Move to Jagran APP

Ishq Vishk Rebound Review: ऋतिक की बहन पश्मीना का हो गया बॉलीवुड डेब्यु, अभिनय से कितनी 'रोशन' हो पाई फिल्म?

इश्क विश्क रिबाउंड शाहिद कपूर स्टारर फिल्म फ्रेंचाइजी की अगली फिल्म है। कहानी के केंद्र में तीन दोस्त और उनके बीच प्यार का कन्फ्यूजन है। फिल्म ज्यादार पश्मीना रोशन के डेब्यू के लिए चर्चा में रही है जो राजेश रोशन और कंचन रोशन की बेटी हैं। ऋतिक उनके कजिन हैं। फिल्म में रोहित सराफ और जिब्रान खान भी मुख्य स्टार कास्ट का हिस्सा हैं।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Fri, 21 Jun 2024 12:32 PM (IST)
Hero Image
इश्क विश्क रीबाउंड रिलीज हो गई है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। फ्रेंचाइजी फिल्मों के दौर चल रहा है। ऐसे में साल 2003 में रिलीज हुई शाहिद कपूर और अमृता राव अभिनीत फिल्म इश्क विश्क की फ्रेंचाइजी को भी आगे बढ़ा दिया गया। इश्क विश्क में कॉलेज के दोस्तों का एक बड़ा सा ग्रुप था। इस कहानी में केवल तीन दोस्त हैं।

तीन दोस्त, प्यार में ढेर सारा कन्फ्यूजन

देहरादून के कालेज में पढ़ने वाले राघव (रोहित सराफ), सान्या (पश्मीना रोशन), साहिर (जिब्रान खान) बचपन के दोस्त हैं। सान्या और साहिर के बीच प्यार है। राघव दोनों के बीच की कड़ी है, जिस पर दोनों छोटी-छोटी बातों पर ब्रेकअप करने के बाद अपना गुस्सा निकालते हैं।

राघव को कॉलेज की एक लड़की रिया (नाएला ग्रेवाल) से पहली नजर में प्यार हो जाता है, लेकिन दोस्तों के बीच पिस रहा राघव अपनी गर्लफ्रेंड रिया पर ध्यान नहीं दे पाता है। इसकी वजह से उनका ब्रेकअप हो जाता है। साहिर के पिता कॉलेज के बाद उसे आर्मी स्कूल में भेज देते हैं। इस बात पर सान्या और साहिर भी अलग हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें: Pushtaini Review- धन दौलत पाने नहीं, डर से उबरने की कहानी... Hrithik Roshan के 'गुरु' का एक्टिंग डेब्यू

दो ब्रेकअप के दिलजले सान्या और राघव एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं। यहां से शुरू होती हैं दिक्कतें। माहौल ऐसा बनता है कि राघव मुंबई आ जाता है। वह फिल्म के लिए एक कहानी लिखता है, जो उसकी ही जिंदगी पर है। क्लाइमेक्स वो नहीं लिख पाता हैं, क्योंकि वह खुद अपनी कहानी को अधूरा छोड़ आया है।

दूसरे हाफ में लड़खड़ाई फिल्म

फिल्म में राघव कहता है कि राइटिंग ना थोड़ी मुश्किल होती है, बिल्कुल प्यार की तरह। उन्होंने सही कहा, क्योंकि फिल्म के कमजोर लेखन की वजह से ही दूसरे हाफ में फिल्म लड़खड़ा जाती है।

मराठी फिल्म धप्पा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके निपुण की कोशिश इस फ्रेंचाइजी को लेकर अच्छी है। उन्होंने युवाओं में प्यार को लेकर कन्फ्यूजन, दोस्त की एक्स के साथ रिश्ता, दो दोस्तों और प्यार करने वालों के बीच पिस रहे तीसरे दोस्त का किसी एक को चुनने की कश्मकश को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाया है।

कम समय में एक तेजी से भागती हुई कहानी बनाई जरूर है, लेकिन उसमें वह कई बातों को स्पष्ट करना भूल गए। मसलन, जब राघव को पता चलता है कि उसके माता-पिता काउंसलर के कहने पर आपस में खेल खेलते रहते हैं, ताकि वह अपने टूटे रिश्ते को बचा सकें। उस पर फिल्म में कोई बात नहीं होती है। राघव सिर्फ अपना रिश्ता ठीक करने में लगा रहता है।

फोटो- इंस्टाग्राम/Tips

फिल्म में जिस कहानी का क्लाइमेक्स राघव लिख रहा है, उसमें उसने रिया और अपनी हैप्पी एंडिंग लिखी है, लेकिन वास्तविकता में उसे प्यार सान्या से ही है। जब वह अपनी ही जिंदगी पर फिल्म बना रहा है तो वहां उसने सान्या के साथ हैप्पी एंडिंग क्यों नहीं की?

सीन को बीच में पॉज करके राघव का दर्शकों से बातें करना, कन्फ्यूजन के बीच तर्क निकलना दिलचस्प लगता है। इंटरवल से पहले तक फिल्म तेजी से भागती हुई ताजगी से भरपूर लगती है, लेकिन दूसरे हाफ में पूरी तरह से धराशाही हो जाती है।

ना देखने के लिए कुछ बचता है, ना समझने के लिए। जैसे फिल्म में राघव कन्फ्यूज है कि उनकी फिल्म की कहानी का क्लाइमेक्स क्या होना चाहिए, इस फिल्म के लेखक भी कंफ्यूज ही लगे, जिन्होंने कहानी को बस रफा-दफा कर दिया।

कुछ छूटे, कुछ अधूरे रह गये किरदार

अभिनय की बात करें तो रोहित सराफ पूरी फिल्म की जिम्मेदारी अकेले संभालते दिखे। वह हर प्रोजेक्ट के साथ अपने काम में बेहतर और परिपक्व हो रहे हैं। नाएला अच्छी कलाकार हैं। इसके बावजूद उन्हें स्क्रीन स्पेस ना मिलना कहानी को नुकसान पहुंचा गया।

यह भी पढ़ें: ऋतिक की बहन Pashmina Roshan हो चुकी हैं डिप्रेशन का शिकार, Ishq Vishk Rebound की रिलीज से पहले बताई दास्तां

फोटो- इंस्टाग्राम/Tips

कभी खुशी कभी गम, रिश्ते में बाल कलाकार रह चुके जिब्रान इस फिल्म से बतौर ग्रोन अप एक्टर डेब्यू कर रहे हैं। उनका किरदार आधा-अधूरा सा लिखा था। फिर भी वह अपने अभिनय से उसे संभाल लेते हैं। रितिक रोशन की चचेरी बहन पश्मीना की भी पहली ही फिल्म हैं। उन्हें अपने अभिनय पर खासा मेहनत करने की जरूरत है।

जब तक वह एक कन्फ्यूज, गुस्सैल लड़की की भूमिका में थीं, ठीक लगीं। भावुक दृश्यों को वह संभाल नहीं पाईं। टाइटल ट्रैक इश्क-विश्क साल 2003 की फिल्म की यादें ताजा करता है। सिग्नेचर डांस स्टेप्स को इस गाने में रखना इसे यादगार बना जाता है।