Kaagaz 2 Review: आम आदमी से जुड़ा जरूरी मुद्दा उठाती है सतीश कौशिक और अनुपम खेर की फिल्म, आंखें भी करती है नम
Kaagaz 2 शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इस फिल्म में अनुपम खेर और सतीश कौशिक ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। दर्शन कुमार भी एक खास रोल में हैं। यह कागज फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्म है। पहली फिल्म में सरकारी महकमे के घोटाले को दिखाया गया था जिसमें पंकज त्रिपाठी ने लीड रोल निभाया था जबकि निर्देशक सतीश कौशिक थे। पढ़िए पूरा Review...
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। करीब दो साल पहले आई फिल्म कागज एक आम आदमी की कहानी थी, जिसे जिंदा होने के बावजूद सरकारी कागजों में मृत बताया गया होता है। सतीश कौशिक (Satish Kaushik) के निर्देशन में बनी यह फिल्म सत्य घटना से प्रेरित थी।
अब करीब तीन साल के अंतराल के बाद इस फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्म कागज 2 (Kaagaz 2) आई है। दिवंगत अभिनेता और फिल्ममेकर सतीश कौशिक की अंतिम फिल्म है। उनकी ख्वाहिश के मुताबिक यह फिल्म एक मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इस बार निर्देशक के बजाय वह बतौर निर्माता और अभिनेता फिल्म से जुड़े।
इस बार भी आम इंसान के दर्द को उकेरने के साथ यह राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर चोट करती है। राजनीतिक रैलियों, हड़ताल, धरने-प्रदर्शन के चलते जगह-जगह ट्रैफिक जाम आम लोगों की तकलीफ का कारण बनते हैं।
अगर इसमें किसी को अस्पताल जाना हो या फ्लाइट पकड़ना हो फिर परीक्षा देना हो, ट्रैफिक में फंसने की वजह से कई बार वह समय पर नहीं पहुंच पाते। इसकी कीमत उन्हें किस प्रकार चुकानी पड़ती है। इसी मुद्दे पर कागज 2 (Kaagaz 2 Review) आधारित है।
क्या है कागज 2 की कहानी?
इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आइएमए) में प्रशिक्षण ले रहा उदय सिंह (दर्शन कुमार) के माता-पिता बचपन में ही अलग हो चुके हैं। वह काम को लेकर फोकस नहीं रह पाता है। घटनाक्रम मोड़ लेते हैं, वह आइएमए छोड़ कर घर आ जाता है। उसकी मां राधिका (नीना गुप्ता) अपना बुटीक चलाती है।यह भी पढ़ें: मार्च में दूर होगी Box Office की कड़की? अजय, सिद्धार्थ, करीना स्टारर ये 10 फिल्में बदल सकती हैं गणित
इस बीच उदय के पिता वकील राज नारायण (अनुपम खेर) उससे मिलने की ख्वाहिश व्यक्त करते हैं। उदय बेमन से उनसे मिलने जाता है। बचपन में उसे और उसकी मां को छोड़कर जाने की वजह से पिता से बेहद नाराज है। उसे पता चलता है कि पिता को ब्लैड कैंसर है।
इसके बावजूद वह एक लाचार पिता सुशील रस्तोगी (सतीश कौशिक) का मुकदमा लड़ रहे होते हैं। राजनीतिक रैली के चलते ट्रैफिक जाम में फंसने की वजह से इलाज के अभाव में उनकी इकलौती होनहार बेटी दम तोड़ देती है। वह अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ते हैं। उदय भी इस मुहिम का हिस्सा बनता है।