Govinda Naam Mera Review: कॉमेडी ने किया बंटाधार, थ्रिल ने बचायी विक्की, भूमि और कियारा स्टारर फिल्म की लाज
Govinda Naam Mera Review फिल्म का निर्देशन शशांक खेतान ने किया है जिन्होंने इस फिल्म को लिखा भी है। विक्की कौशल कियारा आडवाणी और भूमि पेडनेकर ने मुख्य भूमिकाएं निभायी हैं। गोविंदा नाम मेरा कॉमेडी के मोर्चे पर कमजोर मगर ठीकठाक थ्रिल वाली फिल्म है।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Fri, 16 Dec 2022 01:36 PM (IST)
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। कार्तिक आर्यन की 'फ्रेडी' के बाद इस हफ्ते विक्की कौशल, कियारा आडवाणी और भूमि पेडनेनकर की 'गोविंदा मेरा नाम' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आयी है। 'फ्रेडी' जहां डार्क थ्रिलर फिल्म थी, वहीं 'गोविंदा नाम मेरा' कॉमेडी थ्रिलर फिल्म है।
हालांकि, कॉमेडी और थ्रिल के अलावा फिल्म में कॉन फिल्मों के तत्व भी शामिल हैं। शशांक खेतान निर्देशित गोविंदा नाम मेरा विशुद्ध मसाला फिल्म है। कहानी, अभिनय और घटनाक्रमों का ट्रीटमेंट इस तरह रखा गया है कि उसमें हास्य की अंतर्धारा रहे। फिल्म शुरुआत की कुछ अवधि तक कॉमेडी का एहसास करवाती है, मगर एक वक्त बाद थ्रिलर में परिवर्तित हो जाती है और यही वो हिस्सा है, जो गोविंदा मेरा नाम को पूरी तरह ढेर होने से बचाता है।
पति, पत्नी और वो के साथ प्रॉपर्टी विवाद का एंगल
गोविंदा नाम मेरा, गोविंदा ए वाघमरे (विक्की कौशल) की कहानी है, जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में डांसर है और हीरो के पीछे वाली पंक्ति में थिरकता नजर आता है, मगर जब किसी से मिलता है तो खुद का परिचय बतौर कोरियोग्राफर देता है। साथी डांसर सुकु से उसका प्रेम प्रसंग चल रहा है, जिसके साथ शादी करने और कुछ बड़ा करने का सपना देख रहा है।यह भी पढ़ें: OTT Web Series & Movies- सिनेमाघरों में 'अवतार 2' तो ओटीटी पर विक्की कौशल और परिणीति चोपड़ा का जलवा
घर पर गोविंदा बीवी गौरी वाघमरे (भूमि पेडनेकर) के अत्याचारों से परेशान है, जो हाउस मेड के साथ मिलकर उसे जलील करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। गोविंदा का प्रेम प्रसंग के बारे में गौरी जानती है और वो उसे तलाक देने के लिए राजी भी है, पर इसके लिए 2 करोड़ रुपये की मांग कर रही है। मगर, कहानी का मेन प्लॉट पति, पत्नी और वो का रोना-धोना नहीं, बल्कि 150 करोड़ का प्रॉपर्टी विवाद है।
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गोविंदा अपनी लकवाग्रस्त और व्हील चेयर में बैठी रहने वाली मां आशा वाघमरे के साथ जिस जर्जर बंगले में रहता है, उस पर उसके सौतेले भाई और मां ने मुकदमा ठोका हुआ है। उनका दावा है कि इस जायदाद के असली मालिक वो हैं, क्योंकि आशा वाघमरे के साथ उनके पिता ने शादी नहीं की थी। गोविंदा उनके संबंधों से पैदा हुई नाजायज औलाद है। गोविंदा अपने वकील दोस्त कौस्तुभ गोडबोले (अमेय वाघ) की मदद से खुद को