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Kill Movie Review: किलर एक्शन से भरा है फिल्म का एक-एक सीन, 'लक्ष्य' तक पहुंचने में सफल रहे करण जौहर

Kill Movie हिंसक फिल्मों की फेहरिस्त को लम्बा करती है। फिल्म में एक ट्रेन सफर के दौरान की घटनाए दिखाई हैं। न्यूकमर लक्ष्य लालवानी एनएसजी कमांडो के किरदार में हैं। फिल्म का निर्देशन अपूर्वा वाले निखिल नागेश भट्ट ने किया है। फिल्म एक्शन की तगड़ी डोज देती है। इससे पहले ऐसा क्रूर एक्शन एनिमल में देखा गया था। किल उसी जॉनर को आगे बढ़ाती है।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Wed, 03 Jul 2024 02:34 PM (IST)
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किलर 5 जुलाई को रिलीज हो रही है। फोटो- इंस्टाग्राम
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। प्रमोशन के दौरान फिल्‍म किल (Kill Review) को देश की सबसे हिंसक फिल्‍म के तौर पर प्रचारित किया गया। वह उसमें पूरी तरह खरी उतरती है। फिल्‍म का अस्‍सी प्रतिशत से ज्‍यादा हिस्‍सा एक्‍शन, क्रूर और आक्रामक हिंसा से लबरेज है।

कई दृश्‍य इतने वीभत्‍स हैं कि नजरें घुमाना ही बेहतर लगता है। वैसे हिंसा से भरपूर फिल्‍में और सीरीज हिंदी सिनेमा के लिए नई बात नहीं हैं। रणबीर कपूर अभिनीत फिल्‍म एनिमल में दिखाई गई हिंसा की काफी आलोचना हुई थी। किल उस मामले में बीस ही साबित होती है। यहां पर अच्‍छाई और बुराई की लड़ाई है, लेकिन किल देखने के लिए मजबूत कलेजा चाहिए।

नेपोटिज्‍म यानी भाई भतीजावाद को बढ़ावा देने को लेकर सोशल मीडिया में ट्रोल होने वाले फिल्‍ममेकर करण जौहर ने इस फिल्‍म से लक्ष्‍य लालवानी को मौका दिया है। लक्ष्‍य का फिल्‍म बिरादरी से कोई ताल्‍लुक नहीं है। टीवी पर पोरस धारावाहिक करने के बाद उन्‍होंने सिनेमा का रुख किया।

क्या है किल की कहानी?

कहानी चलती ट्रेन में कुछ घंटों की है, लेकिन उतने ही समय में इतनी मारकाट हो जाती है कि दिल दहल जाता है। एनएसजी कमांडो अमृत (लक्ष्य) को पता चलता है कि रांची में रहने वाली उसकी प्रेमिका तूलिका (तान्या मानिकतला) की सगाई होने वाली है। सगाई के बाद तूलिका को दिल्ली जाना होता है।

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वह अमृत को दिल्‍ली बुलाती है, लेकिन तूलिका को भगाने के इरादे से अमृत रांची पहुंच जाता है। उसका साथ देने उसका दोस्त विरेश (अभिषेक चौहान) भी आता है, लेकिन तूलिका इनकार कर देती है। अगले दिन तूलिका अपने रसूखदार पिता बलदेव सिंह ठाकुर (हर्ष छाया), बहन आहना (अद्रिजा सिन्हा) और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ दिल्‍ली के लिए ट्रेन से यात्रा पर निकलती है।

इसी ट्रेन के दूसरे कोच में अमृत और उसका दोस्‍त होता है। अगले स्‍टेशन पर करीब चार दर्जन बदमाश ट्रेन में डकैती के इरादे से चढ़ जाते हैं। वे जैमर से मोबाइल नेटवर्क बंद कर देते हैं। देखते ही देखते ट्रेन में हर तरफ खून और मासूम लोगों की लाशें नजर आती हैं।

उनके नापाक इरादों में रोड़ा बनते हैं अमृत और वीरेश। वे डकैतों को मारते हैं, लेकिन जान से नहीं। फिर कुछ ऐसा होता है अमृत डकैतों को इतनी क्रूरता से मारता है कि उसके साथी भी कांप जाते है। एक दृश्‍य में डकैतों के सरगना का बेटा फणी (राघव जुयाल) अमृत से कहता है कि ऐसे कोई मारता है क्‍या बे?

