Kill Movie Review: किलर एक्शन से भरा है फिल्म का एक-एक सीन, 'लक्ष्य' तक पहुंचने में सफल रहे करण जौहर
Kill Movie हिंसक फिल्मों की फेहरिस्त को लम्बा करती है। फिल्म में एक ट्रेन सफर के दौरान की घटनाए दिखाई हैं। न्यूकमर लक्ष्य लालवानी एनएसजी कमांडो के किरदार में हैं। फिल्म का निर्देशन अपूर्वा वाले निखिल नागेश भट्ट ने किया है। फिल्म एक्शन की तगड़ी डोज देती है। इससे पहले ऐसा क्रूर एक्शन एनिमल में देखा गया था। किल उसी जॉनर को आगे बढ़ाती है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। प्रमोशन के दौरान फिल्म किल (Kill Review) को देश की सबसे हिंसक फिल्म के तौर पर प्रचारित किया गया। वह उसमें पूरी तरह खरी उतरती है। फिल्म का अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा एक्शन, क्रूर और आक्रामक हिंसा से लबरेज है।
कई दृश्य इतने वीभत्स हैं कि नजरें घुमाना ही बेहतर लगता है। वैसे हिंसा से भरपूर फिल्में और सीरीज हिंदी सिनेमा के लिए नई बात नहीं हैं। रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म एनिमल में दिखाई गई हिंसा की काफी आलोचना हुई थी। किल उस मामले में बीस ही साबित होती है। यहां पर अच्छाई और बुराई की लड़ाई है, लेकिन किल देखने के लिए मजबूत कलेजा चाहिए।
नेपोटिज्म यानी भाई भतीजावाद को बढ़ावा देने को लेकर सोशल मीडिया में ट्रोल होने वाले फिल्ममेकर करण जौहर ने इस फिल्म से लक्ष्य लालवानी को मौका दिया है। लक्ष्य का फिल्म बिरादरी से कोई ताल्लुक नहीं है। टीवी पर पोरस धारावाहिक करने के बाद उन्होंने सिनेमा का रुख किया।
क्या है किल की कहानी?
कहानी चलती ट्रेन में कुछ घंटों की है, लेकिन उतने ही समय में इतनी मारकाट हो जाती है कि दिल दहल जाता है। एनएसजी कमांडो अमृत (लक्ष्य) को पता चलता है कि रांची में रहने वाली उसकी प्रेमिका तूलिका (तान्या मानिकतला) की सगाई होने वाली है। सगाई के बाद तूलिका को दिल्ली जाना होता है।
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वह अमृत को दिल्ली बुलाती है, लेकिन तूलिका को भगाने के इरादे से अमृत रांची पहुंच जाता है। उसका साथ देने उसका दोस्त विरेश (अभिषेक चौहान) भी आता है, लेकिन तूलिका इनकार कर देती है। अगले दिन तूलिका अपने रसूखदार पिता बलदेव सिंह ठाकुर (हर्ष छाया), बहन आहना (अद्रिजा सिन्हा) और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ दिल्ली के लिए ट्रेन से यात्रा पर निकलती है।इसी ट्रेन के दूसरे कोच में अमृत और उसका दोस्त होता है। अगले स्टेशन पर करीब चार दर्जन बदमाश ट्रेन में डकैती के इरादे से चढ़ जाते हैं। वे जैमर से मोबाइल नेटवर्क बंद कर देते हैं। देखते ही देखते ट्रेन में हर तरफ खून और मासूम लोगों की लाशें नजर आती हैं।
उनके नापाक इरादों में रोड़ा बनते हैं अमृत और वीरेश। वे डकैतों को मारते हैं, लेकिन जान से नहीं। फिर कुछ ऐसा होता है अमृत डकैतों को इतनी क्रूरता से मारता है कि उसके साथी भी कांप जाते है। एक दृश्य में डकैतों के सरगना का बेटा फणी (राघव जुयाल) अमृत से कहता है कि ऐसे कोई मारता है क्या बे?
तुुम रक्षक नहीं भक्षक हो, जिसने हमारे परिवार के चालीस लोगों को मार डाला। आखिर में अमृत का सपना भले ही पूरा नहीं होता, लेकिन तूलिका से किया वादा पूरा होता है।फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब