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Fighter Review: देशभक्ति के जज्बे से इमोशनल करती है ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की फिल्म, पढ़िए कहां चूकीं?

Fighter Review सिद्धार्थ आनंद निर्देशित फाइटर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस एक्शन एरियल फिल्म में ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण लीड रोल्स में हैं जबकि अनिल कपूर सहायक भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी पुलवामा अटैक के बाद की घटनाओं पर आधारित है। फिल्म देखने जाने से पहले पूरा रिव्यू यहां पढ़ें। क्या अच्छा है और क्या बुरा।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Thu, 25 Jan 2024 03:52 PM (IST)
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फाइटर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Fighter Movie Review: 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले से पूरा देश सन्‍न रह गया था। सिद्धार्थ आनंद निर्देशित फाइटर इस घटनाक्रम से प्रेरित है।

क्या है 'फाइटर' की कहानी?

कहानी के आरम्भ में ही एयरफोर्स में कार्यरत स्‍क्‍वॉड्रन लीडर शमशेर पठानिया उर्फ पैडी (ऋतिक रोशन) के साहस और जांबाजी का परिचय दे दिया जाता है। पाकिस्‍तान की ओर से बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों की वजह से सर्वेश्रेष्‍ठ एविएटर की टीम बनाई जाती है।

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उसमें पैडी के साथ मीनल राठौर (दीपिका पादुकोण), सरताज गिल (करण सिंह ग्रोवर), स्‍क्‍वॉड्रन लीडर बशीर खान (अक्षय ओबरॉय) समेत कई साहसी पायलट होते हैं। ग्रुप कैप्‍टन राकेश जय सिंह (अनिल कपूर) इस टीम को प्रशिक्षित करते हैं। इस दौरान पैडी की ओर मीनल आकर्षित होती है।

पैडी का अतीत है, जो उसे सालता है। उधर, आतंकी धमकी के बाद जम्‍मू में सीआरपीएफ के काफिला पर हमले में सत्‍तर भारतीय जवान बलिदान हो जाते हैं। इस हमले का मास्‍टरमाइंड जैश-ए-मुहम्‍मद का आतंकी अजहर अख्‍तर (ऋषभ रवींद्र) होता है।

इस घटना से आहत भारतीय वायुसेना जवाबी कारवाई का फैसला करती है। वह सीमा पार जैश के ठिकानों पर हवाई हमला करती है। इस दौरान पैडी का खास दोस्‍त ताज और एक साथी पाकिस्‍तानी सरहद में पहुंच जाते हैं और पकड़े जाते हैं।

इस आपरेशन के दौरान पैडी की गलतियों की वजह से उसे हैदराबाद भेज दिया जाता है। दोनों पायलटों की रिहाई को लेकर वायुसेना क्‍या कार्रवाई करती है? क्‍या वायुसेना पैडी को उन्‍हें सुरक्षित वापस लाने की अनुमति देगी? कहानी इसी के बारे में है।

कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?

बैंग बैंग, वॉर के बाद फाइटर ऋतिक के साथ निर्देशक सिद्धार्थ की तीसरी फिल्‍म है। सिद्धार्थ ने असली घटना को काल्‍पनिक प्रसंगों और किरदारों के साथ नयी तकनीक और प्रस्तुति दे दी है। उनका पूरा जोर फिल्म के कुछ प्रसंगों और घटनाओं को प्रभावपूर्ण बनाने पर रहा है।

इंटरवल के बाद फिल्म का तारतम्य टूटता है। हालांकि, यह उनकी पिछली फिल्‍म पठान से बेहतर फिल्‍म है। आतंकी हमले के बाद भारतीय एयरफोर्स की जवाबी कार्रवाई को लेकर तैयारी, आसमान में कलाबाजी करते फाइटर विमान, दुश्‍मन के साथ उनकी तकरार, जमीन पर वायुसेना की ग्राउंड टीम की तत्‍परता को स्‍क्रीन पर देखना अच्‍छा लगता है।

वायुसेना को केंद्र में रखकर बनी कई देसी-विदेशी फिल्‍मों में ऐसे दृश्‍य पहले भी दर्शाए जा चुके हैं। फिल्‍म में दुश्‍मन के साथ जंग के दौरान लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को मीनल के पात्र के जरिए उठाया गया है। मीनल के पिता का मानना होता है कि एयरफोर्स लड़कियों के लिए नहीं है। वह मुद्दा बहुत ठोस नहीं बन पाया है।

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कहां चूकी ऋतिक रोशन की फिल्म?

बहरहाल, पड़ोसी मुल्‍क के साथ जंग हो या आतंकवाद को लेकर मुंहतोड़ जवाब, इन प्रसंगों में अगर खलनायक दमदार ना हो तो फिल्‍म थोड़ी फीकी हो जाती है। यहां पर भी यही कमी खलती है।

अजहर को जितना खूंखार संवादों में बताया गया है, उतना वो  पर्दे स्थापित नहीं हो पाया है। इंटरवल के बाद ताज को छ़ुड़ाने के घटनाक्रम में कसाव की कमी थी। फिल्‍म में पैडी की जाबांजी पहले ही दृश्‍य से स्‍थापित कर दी गई थी। ऐसे में हैदराबाद में तैनाती के दौरान एक युवा महिला पायलट का अपना संतुलन खोने का सीन अनावश्‍यक लगा।

बहरहाल, वायुसेना की वर्दी में ऋतिक जंचते हैं। उन्‍हें यहां पर एक्‍शन, रोमांस और देशभक्ति का जज्‍बा दिखाने का भरपूर मौका मिला है। उसे उन्‍होंने पूरी शिद्दत के साथ जीया है। दीपिका पादुकोण के साथ उनकी केमिस्‍ट्री अच्‍छी लगी है।

लेखन स्‍तर पर कमजोर होने के बावजूद खलनायक की भूमिका में नवोदित कलाकार ऋषभ रवींद्र साहनी अपनी प्रतिभा दर्शाते हैं। सहयोगी भूमिका में आए करण सिंह ग्रोवर, महेश शेट्टी अपने किरदारों के साथ न्‍याय करते हैं। यह फिल्‍म भारतीय वायुसेना के जज्‍बे और साहसी और शौर्यगाथा को दिखाती है। उसे सलाम।

अवधि: 2 घंटा 47 मिनट।