तुुम रक्षक नहीं भक्षक हो, जिसने हमारे परिवार के चालीस लोगों को मार डाला। आखिर में अमृत का सपना भले ही पूरा नहीं होता, लेकिन तूलिका से किया वादा पूरा होता है।

फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब

कैसा है किल का स्क्रीनप्ले? 

करण जौहर अपनी फिल्‍मों में भले ही रोमांस, डांस और पारिवारिक रिश्‍तों का ताना-बाना बुनते हो, लेकिन बतौर निर्माता वह प्रयोग करने से गुरेज नहीं कर रहे। उन्‍होंने गुनीत मोंगा और अचिन जैन के साथ मिलकर किल का निर्माण किया है। निखिल नागेश भट्ट इससे पहले तारा सुतारिया अभिनीत फिल्‍म अपूर्वा का निर्देशन भी कर चुके हैं।

उसमें भी हिंसा का क्रूर रूप वह दर्शा चुके हैं। किल की कहानी निखिल ने आयशा सैयद के साथ मिलकर लिखी हैं। वह शुरुआत में किरदारों को स्‍थापित करने में ज्‍यादा समय नहीं लेते और मुद्दे पर आते हैं। डकैतों के साथ मुठभेड़ आरंभ होने के बाद बीच-बीच के प्रसंग उसे और गहराते हैं।

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फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब

उसकी वजह से एक्शन का स्‍तर और चित्रण भी बदलता जाता है। कहानी ट्रेन के अंदर घटित हो रही है इसलिए अधिकांश एक्शन संकरी, भीड़भाड़ वाली ट्रेन के अंदर होता है। ऐसे में यहां पर कोई मनोरम दृश्‍य देखने को नहीं मिलेगा। बदमाशों और अमृत के साथ रोंगटे खड़े करने वाली लड़ाई के बावजूद फिल्‍म में गाली गलौज नहीं है।

रोमांचक हैं ट्रेन में रॉ एक्शन के दृश्य

फिल्‍म के एक्‍शन को लेकर कोरियाई एक्‍शन डायरेक्‍टर से-योंग ओह और परवेज शेख की तारीफ बनती है। उन्‍होंने ट्रेन में मौजूद उपकरणों जैसे जंजीर, एसी कोच के पर्दे और चादर, अग्निशमन गैस सिलेंडर आदि का उपयोग एक्‍शन दृश्यों में समुचित तरीके से किया है।

भरपूर एक्‍शन के बीच बलदेव का रसूख संवादों में बताया गया है, लेकिन कहानी में कहीं स्‍थापित नहीं हो पाया। तूलिका अपने पिता से डरती है, लेकिन उनके आपसी रिश्‍तों में वह डर नजर नहीं आता है।

लक्ष्‍य को इससे पहले धर्मा की ही फिल्‍म दोस्‍ताना 2 से लांच किया जाना था, लेकिन फिल्‍म बन नहीं पाई। किल में उन्‍हें भरपूर प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है। उसमें वह खरे उतरे हैं। उन्‍होंने स्‍थापित किया कि वह एक्‍शन हीरो के तौर पर विद्युत जामवाल, टाइगर श्राफ जैसे कलाकारों की श्रेणी में हैं।

फोटो- स्क्रीनशॉट/यू-ट्यूब 

कहां चूके निर्देशक नागेश भट्ट?

हिंदी फिल्‍मों की घिसी-पिटी परंपरा रही है नायक ही सब पर भारी पड़ता है। दोस्‍त उसके मुकाबले कमजोर पड़ता है। विरेश भी एनएसजी कमांडो है। ऐसे में उसे कमजोर दिखाना पचता नहीं है। उसके हिस्‍से दमदार सीन आने चाहिए थे। ‘ए सूटेबल ब्‍वॉय’ से अपनी पहचान बना चुकी तान्या मानिकताला खूबसूरत दिखी हैं।

उनकी हिरण जैसी बड़ी बड़ी आंखों बहुत कुछ कह जाती हैं। उनकी बहन की भूमिका में अद्रिजा सिन्हा प्रभावित करती हैं। खलनायक की भूमिका में राघव जुयाल का काम सराहनीय है। वह ठेठ देसी अंदाज में हैं। बीच-बीच में उनके संवादों में ह़यूमर है। यहां पर एक्‍शन का स्‍टाइल विशुद्ध देसी है। क्रूरता है, लेकिन बुरे का अंत देखना सभी चाहते हैं।