Khufiya Review: रहस्य और रोमांच के साथ कलाकारों की दमदार अदाकारी, विशाल और तब्बू की शानदार वापसी
Khufiya Movie Review खुफिया एक जासूसी फिल्म है। विशाल भारद्वाज ने फिल्म का निर्देशन किया है। मकबूल और हैदर के बाद तब्बू एक बार फिर विशाल के निर्देशन में लौटी हैं। हालांकि विशाल के साथ उनकी यह चौथी फिल्म है। तलवार को विशाल ने प्रोड्यूस किया था। फिल्म की कहानी एक जासूस के इर्द-गिर्द है जिस पर गोपनीय सूचनाएं लीक करने का आरोप लगता है।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Thu, 05 Oct 2023 03:23 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। उपन्यासों के सिनेमाई रूपांतरण में फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज का नाम अग्रणी है। शेक्सपियर के नाटकों पर आधारित उनकी फिल्में ‘ओंकारा’, ‘मकबूल’ और ‘हैदर’ हिंदी सिनेमा की कालजयी फिल्मों में शामिल होती हैं।
अब उनकी फिल्म खुफिया अमर भूषण के उपन्यास 'एस्केप टू नो वेयर' पर आधारित है। सच्ची घटना पर आधारित इस उपन्यास का नायक केएम पुरुष है। हालांकि, विशाल का कहना है कि कोई पुरुष कलाकार इस भूमिका को निभाने को तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने इसे महिला पात्र में परिवर्तित कर दिया।
‘तलवार’ के बाद ‘खुफिया’ सत्य घटना पर आधारित विशाल की दूसरी फिल्म है। यहां पर भी रहस्य और रोमांच को गढ़ने में वह कामयाब रहे हैं।
क्या है खुफिया की कहानी?
खुफिया 2004 में सेट है। भारत और पाकिस्तान बांग्लादेश में एक महत्वपूर्ण चुनाव पर गहरी नजर रख रहे हैं। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर बातचीत चल रही है। इसमें अंकल सैम की भी दिलचस्पी है। शुरुआत में हम ढाका में जासूस आक्टोपस (अजमेरी हक) से परिचित होते हैं।
यह भी पढे़ं: Choona Review- बाहुबली शुक्ला के प्लान को छह ग्रहों ने लगाया चूना, राजनीति-अपराध और ज्योतिष का दिलचस्प गठजोड़
घटनाक्रम कुछ ऐसे मोड़ लेते हैं कि उसकी हत्या हो जाती है। उसके कत्ल से वरिष्ठ खुफिया रॉ एजेंट कृष्णा मेहरा उर्फ के एम (तब्बू) बौखला जाती है। पता चलता है कि दिल्ली में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में कोई गोपनीय सूचनाएं लीक कर रहा है। शक की सुई खुफिया विभाग का अधिकारी रवि मोहन (अली फजल) पर जाती है, जिसका रहन-सहन उसकी आय से मेल नहीं खाता।
वही खुफिया जानकारी लीक कर रहा है। रवि के परिवार में उसकी मां (नवनींद्र बहल), पत्नी चारू (वामिका गब्बी) और एक छह साल का बेटा है। उसके खिलाफ सुबूत जुटाने के लिए खुफिया विभाग एक टीम तैयार करता है। उसके घर में गोपनीय कैमरे लगाए जाते हैं। केएम की निजी जिंदगी की झलक मिलती है। रवि वाकई गद्दार हैं? अगर हां तो वह किसके हाथ की कठपुतली है? खुफिया विभाग क्या उन तक पहुंच पाएगा कहानी इस संबंध में हैं।
कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?
'खुफिया' से विशाल ने डिजिटल प्लेटफार्म पर पदार्पण किया है। हाल ही उनके द्वारा निर्देशित वेब शो चार्ली चोपड़ा एंड द मिस्ट्री आफ सोलांग वैली भी रिलीज हुआ है। शो ब्रिटिश उपन्यासकार अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास पर आधारित था। खुफिया में शुरू से अंत तक वह कहानी पर अपनी पकड़ बनाए रखते हैं। उन्होंने हर किरदार पर बारीकी से काम किया है। रॉ की कार्यप्रणाली की झलक कोई नई बात नहीं है, लेकिन रवि के घर की निगरानी का प्रसंग रोचक है। खास बात यह है कि विशाल और रोहन नरूला लिखित कहानी में कई ट्विस्ट एंड टर्न हैं, जो कहानी में रोमांच बनाए रखते हैं। चूंकि तब्बू के किरदार का लिंग बदला है तो कहानी में भी कुछ बदलाव होना लाजमी है।यह बदलाव कहानी को गति देते हैं। ‘खुफिया’ की मजबूत कड़ी इसके सभी मंझे कलाकार हैं। तब्बू किसी भी किरदार में सहजता से ढल जाने वाली अभिनेत्री हैं। रॉ एजेंट के किरदार में वह रमी नजर आती हैं। एक तरफ वह कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हैं तो दूसरी ओर निजी आकांक्षाओं को दबाये हुए हैं। वह दोनों में संतुलन साधते नजर आती हैं। उनकी मुस्कान, बंद होंठ और खूबसूरत आंखें कई बार बिना संवाद बहुत कुछ कह जाते हैं। विशाल के साथ तब्बू का यह चौथा प्रोजेक्ट है। यहां पर उन्हें रोमांस, ग्लैमर, प्रतिशोध जैसे सभी पहलुओं को जीवंत करने का मौका है, जिसे वह बखूबी निभा ले जाती हैं।फौजी की बेटी की भूमिका में उनका देशप्रेम साफ झलकता है। अली फजल का अभिनय प्रशंसनीय है। उन्होंने सीधे सादे रॉ एजेंट से लेकर उसकी बदली परिस्थिति के अनुसार आए बदलावों को बहुत सहजता से अंगीकार किया है। उनके चहेरे के भाव प्यार, डर और आशंकाओं को व्यक्त कर जाते हैं। फिल्म का खास आकर्षण रवि मोहन की मां बनी नवनींद्र बहल हैं। उन्हें कई शानदार सीन मिले हैं। वह उन दृश्यों में याद रह जाती हैं। बांग्लादेशी अभिनेत्री अजमेरी हक ने अपनी भूमिका को यादगार बनाया है। उन्हें तब्बू साथ कई दृश्य मिले हैं, जिसमें वह अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही हैं।रवि मोहन के घर की जासूसी के दौरान के दृश्य भी मनोरम हैं। घर में कैमरे लगने से अनजान चारू जिस बेफ्रिकी से गाती और नाचती है, वह लुभावना प्रसंग है। विशाल इस फिल्म के संगीतकार हैं। उन्होंने कबीर के दोहों का फिल्म में अच्छे से उपयोग किया है। कुल मिलाकर कलाकारों की अदायगी, संगीत, रोमांच और कौतूहल खुफिया को दर्शनीय बनाते हैं। यह भी पढ़ें: OTT Releases This Week- इस हफ्ते ओटीटी पर नहीं मिलेगी फुर्सत, रिलीज हो रही हैं इतनी फिल्में और वेब सीरीज
View this post on Instagram