जायज वारिस साबित करने की कोशिश में जुटा है। दोनों परिवार एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते, लिहाजा आउट ऑफ कोर्ट समझौते की कोशिशें बेकार हो चुकी हैं। गोविंदा पैसों की किल्लत से भी जूझ रहा है। कौस्तुभ, अमीर बाहुबली नेता अजीत धारकर (सयाजी शिंदे) के नशेड़ी रैपर बेटे के गाने का वीडियो डायरेक्ट और कोरियोग्राफ करने का ऑफर लेकर आता है। गोविंदा सुकु के साथ मिलकर यह काम उठा लेता है। वो वीडियो बनाते हैं, मगर अजीत धारकर को पसंद नहीं आता। उल्टा वो उनसे प्रोडक्शन में खर्च हुआ करीब 30 लाख रुपया लौटाने को कहता है। हर तरफ से घिरा गोविंदा अब अपने सौतेले भाई के साथ समझौता करने को तैयार हो जाता है, ताकि कुछ करोड़ लेकर नयी जिंदगी शुरू कर सके। बस यहीं पर एक बड़ा ट्विस्ट आता है और हिचकोले खा रही गोविंदा मेरा नाम की गाड़ी रफ्तार पकड़ती है। एक रात गोविंदा जब अपने घर पहुंचता है तो सामने पत्नी गौरी की लाश देखता है। घबराहट में कुछ समझ नहीं आता तो वो सुकु को फोन करता है। सुकु उसे समझाती है कि पुलिस में जाना ठीक नहीं, क्योंकि उसका अफेयर चल रहा है और पत्नी से संबंध भी ठीक नहीं तो गोविंदा को ही कातिल समझा जाएगा। सुकु की सलाह पर दोनों गौरी के मृत शरीर को बंगले के अंदर ही दफ्न कर देते हैं और सबूत मिटा देते हैं। गौरी का कत्ल किसने किया, किसकी साजिश है, गोविंदा इससे बच पाता है या नहीं, बंगले का क्या होता है, आगे की कहानी में ऐसे ही सवालों के जवाब मिलते हैं।
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विक्की कौशल का अभिनय से इमेज मेकओवर?
गोविंदा नाम मेरा का निर्देशन करने के साथ शशांक ने इसका लेखन भी किया है। करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शंस के लिए शशांक हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, बद्रीनाथ की दुल्हनिया और धड़क निर्देशित कर चुके शशांक ने पहली बार कॉमेडी थ्रिलर पर हाथ आजमाया है। फिल्म में बिल्डर के छोटे से किरदार में खुद नजर भी आये हैं। गोविंदा नाम मेरा की कहानी लिखने में शशांक ने ज्यादा दिमाग नहीं लगाया। फिल्म इंडस्ट्री के अंदर से ही किरदार उठा लिये हैं। अगर, आप हिंदी फिल्मों के शौकीन हैं तो गोविंदा वाघमरे के पिता की कहानी सुनकर सत्तर के दशक के बेहद लोकप्रिय स्टंटमैन और फाइट मास्टर की यादें ताजा होंगी, जिनका बेटा आज बहुत बड़ा निर्देशक है। गोविंदा के स्वर्गवासी पिता को साउथ से आया फाइट डायरेक्टर दिखाया गया है, जो बॉलीवुड फिल्मों में काम करने आता है। यहां उसे डांसर और जूनियर आर्टिस्ट आशा से प्यार हो जाता है। दोनों साथ रहने लगते हैं और गोविंदा का जन्म होता है। पिता की एक फिल्म करने के बाद ही डेथ हो जाती है और 150 करोड़ का बंगला मां-बेटे को मिल जाता है, जिसको लेकर गोविंदा की सौतेली मां और भाई से कानूनी लड़ाई चल रही है। जिस तरह सिचुएंस के जरिए हास्य पैदा करने की कोशिश की गयी है, उतनी मेहनत संवादों में नजर नहीं आती। गोविंदा को लोग बार-बार गोविंद बोलते हैं तो वो उन्हें सही करता है। मगर, इन दृश्यों से हंसी नहीं आती।