही-गलत की सोच को खा जाता है। सनी की शोहरत जाली नोटों के कारोबार की बड़ी मछली मंसूर दलाल (केके मेनन) तक पहुंच जाती है। सनी उसके साथ काम करने लगता है। यह आर्टिस्ट ऐसा जाली नोट बनाता है, जिसे धनरक्षक मशीन भी नहीं पकड़ पाती। दोनों मिलकर 12000 करोड़ की नकली करेंसी को बाजार में उतारना चाहते हैं। यह मंसूर की जिंदगी का सबसे बड़ा दांव है, जो उसने न्यूकमर आर्टिस्ट पर लगा दिया है। मगर, माइकल वेदनायगम (विजय सेतुपति) के नेतृत्व में नवगठित सरकारी एजेंसी CCFART सनी और मंसूर के हर प्लान को पलीता लगाने के लिए तैयार है।

चोर पुलिस कहानी में जाली नोटों का ट्विस्ट

लगभग एक-एक घंटे के आठ एपिसोड्स में फैली कहानी का स्क्रीनप्ले निर्देशक जोड़ी राज निदीमोरु-कृष्णा डीके, सीता आर मेनन और सुमन कुमार ने लिखा है। हिंदी संवाद हुसैन दलाल और अतिरिक्त संवाद राघव दत्त ने लिखे हैं। साधारण चोर-पुलिस मार्का कहानी को जाली नोटो के धंधे की पृष्ठभूमि पर ह्यूमर और थ्रिल के साथ चुस्त स्क्रीनप्ले में ढालने का श्रेय लेखकों को जाता है। दृश्यों का संयोजन इसे दर्शनीय बनाता है। राज एंड डीके और उनकी टीम के लेखन में अंतर्निहित ह्यूमर सबसे बड़ी ताकत होती है, जो गो गोवा गोन से लेकर द फैमिली मैन सीरीज तक जारी है। 

फर्जी के स्क्रीनप्ले में सनी के नैरेशन को चुटीले अंदाज में इस्तेमाल किया गया है, जो अपनी कहानी सुना रहा है। पहले एपिसोड में सभी प्रमुख किरदारों का परिचय हो जाता है और फिर आगे के एपिसोड्स में कहानी की रवानगी के अनुसार वो आते-जाते रहते हैं।

फर्जी का स्क्रीनप्ले मुख्य रूप से सनी यानी आर्टिस्ट और माइकल के ट्रैक्स को साथ लेकर चलता है। एक तरफ सनी अपने हुनर का गलत इस्तेमाल करके नकली नोटों के धंधे में उतर रहा है तो दूसरी ओर माइकल जाली नोटों के कारोबारी मंसूर दलाल के पीछे पड़ा है। माइकल की हिट लिस्ट में सनी कहीं नहीं है। उसकी सारी कवायद मंसूर को पकड़ने के लिए ही है।

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शुरू के चार एपिसोड्स में अपनी जरूरत के लिए सनी को जाली नोटों के धंधे में उतरते दिखाया गया है और इस क्रम में जाली नोट बनाने के लिए जो पूरी प्रक्रिया दिखायी गयी है, वैसे दृश्य हिंदी सिनेमा में कम ही देखे गये हैं। कागज का इंतजाम, रंगों का मिश्रण, डिजाइन की बारिकियां, सेफ्टी स्ट्रिप के दृश्य रोमांच पैदा करते हैं। पांचवें एपिसोड में दर्शकों के लिए एक सुखद आश्चर्य तब सामने आता है, जब द फैमिली मैन वाले चेल्लम सर स्क्रीन पर आते हैं। यह किरदार कहानी को एक अहम मोड़ देता है। 

आगे के एपिसोड्स में माइकल, मंसूर और सनी के बीच चोर पुलिस का खेल जारी रहता है। जब उसका जाली नोट नहीं पकड़ा जाता तो सनी का हौसला बढ़ जाता है और वो बड़ा खेल खेलने लगता है। मंसूर के लिए वो 2000 रुपये का ऐसा जाली नोट बनाता है, जिससे फर्जी नोट पहचानने वाली मशीन तक नहीं पकड़ पाती। अब पुलिस को उस आर्टिस्ट की भी तलाश है।

