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Jogira Sara Ra Ra Review: हंसाने में कामयाब रहती है नवाजुद्दीन और नेहा की कॉमेडी, वन लाइनर्स करते हैं लोटपोट

Jogira Sara Ra Ra Review जोगीरा सारा रा रा की कहानी एक छोटे कस्बे में स्थापित की गयी है जहां नवाजुद्दीन सिद्दीकी के किरदार को एक शादी तुड़वाने का काम मिलता है। नेहा शर्मा फीमेल लीड रोल में हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 26 May 2023 02:56 PM (IST)
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Jogira Sara Ra Ra Review Nawazuddin Siddiqui Neha Sharma Comedy. Photo- Twitter
प्रियंका सिंह, मुंबई। नवाजुद्दीन सिद्दीकी और नेहा शर्मा अभिनीत फिल्म जोगीरा सारा रा रा सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। इस रोमांटिक कॉमेडी का निर्देशन कुशन नंदी ने किया है। संजीदा फिल्म अफवाह के बाद नवाज हल्के-फुल्के अंदाज में नजर आ रहे हैं। 

हिंदी सिनेमा की दिलचस्पी छोटे शहरों में अब कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। वहां का रहन-सहन, बोलचाल, बेफिक्र अंदाज फिल्मों में देखना दिलचस्प भी होता है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ा रही है नवाजुद्दीन सिद्दीकी और नेहा शर्मा की कुशन नंदी निर्देशित जोगीरा सारा रा रा।

क्या है फिल्म की कहानी?

इस फिल्म की कहानी बरेली से शुरू होती है, जहां एक शादी में डिंपल चौबे (नेहा शर्मा) नशे में हंगामा मचा देती है। शादी के खाने में कमियां निकालती है। दरअसल, वह घर से भागकर आई, क्योंकि उसके घरवाले उसकी शादी कराना चाहते थे। उसकी मुलाकात वेडिंग प्लानर जोगी प्रताप (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) से होती है। वह उसे घर जाने के पैसे देता है। कुछ समय बाद दोनों की मुलाकात फिर होती है।

जोगी को जिस शादी को करवाने का ऑर्डर मिला है, वह डिंपल की ही है। डिंपल जोगी से कहती है कि वह उसकी शादी कैसे भी तुड़वा दे। डिंपल का होने वाला पति लल्लू (महाअक्षय चक्रवर्ती) सरकारी नौकरी करता है, सीधा-साधा है और बिना दहेज के डिंपल से शादी कर रहा है।

सर्वगुण संपन्न लड़के में कमियां निकालकर शादी तोड़ना जोगी के लिए आसान नहीं। जोगी डिंपल को अगवा करने की योजना बनाता है। इसमें उसका साथी मनु (रोहित चौधरी) उसकी मदद करता है, क्योंकि वह कभी चौधरी गैंग में काम करता था, जो इस तरह के अपरहण किया करते थे।

डिंपल को अगवा करने की बात चौधरी गैंग तक पहुंचती है, जिसका इस अपहरण से कोई लेना-देना नहीं है। उनका खुद का अपहरण का काम ठीक से नहीं चल रहा है। क्या डिंपल की शादी टूटेगी? क्या जोगी का जुगाड़ चलेगा या वो खुद उसमें फंस जाएगा? इस पर कहानी आगे बढ़ती है।

कैसे हैं स्क्रीनप्ले, अभिनय और संवाद?

बाबूमोशाय बंदूकबाज फिल्म का निर्देशन कर चुके कुशन नंदी ने इस बार विशुद्ध कामेडी में हाथ आजमाया है। कहानी चुनने का उनका प्रयास अच्छा है, लेकिन कमजोर निर्देशन और ढीला-ढाला संपादन कई जगहों पर दृश्यों को ही ऊबाऊ बना देता है।

लेखक गालिब असद भोपाली की लिखी फिल्म की कहानी साधारण जरूर है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार उनके लिखे संवाद और वन लाइनर्स लोटपोट करते हैं। कैरम बोर्ड की गोटियों के जरिए अपहरण की प्रक्रिया समझाने वाला सीन मजेदार है। लिखाई और संजय मिश्रा का अभिनय उसे अलग स्तर पर ले जाता है।

वीरेंद्र घर्से सैनिटरी पैड और प्रेग्नेंसी टेस्ट किट मेडिकल से खरीदने के लिए झिझक, पेशे के अनुसार लड़के को कितना दहेज लेना चाहिए, ऐसे प्रसंगों को एडिट कर दृश्यों को चुस्त कर सकते थे, क्योंकि यह मुद्दे किसी दिशा में आगे नहीं बढ़ते। जोगी और डिंपल के परिवार की कास्टिंग बेहतरीन है।

मां, चार बहनों, एक बुआ के बीच अकेला जोगी, क्यों महिलाओं और शादी से दूर भागता है, उसका कारण बिना किसी संवाद के ही समझा जा सकता है। फिल्म के पात्र वास्तविकता के करीब जब लगने लगते हैं और उनसे जुड़ाव होता है, उस समय जोगी का आम आदमी से अचानक हीरो जैसा बन जाना कहानी से कनेक्शन तोड़ देता है। इंटरवल के बाद फिल्म धीमी हो जाती है।

कुछ प्रसंग बहुत खिंचे हुए हैं। वहीं, क्लाइमैक्स को जल्दबाजी में निपटा दिया गया है। गीतकार लवराज का लिखा और सुवर्णा तिवारी, आनंदी जोशी का गाना 'अंगना में आया है जहाज बबुआ...' कर्णप्रिय है। इस गाने में वाराणसी के कुछ बेहतरीन विजुअल्स सिनेमैटोग्राफर सौरभ वाघमारे ने लिए हैं। गंभीर भूमिकाएं निभाते आए नवाजुद्दीन सिद्दीकी साबित करते हैं कि वह कॉमेडी में भी माहिर हैं।

नेहा शर्मा अपने किरदार को पकड़े रखने का प्रयास करती हैं, हालांकि कुछ जगहों पर उनका शहरी अंदाज दिख जाता है। जोगी के दोस्त के रोल में रोहित चौधरी ध्यान आकर्षित करते हैं। संजय मिश्रा चौधरी गैंग के मुखिया के छोटे से रोल में लोटपोट करते हैं। दादी की भूमिका में फारुख जफर को पर्दे पर देखना सुखद है।

कलाकार: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नेहा शर्मा, महाअक्षय चक्रवर्ती, संजय मिश्रा, जरीना वहाब, फारुख जफर, रोहित चौधरी आदि।

निर्देशक: कुशन नंदी

अवधि: 121 मिनट

रेटिंग: ढाई