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Gaslight Movie Review: 'अतरंगी रे' और 'केदारनाथ' के बीच अटकीं सारा अली खान, मंद पड़ी 'गैसलाइट' की रोशनी

Gaslight Movie Review ओटीटी पर सीधे रिलीज होने वाली सारा अली खान की यह तीसरी फिल्म है। पहली बार उन्होंने थ्रिलर जॉनर को आजमाया है। फिल्म का निर्देशन पवन कृपलानी ने किया है जो थ्रिलर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 31 Mar 2023 01:31 PM (IST)
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Gaslight Movie Review Sara Ali Khan Chitrangada Singh Vikrant Massey. Photo- Instagram
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। 2018 में 'केदारनाथ' से डेब्यू के बाद चार साल से ज्यादा फिल्म इंडस्ट्री में गुजार चुकी सारा अली खान की 'गैसलाइट' तीसरी फिल्म है, जो सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है। 2020 में कोरोना वायरस पैनडेमिक के दौरान 'कुली नम्बर वन' प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई थी और फिर 2021 में 'अतरंगी रे' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आयी। 'गैसलाइट' भी डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर शुक्रवार को स्ट्रीम कर दी गयी।

'कुली नम्बर वन' जहां रोमांटिक कॉमेडी फिल्म थी, वहीं 'अतरंगी रे' रोमांटिक ड्रामा। 'गैसलाइट' इन दोनों से अलग मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म है। अगर फिल्मों के चुनाव की बात करें तो ओटीटी पर सारा की तीनों फिल्में अलग मिजाज की हैं, जहां उनके किरदार भी बिल्कुल अलग हैं।

सारा ने इन किरदारों में खुद को साबित करने की भरपूर कोशिश भी की है। मगर, सारा की कोशिश भी क्या करे, जब फिल्मों की कथा-पटकथा की चूलें ही हिली हुई हों। 

क्या है गैसलाइट की कहानी?

'गैसलाइट' शब्द का अर्थ इसकी कहानी का मर्म है। फिल्म में सारा अली खान एक राजकुमारी के किरदार में हैं, जिसका नाम मीशा है। मीशा शारीरिक रूप से अक्षम (Paraplegic) है। व्हीलचेयर उसका सहारा है। बचपन की एक घटना के बाद मीशा की अपने पिता रतन सिंह गायकवाड़ (शतफ अहमद फिगार) से बिल्कुल नहीं बनती।

वो विदेश में रहती है और 15 सालों बाद पिता से अपने संबंधों को सुधारने के लिए मायागढ़ महल में वापसी आती है, मगर लौटने पर उसे पता चलता है कि पिता गायब हो गये हैं। सौतेमी मां रुक्मिणी (चित्रांगदा सिंह) और विश्वासपात्र कर्मचारी कपिल (कपिल) को भी नहीं पता होता कि वो कहां हैं। उसका कहना है कि वो रतन सिंह की निजी जिंदगी की जानकारी नहीं रखता।

मीशा को महल में पिता के होने के संकेत मिलते हैं। फिर उसे उनकी मौत हो जाने का एहसास होता है। मगर, मीशा की यह बात कोई नहीं मानता। ना रुक्मिणी और ना ही एसपी अशोक तंवर (राहुल देव)। बल्कि, सबको लगता है कि मीशा को हैलुसिनेशन हो रहा है।

आखिर, मीरा सच का पता लगाने के मिशन पर निकलती है और इसमें उसे कपिल का साथ मिलता है। संदेह के घेरे में रुक्मिणी, अशोक और दूर का कजिन राणा जय सिंह (अक्षय ओबेरॉय) हैं। 

कैसा है स्टोरी, स्क्रीनप्ले और अभिनय?

फिल्म का लेखन निर्देशक पवन कृपलानी ने नेहा वीणा शर्मा के साथ मिलकर किया है। 'गैसलाइट' समेत बॉलीवुड में बनने वाली ज्यादातर हॉरर थ्रिलर या मिस्ट्री थ्रिलर फिल्मों के साथ दिक्कत यही होती है कि रोमांच पैदा करने के लिए जिस तरह की घटनाएं दिखायी जाती हैं, उनमें नयापन नहीं होता।

हिंदी सिनेमा का दर्शक ऐसी घटनाएं पहले भी देख चुका है। इसी वजह से कहानी का एक्स फैक्टर, सस्पेंस, चला जाता है और वो प्रेडिक्टेबल हो जाती है। कुछ यही दिक्कत कार्तिक आर्यन की 'फ्रेडी' के साथ भी थी। कुछ दृश्य बचकाने लगते हैं। पिता (आत्मा) से मिलने के लिए गैरज में मीशा का अकेला होना, जबकि दूसरे लोग भी इसके बारे में जानते हैं, समझ नहीं आता। 

अभिनय की बात करें सारा अली खान अपने किरदार में ठीक लगी हैं। 'गैसलाइट' में उनकी परफॉर्मेंस 'अतरंगी रे' और 'केदारनाथ' के बीच की है। हालांकि, अब उनसे उम्मीदें बढ़ गयी हैं। जह किरदारों और कहानियों के चयन में उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। चित्रांगदा सिंह, हाव भाव और मिजाज से रानी सा रुक्मिणी के किरदार में जंचती हैं, मगर फिल्म के सस्पेंस को बनाये रखने में चित्रांगदा की अदाकारी मदद नहीं करती।

कहानी का रहस्य का बहुत बड़ा हिस्सा इस किरदार से आता है, मगर उसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। यह लेखन का दोष है। ओटीटी स्पेस में विक्रांस मैसी की विविधता देखी गयी है। उनके अभिनय की रेंज अलग-अलग किरदारों में फैली है, मगर यहां वो असर छोड़ने में असफल रहे हैं। 

पवन कृपलानी इससे पहले 'रागिनी एमएमएस' और 'फोबिया' बना चुके हैं। इन दोनों फिल्मों के थ्रिल का स्तर अलग ही था। 'गैसलाइट' में कुछ मोमेंट्स को छोड़कर फिल्म का रोमांच चौंकाता नहीं। आखिरी 20 मिनट 'गैसलाइट' को ढेर होने से बचा लेते हैं। बहुत उम्मीदें नहीं बांधेंगे तो गैसलाइट टाइमपास फिल्म है। 

कलाकार- सारा अली खान, चित्रांगदा सिंह, विक्रात मैसी, राहुल देव आदि।

निर्देशक- पवन कृपलानी

प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

रेटिंग- ढाई स्टार