मंसूर के लिए 12 हजार करोड़ को मार्केट मे उतारना आसान नहीं। पुलिस से आगे रहने के लिए मंसूर को पुलिस के बीच एक मुखबिर चाहिए। इसके लिए सनी आरबीआई की कर्मचारी और माइकल की टास्क फोर्स की मेंबर राशि खन्ना को फंसाता है। उसके मोबाइल में इंस्टाल किये गये स्पाइवेयर के जरिए उनके हर कदम को जान लेता है। सीरीज का क्लाइमैक्स थोड़ा फिल्मी हो गया है, जो मंसूर से सनी के बदले पर केंद्रित है। 

आर्थिक अपराधों के लिए सियासत में संजीदगी की कमी को मंत्री पवन गहलौत (जाकिर हुसैन) और सियासी मिलीभगत को एक पूर्व एमएलए के किरदार के जरिए बखूबी दिखाया गया है। फेक करेंसी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए टास्क फोर्स की मांग करते माइकल को देखकर ऐसा लगता है कि यह उसकी निजी जरूरत है। 

लुभाती है शाहिद-राशि की कैमिस्ट्री

सनी के किरदार में शाहिद कपूर ने नेचुरल रहने की पूरी कोशिश की है। उनकी वेशभूषा और हुलिया किरदार के चारित्रिक गुणों को सपोर्ट करता है। सनी आला दर्जे का पेंटर होने के साथ स्ट्रीट स्मार्ट है। शातिर अपराधी नहीं है। इसीलिए, सही-गलत के द्वंद्व में रहता है, भले ही दोस्त और पार्टनर फिरोज से सामने जाहिर नहीं करता। माइकल तेज-तर्रार, देश के लिए समर्पित और जुनूनी अधिकारी है, मगर पर्सनल लाइफ में फेल है। उसकी शादी टूटने की कगार पर है। बच्चे की कस्टडी के लिए केस चल रहा है।

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माइकल का यह प्लॉट घिसा-पिटा लगता है। रेजिना कैसेंड्रा ने माइकल की पत्नी रेखा राव का किरदार निभाया है, जिसका अफेयर चल रहा है। द फैमिली मैन में मनोज बाजपेयी के किरदार को भी ऐसी ही पारिवारिक उलझन से जूझता दिखाया गया था। हालांकि, अपराधी को पकड़ने के लिए हदों को तोड़ने वाले अफसर के किरदार में विजय प्रभावित करते हैं। इस किरदार का खाका भी काफी हद तक श्रीकांत तिवारी की लाइंस पर है।

आरबीआई अधिकारी और माइकल की टास्क फोर्स की मेंबर मेघा व्यास के किरदार में राशि खन्ना जमती हैं। सनी के साथ उनके दृश्य और बातचीत वास्तविकता के करीब लगती है। दोनों की कैमिस्ट्री लुभाती है। लेखकों ने दोनों के रोमांटिक ट्रैक को खींचने की कोशिश नहीं की है और इसे जरूरत के हिसाब से स्पेस दिया गया है। मंसूर दलाल के रोल में केके मेनन का लुक फंकी रखा गया है। ह्यूमरस है और शातिर भी। 

इन सबके बीच फिरोज के किरदार में भुवन अरोड़ा उभरकर आते हैं। दरअसल, यह ऐसा किरदार है, जो हर चीज में संतुलन रखने की कोशिश कर रहा है। सनी के साथ उसकी बॉन्डिंग और निस्वार्थ दोस्ती सीरीज का हाइलाइट है। यह कुछ उसी तरह है, जैसे द फैमिली मैन में श्रीकांत तिवारी और जेके होते हैं।  

कलाकार- शाहिद कपूर, विजय सेतुपति, केके मेनन, राशि खन्ना, अमोल पालेकर, भुवन अरोड़ा आदि।

निर्देशक- राज एंड डीके

प्लेटफॉर्म- प्राइम वीडियो

अवधि- लगभग एक घंटा प्रति एपिसोड। कुछ आठ एपिसोड्स।

रेटिंग- ***1/2

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