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Freddy Movie Review: कार्तिक आर्यन ने किया प्यार का सफल पंचनामा, प्रेडिक्टेबल कहानी से हुआ रोमांच का मर्डर

Freddy Movie Review In Hindi फ्रेडी डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो चुकी है। फिल्म में कार्तिक आर्यन एक डेंटिस्ट के किरदार में हैं। अलाया एफ फीमेल लीड रोल निभा रही हैं। फिल्म में कार्तिक आर्यन ने अपनी अदाकारी से प्रभावित किया है।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Fri, 02 Dec 2022 01:00 PM (IST)
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freddy review Kartik Aaaryan film on OTT. Photo- Instagram
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। Freddy Review In Hindi: कार्तिक आर्यन का करियर प्यार का पंचनामा से शुरू हुआ और उन्होंने अपनी ज्यादातर फिल्मों में अपनी इसी छवि को दोहराया। अपने ही इमेज में कैद हुए कार्तिक आर्यन की अभिनय क्षमता को लेकर काफी वक्त से सवाल उठाये जाने लगे, फ्रेडी ऐसे सभी सवालों का जवाब है। एक्टर ने अपने अभिनय का गियर पूरी तरह बदल दिया है, जिसके जरिए करियर की गाड़ी को एक अलग मोड़ दिया है। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो चुकी फ्रेडी एक दिलचस्प थ्रिलर है, मगर मुकम्मल नहीं। इसकी अपनी खामियां हैं, मगर सबसे बड़ी खूबी कार्तिक हैं।

फ्रेडी को हल्के में मत लेना!

मुंबई के उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मा, पला-बढ़ा फ्रेडी जिनवाला दांतों का डॉक्टर है। क्लीनिक में मरीजों की लाइन लगी रहती है। तीस की दहलीज पर खड़ा है, पर अकेला है। शादी तो दूर की बात, डेट करने के भी लाले हैं। लड़की सामने आती है तो आत्मविश्वास डोल जाता है। जुबान लड़खड़ाने लगती है। घुटनों में कंपकंपी होने लगती है। इसीलिए, पांच सालों से मेट्रिमोनियल साइट पर प्रोफाइल बना होने के बावूजद अकेला है।

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फ्रेडी सहमा-सा, संकोची और एकाकी क्यों है, इसके पीछे बचपन की एक मार्मिक घटना है, जिससे फ्रेडी की पर्सनैलिटी का पूरा खाका ही बिगड़ गया। मगर... रुकिए! अगर फ्रेडी की इस शख्सियत को आप सच मान रहे हैं और सोच रहे हैं कि उसके साथ कुछ भी करके निकल जाएंगे तो यह आपके जीवन की आखिरी गलती साबित हो सकती है। कायनाज ईरानी ने भी यही भूल कर दी...! 

कायनाज ईरानी। खूबसूरत पारसी लड़की। रेस्टॉरेंट मालिक रुस्तम की पत्नी। एक पार्टी में फ्रेडी को मिलती है। कायनाज के साथ दुनिया बसाने का सपना यह पता चलते ही चकनाचूर हो जाता है कि वो शादीशुदा है। मगर, फ्रेडी पहली नजर में ही कायनाज को अपनी कायनात मान चुका है और यह पता चलने पर कि साफदिल कायनाज घरेलू हिंसा की मारी भी है तो फ्रेडी किसी भी हद तक जाकर उसकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है। यह हद रुस्तम के कत्ल तक भी जा सकती है...!

अपने लिए फ्रेडी की दीवानगी में कायनाज को जालिम पति से छुटकारा पाने का रास्ता नजर आता है। दब्बू दिखने वाला फ्रेडी कायनाज को पाने के लिए रुस्तम के कत्ल की फूलप्रूफ साजिश रचता है और अंजाम देता है। मगर, सब कुछ निपटाने के बाद जब कायनाज को अपनाने के लिए उसके घर पहुंचता है तो पता चलता है कि कायनाज भी वो नहीं, जो दिखती है। वो तो पहले ही एक ब्वॉयफ्रेंड के आगोश में बैठी है। फ्रेडी टूट जाता है। ब्वॉयफ्रेंड के हाथों पिटता भी है। कायनाज को समझने में फ्रेडी ने भी भूल कर दी...!

