Jawan Review: मनोरंजन के साथ जरूरी संदेश देती 'जवान', फुल फॉर्म में शाह रुख खान का 'डबल' धमाका
Jawan Movie Review पठान के बाद शाह रुख खान की इस साल दूसरी रिलीज है जवान। यह कई जॉनर्स का मिश्रण है। एक्शन थ्रिलर होने के साथ जवान रिवेंज ड्रामा कही जा सकती है। साथ ही फिल्म में सोशल मैसेज भी दिया गया है। एटली ने फिल्म का निर्देशन किया है जो तमिल सिनेमा के कामयाब निर्देशक हैं। जवान तेलुगु और तमिल भी रिलीज हुई है।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Thu, 07 Sep 2023 02:19 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Jawan Movie Review: जनवरी में रिलीज पठान में भारतीय जासूस की भूमिका निभाने के बाद शाह रुख खान अब रॉबिनहुड के अंदाज में लौटे हैं। फिल्म जवान में उनका पात्र गरीबों को न्याय दिलवाने के साथ मां से किया वादा पूरा करता है।
दक्षिण भारतीय फिल्ममेकर एटली के साथ शाह रुख की यह पहली फिल्म है। शाह रुख के स्तर के लोकप्रिय सितारे हों तो फिल्म की कहानी उनके किरदार के आसपास ही घूमती है। लेखक और निर्देशक एटली ने नायक के साथ उसके पिता की दोहरी भूमिका में दोनों किरदारों को रोचक और रोमांचक तरीके से गढ़ा है।
क्या है जवान की कहानी?
कहानी का आरंभ देश के बार्डर पर एक जख्मी व्यक्ति के नदी में मिलने से होता है। आदिवासी समुदाय के लोग उसका इलाज करते हैं। वहां पर हमला होता है। यह अनजान शख्स उन लोगों से आदिवासियों की रक्षा करता है। वे उसे मसीहा के तौर पर देखते हैं। वहां से कहानी तीस साल आगे बढ़ती है।
मुंबई मेट्रो ट्रेन का छह लड़कियां अपहरण कर लेती हैं। इस मेट्रो में अरबपति व्यवसायी काली (विजय सेतुपति) की बेटी भी होती है। इन लड़कियों के साथ एक शख्स और होता है। वह अपनी मांग पुलिस अधिकारी नर्मदा (नयनतारा) के सामने रखता है।
वह करीब चालीस हजार करोड़ रुपये काली से अकाउंट में ट्रांसफर करवाता है। यह पैसा उन किसानों के खातों में जाता है, जिन्होंने बैंक से ऋण लिया होता है। काली को उसकी बेटी बताती है कि उस शख्स का नाम विक्रम राठौर (शाह रुख खान) है।
वहां से इन पात्रों की परतें खुलनी आरंभ होती है। यह शख्स महिलाओं की जेल का जेलर होता है, जिसका नाम आजाद होता है। उसके साथ काम करने वाली लड़कियां जेल में ही रहती हैं। अपने अगले मिशन में आजाद स्वास्थ्य मंत्री का अपहरण करके उससे सरकारी अस्पतालों की बदहाल हालत को पांच घंटे में बेहतर करने का समय देता है।पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले ही आजाद और उसकी टीम वहां से भागने में कामयाब हो जाती है। उधर, नाटकीय घटनाक्रम में आजाद की शादी नर्मदा से होती है। नर्मदा की एक बेटी भी होती है। आजाद अपनी राबिनहुड जिंदगी के बारे में नर्मदा को कुछ बताता उससे पहले ही काली के आदमी उसे और नर्मदा को उठा ले जाते हैं।
दोनों को बचाने असली विक्रम राठौर यानी आजाद का पिता आता है, जो अपनी याद्दाश्त खो चुका है। बचाने में काली का भाई (एजाज खान) मारा जाता है। विक्रम का अपना अतीत है। उस पर देशद्रोह का आरोप है। इंटरवल के बाद की कहानी खलनायक और नायक के बीच आपसी रस्साकशी में तब्दील हो जाती है।