Indian Police Force Review: अपने चक्रव्यूह में फंसे रोहित शेट्टी, धमाकों की आवाज में सीरीज हुई धड़ाम
Indian Police Force Series Review इंडियन पुलिस फोर्स प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। सात एपिसोड्स की इस सीरीज को रोहित ने क्रिएट किया है। सिद्धार्थ मल्होत्रा विवेक ओबेरॉय और शिल्पा शेट्टी मुख्य भूमिकाओं में हैं। सीरीज की कहानी देश के अलग-अलग शहरों में हो रहे धमाकों और घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकियों को पकड़ने पर आधारित है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Indian Police Force Web Series Review: मुंबई पुलिस के साथ सिंघम, सिम्बा और सूर्यवंशी फिल्मों के जरिए कॉप यूनिवर्स की शुरुआत करने वाले निर्देशक रोहित शेट्टी ने इंडियन पुलिस फोर्स के साथ ओटीटी स्पेस में पारी शुरू की है। रोहित ने ओटीटी डेब्यू के लिए अपना आजमाया फॉर्मूला ही चुना और वो कॉप सीरीज लेकर आये हैं।
उनकी फिल्मों में एक्शन प्रधान तत्व होता है। फिल्म चाहे कॉमेडी हो या थ्रिलर, एक्शन रोहित का सिग्नेचर स्टाइल है। इंडियन पुलिस फोर्स भी स्टाइलिश एक्शन दृश्यों और चेज सीक्वेंसेज से भरी हुई है, मगर सीरीज को देखकर ऐसा लगता है कि रोहित अपने ही चक्रव्यूह में फंसकर रह गये हैं।
इंडियन पुलिस फोर्स लेखन के स्तर पर आउटडेटेड सीरीज लगती है। सबसे ज्यादा निराश सीरीज की कहानी करती है, जो कुछ नया नहीं देती। इस बार रोहित ने दिल्ली पुलिस को अपनी कहानी का नायक बनाया है।
रिलीज से पहले उम्मीदों के परों पर सवार इंडियन पुलिस फोर्स (Indian Police Force) एक बेहतरीन सीरीज की सम्भावनाओं को धरती पर पटकती है।
क्या है इंडियन पुलिस फोर्स की कहानी?
सीरीज की शुरुआत दिल्ली में सीरियल बम धमाकों के साथ होती है। दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी विक्रम बख्शी (विवेक ओबेरॉय) की टीम इन धमाकों की जांच कर रही है। डीसीपी कबीर मलिक (सिद्धार्थ मल्होत्रा) विक्रम की टीम का तेज-तर्रार अफसर है।गुजरात एटीएस चीफ तारा शेट्टी (शिल्पा शेट्टी) अपनी टीम के साथ तफ्तीश में मदद करने दिल्ली आई है, जो दिल्ली से पहले अहमदाबाद में हुए सीरियल धमाकों के जिम्मदारों की तलाश में है।यह भी पढ़ें: OTT Movies And Series- ओटीटी पर इस हफ्ते धावा बोलेगी 'इंडियन पुलिस फोर्स', रिलीज हो रहे ये शोज और फिल्में
तारा की इंटेल थी कि दिल्ली में 26 जनवरी को बम ब्लास्ट हो सकते हैं, मगर आतंकियों ने उस तारीख के बाद दिल्ली में दहशत फैलाई।
इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) संगठन से जुड़े आतंकियों की साजिश देश के बड़े-बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट करने की है। इसके पीछे मास्टरमाइंड जरार (मयंक टंडन) है, जो ईरान में मौजूद हिंदुस्तानी आका रफीक (ऋतुराज सिंह) से निर्देश लेता है।दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के सुरागों का पीछा करते हुए पुलिस आतंकियों तक पहुंच जाती है और फिरोजा नगर के एक घर में उन्हें घेर लेती है, मगर भारी गोलीबारी के बाद जरार और उसका छोटा भाई सिक्कू बच निकलते हैं। इस भीषण एनकाउंटर में विक्रम शहीद हो जाता है।
इसके बाद जयपुर में भी सीरियल ब्लास्ट होते हैं। दिल्ली में ऑपरेशन फेल होने के बाद कबीर को फोर्स से हटाकर क्लैरिकल कामों में लगा दिया जाता है, लेकिन विक्रम को अपना बड़ा भाई मानने वाला कबीर गोपनीय रूप से जयपुर धमाकों की जांच करता है और पैटर्न देखकर समझ जाता है कि यह भी जरार का ही काम है।कबीर की जांच से प्रभावित होकर पुलिस कमिश्नर जयदीप बंसल (मुकेश ऋषि) कबीर को वापस फोर्स में ले लेते हैं। इस बीच दिल्ली पुलिस को सूचना मिलती है कि सिक्कू को गोवा में देखा गया है। कबीर को यकीन होता है कि जरार भी गोवा में होगा। इसके बाद दिल्ली और गुजरात पुलिस की टीम गोवा पहुंचती है।
यहां टीम बड़ा धमाका रोकने में कामयाब हो जाती है। सिक्कू मारा जाता है, मगर जरार फिर बच निकलता है। आगे की कहानी जरार को पकड़ने के लिए जाल बिछाने की योजना पर आधारित है, जो ढाका के रास्ते ईरान भागने की तैयारी में है।