विक्की कौशल ने अपने करियर की शुरुआत मसान फिल्म के साथ की थी, जिसमें उनके अभिनय की जमकर तारीफ हुई, इसके बाद उन्होंने खुद की सक्षम कलाकार की छवि कायम की है। सरदार उधम में उनका अभिनय इसकी मिसाल है। ऐसा लगता है कि गोविंदा नाम फिल्म के जरिए विक्की अपने संजीदा अभिनय वाली छवि को तोड़कर मसाला फिल्मों के लीड एक्टर वाली इमेज बनाने के फेर में हैं। विक्की अपने अभिनय के इस पहलू का ट्रेलर रणबीर कपूर स्टारर संजू में कमली के किरदार के रूप में दिखा चुके हैं। वैसे, गोविंदा नाम मेरा में भी रणबीर कपूर ने स्पेशल एपीयरेंस किया है, जो यह मजेदार सीक्वेंस है और इस गाने में विक्की को अपने डांसिंग स्किल्स दिखाने का मौका भी मिला है। फिल्म का स्क्रीनप्ले जरूर प्रभावित करता है। खासकर, दूसरे हाफ में जिस तरह से घटनाक्रमों को नॉन-लीनियर ढंग से बुना गया है, उससे सस्पेंस और थ्रिल पैदा होता है। गौरी के कत्ल के आरोप में शक की सूई जिस तरह गोविंदा और सुकु पर घूमती है और उसके साथ अजीत धारकर के ड्रग्स वाला ट्रैक जिस तरह जोड़ा गया है, वो दर्शक को पकड़कर रखता है। विक्की किरदार की जरूरत के हिसाब से खुद को ढालने वाले कलाकार हैं और यहां भी उन्होंने निराश नहीं किया है। खड़ूस बीवी गौरी के रोल में भूमि पेडनेकर ने जंची हैं। उनका किरदार फिल्म की कहानी के ट्विस्ट्स और थ्रिल को बढ़ाता है। मगर, कहीं-कहीं यह किरदार लय में नहीं दिखता। कियारा आडवाणी फिल्म में काफी खूबसूरत दिखी हैं। संघर्षरत डांस कोरियोग्राफर सुकु के किरदार में वो फिट भी लगी हैं। उनके किरदार सुकु की एक डार्क साइड भी है, जो कहानी की एकरूपता को तोड़ता है। इसके बारे में यहां ज्यादा बात करना ठीक नहीं। गोविंदा की मां आशा वाघमरे के किरदार में रेणुका शहाणे हैं, जो फिल्म के बड़े हिस्से में लकवाग्रस्त होने की एक्टिंग करती नजर आती हैं, क्योंकि दिवानी के मुकदमे में कोर्ट की सहानुभूति चाहिए। रेणुका ऐसे किरदारों में कम ही नजर आयी हैं, इसलिए उन्हें देखना अच्छा लगता है, मगर इससे कॉमेडी को मदद नहीं मिलती। लेखन के मोर्चे पर गोविंदा नाम मेरा औसत फिल्म है। संवादों में पंच ठूसे हुए लगते हैं। हालांकि, अभिनय के माध्यम से लेखन को साधने की कोशिश की गयी है। फिल्म का संगीत सामान्य है। रैप स्टाइल का गाना पप्पी सुनने में ठीक लगता है। अच्छी बात यह है कि फिल्म के गाने सिचुएशनल हैं, जिससे फिल्म बाधित नहीं होती। कलाकार- विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर, रेणुका शहाणे, अमेय वाघ आदि। निर्देशक- शशांक खेताननिर्माता- करण जौहरप्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टारअवधि- 2 घंटा 11 मिनटस्टार- ढाई स्टारयह भी पढ़ें: Avatar 2 Review- जेम्स कैमरून ने पैंडोरा पर बसायी ऐसी दुनिया, लौटने का दिल नहीं करता...
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