इसके बाद शुरू होता है- प्रेम और भरोसे में चोट खाये फ्रेडी और अपने दिल में साजिशों का संसार छिपाए बैठी कायनाज के बीच बदले का माइंड गेम। फ्रेडी कायनाज से कैसे बदला लेता है, कायनाज कैसे पलटवार करती है, कहानी का अंजाम क्या होता है, यह सब यहां बताना ठीक नहीं। 

मजबूत किरदार, कमजोर कहानी

शशांक घोष के निर्देशन में बनी फ्रेडी मुख्य रूप से इन्हीं दोनों किरदारों के बीच प्रेम, प्रपंच, फरेब और बदले की कहानी है। मगर, कहानी जिस तरह से दिखायी गयी है, वो टुकड़ों में असर छोड़ती है। एक-दो ट्विस्ट्स को छोड़ दें तो स्क्रीप्ले बिल्कुल सपाट है। फ्रेडी और कायनाज के बीच सीधे-सीधे चलता है। काफी हद तक प्रेडिक्टेबल भी है। जहां सस्पेंस की गुंजाइश होती है, वहां भी लेखन में आलस नजर आता है।

कुछ घटनाक्रम ऐसे हैं, जिनके जरिए बेहतरीन सस्पेंस क्रिएट किया जा सकता था। मसलन, कायनाज की असलियत खुलने वाला दृश्य फ्रेडी का सबसे अहम बिंदु है, क्योंकि यहीं से फ्रेडी और कायनाज के किरदार एक अलग रंग दिखाना शुरू करते हैं, मगर इस दृश्य को देखते हुए कोई शॉक नहीं लगता और यह कथ्य के बहाव में यूं ही बह जाता है। 

रुस्तम की मौत के पुलिस इनवेस्टिगेशन को बेहद हल्के ढंग से दिखाया गया है। एक समय ऐसा आता है, जब स्क्रीनप्ले में प्लॉट्स देखकर लगता है कि वो अपनी सुविधा के हिसाब से कहानी को आगे धकेलने के लिए गढ़े गये हैं, ताकि लेखक जहां फिल्म को पहुंचाना चाहता है, वहां पहुंच जाए। मतलब निकलने के बाद प्रेमी को दूध में मक्खी की तरह निकालकर फेंक देने और फिर प्रेमी के बदला लेने का कथ्य हिंदी फिल्मों के लिए नया नहीं है। फिदा जैसी फिल्मों में यह दिखाया जा चुका है।

कार्तिक के कंधों पर फ्रेडी

कार्तिक आर्यन का अभिनय फ्रेडी का सबसे मजबूत पक्ष है। थ्रिल के मोर्चे पर कमजोर कहानी को उन्होंने अकेले संभाला है। फ्रेडी के किरदार में कार्तिक ने उस खांचे को तोड़ने में कामयाबी हासिल की है, जिसकी शुरुआत धमाका के साथ कर दी थी। इस खांचे में सिर्फ लवर ब्वॉय कार्तिक नजर आता था। फ्रेडी को पेश करने के लिए कार्तिक ने जो शारीरिक भाषा पकड़ी है और उसे पकड़कर रखा है, जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है।

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वजन बढ़ाया है। चलने-बैठने के ढंग को बदला है। चेहरे पर निरंतर हीनता का भाव और आत्मविश्वास की कमी लेकर चलना आसान नहीं होता। कार्तिक इसमें सफल रहे हैं। बस, पारसी उच्चारण के मामले में मात खा गये। कार्तिक की संवाद अदायगी से फ्रेडी के पारसी होने का एहसास नहीं होता। मगर, इस कमी को उन्होंने अपनी भावाभिव्यक्ति से ढक दिया है। फ्रेडी का किरदार उसके पालतू कछुए की तरह ही है, जो शर्मीला है और लोगों को देखते ही अपने कठोर खोल में छिप जाता है।

भूल भुलैया 2 के अतरंगी किरदार के बाद कार्तिक को फ्रेडी के रूप में देखना शॉक करता है। यह फिल्म कार्तिक की अदाकारी की क्षमता का शोकेस कही जा सकती है। कायनाज ईरानी के रोल में अलाया ने उनका साथ देने की कोशिश की है, मगर इस किरदार के लिए जो नफरत, मक्कारी और शातिरपन चाहिए था, वो अलाया के चेहरे पर खुलकर नहीं उभरता। क्लाइमैक्स के रोमांच को बढ़ाया जा सकता था। लेखन में कमियों के बावजूद फ्रेडी बोर नहीं करती। फ्रेडी सीमित किरदारों वाली फिल्म है। ऐसी फिल्मों का सबसे अहम पक्ष अभिनय और घटनाक्रम ही होते हैं। निर्देशन की बात करें तो शशांक घोष ने कलाकारों को किरदारों के दायरे में रखा है और दृश्यों को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है। 

कलाकार- कार्तिक आर्यन, अलाया एफ आदि।

निर्देशक- शशांक घोष

निर्माता- एकता कपूर

प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

अवधि- 2 घंटा 3 मिनट

स्टार- **1/2

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