Kadak Singh Review: बिखरे हुए परिवार की कहानी में आर्थिक अपराध का थ्रिल, पंकज त्रिपाठी ने जमाया रंग
Kadak Singh Movie Review अनिरुद्ध रॉय चौधरी निर्देशित कड़क सिंह थ्रिलर फिल्म है जिसमें पंकज त्रिपाठी और संजना सांघी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। पंकज फाइनेंशियल क्राइम की जांच करने वाली एजेंसी के अधिकारी बने हैं और घोटाले की साजिश में नाम आता है मगर सब जानते हैं कि वो एक ईमानदार अधिकारी हैं। इस बीच एक हादसा होता है।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 08 Dec 2023 01:05 PM (IST)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। पिंक और लॉस्ट के बाद निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी की तीसरी हिंदी थ्रिलर फिल्म कड़क सिंह जी5 पर रिलीज हुई है। अनिरुद्ध ने इस बार एक डिस्फंक्शनल फैमिली की कहानी को चिट फंड घोटाले के साथ पिरोकर थ्रिलर फिल्म बनाई है।
कड़क सिंह किसी किरदार का नाम नहीं, बल्कि सख्त पिता को बच्चों द्वारा दी गई उपमा है, जो पिता के प्रति बच्चों की भावनाओं को व्यक्त करता है, मगर कड़क सिंह उस व्यक्ति के चरित्र को भी जाहिर करता है, जो यादाश्त खोने के बावजूद अपने काम में एकदम 'कड़क' है और एक उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करता है। कड़क सिंह ऐसी थ्रिलर है, जिसका सुरूर धीरे-धीरे चढ़ता है।
क्या है कड़क सिंह की कहानी?
एके श्रीवास्तव (पंकज त्रिपाठी) डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल क्राइम्स में अधिकारी है। बीवी कुछ साल पहले एक हादसे में गुजर चुकी है। जवान बेटी साक्षी (संजना सांघी) और किशोरवय बेटा आदित्य (वरुण बुद्धदेव) है। पिता और बच्चों की बिल्कुल नहीं बनती। एके गोल्डन शाइन चिट फंड कम्पनी के 200 करोड़ के घोटाले की जांच कर रहा है, जिसका मास्टमाइंड अशोक अग्रवाल (ये सामने नहीं आता) है।यह भी पढ़ें: OTT Releases- इस हफ्ते ओटीटी पर Suhana Khan का डेब्यू, रिलीज हो रही फिल्मों और वेब सीरीज की पूरी लिस्ट
एके की टीम उसकी खोज में जुटी है। इधर, आदित्य बुरी संगत में पड़कर ड्रग्स करने लगा है और एक हादसे के बाद पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है। साक्षी, भाई को बचाने के लिए पुलिस को घूस देने के लिए तैयार हो जाती है। पुलिस इंस्पेक्टर पैसे देने के लिए उसे एक सस्ते होटल में बुलाता है।एके भी वहां एक रेड के सिलसिले में गया हुआ है। बेटी को होटल में उसके दोस्त के साथ देखकर एके को गलतफहमी होती है। सरेआम बाप-बेटी के बीच कहासुनी होती है। एके अपमानित महसूस करता है और ऑफिस में आत्महत्या की कोशिश करता है।
वो बच जाता है, मगर यादाश्त चली जाती है। कुछ बातें याद रह जाती हैं। बेटी साक्षी को भूल जाता है, लेकिन बेटा आदित्य याद रहता है, जिसकी उम्र वो पांच साल बताता है। घटना के बाद एके का व्यक्तित्व भी पूरी तरह बदल जाता है। गुस्सैल और कड़क रहने वाला एके अब मजाक भी करने लगा है। इस बीच एक फोन कॉल के आधार पर विभाग उसका कनेक्शन घोटाले के मास्टरमाइंड अशोक अग्रवाल से जोड़ देता है, जिसके चलते वो सस्पेंड हो जाता है। अब साक्षी के सामने पिता की यादाश्त वापस लाने और इस सबके पीछे सच्चाई का पता लगाने की चुनौती है। सवाल ये भी है कि एके ने आत्महत्या की कोशिश की थी या कत्ल की साजिश हुई?