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Killers Of The Flower Moon Review: सच्‍ची घटना पर बनी शानदार फिल्‍म, Martin Scorsese का एक और नगीना

Killers Of The Flower Moon Review मार्टिन स्कॉर्सेसी और लियोनार्डो डिकैप्रियो की जोड़ी ने कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। किलर्स ऑफ द फ्लॉवर मून भी इस जोड़ी की शानदार पेशकश है जिसमें अभिनय से लेकर कहानी और प्रोडक्शन डिजाइन अलग ही स्तर का है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 27 Oct 2023 05:44 PM (IST)
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किलर्स ऑफ द फ्लॉवर मून रिलीज हो गयी है। फोटो- एक्स
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। प्रख्‍यात हालीवुड फिल्‍ममेकर मार्टिन स्कार्सेसी (Martin Scorsese) अपनी फिल्‍मों के जरिए बताते आए हैं कि बुराई के साथ कहानी कहने के कई तरीके हैं। उनकी नवीनतम फिल्‍म 'किलर्स आफ द फ्लॉवर मून' (Killers Of The Flower Moon) पत्रकार डेविड ग्रैन के इसी नाम से लिखे गए उपन्‍यास पर आधारित है, जो सच्ची अपराध कथा पर आधारित है। लियोनार्डो डिकैप्रियो लीड रोल में हैं।

20वीं सदी के अंत में ओक्लाहोमा के ओसेज काउंटी में रहने वाले आदिवासियों की भूमि पर तेल मिलने के बाद उनकी जिंदगी नाटकीय मोड़ लेती है। तेल से निरंतर कमाई उन्‍हें देश के अमीर लोगों में शुमार कर देती है। हालांकि, ओसेज को संपत्ति मिलने के साथ गोरे लोगों की ईर्ष्‍या भी मिलती है, जो उन्‍हें अयोग्‍य लोगों के तौर पर देखते हैं।

किलर्स ऑफ द फ्लॉवर मून दर्शाती है कि कैसे उस तरह की सोच अमेरिकी इतिहास में सबसे विलक्षण, नापाक हत्या अभियान में तब्‍दील हुई। अमेरिका में पहले ही रिलीज हो चुकी फिल्‍म वहां भी समीक्षकों की काफी सराहना बटोर चुकी है।

Killers Of Flower Moon की कहानी

कहानी साल 1920 में सेट है। गोरे लोगों द्वारा तेल पर स्वामित्व हासिल करने के लिए रची गई साजिशों के तहत तमाम ओसेज लोगों की हत्या कर दी जाती है। प्रथम विश्‍व युद्ध में पैदल सेना में बावर्ची रहा अर्नेस्ट बर्कहार्ट (लियोनार्डो डिकैप्रियो) अपनी आजीविका कमाने की तलाश में तेल-समृद्ध ओसेज में अपने पशुपालक चाचा विलियम किंग हेल (राबर्ट डी नीरो) के पास आता है, जो विशालकाय घर में अपने परिवार के साथ रहते हैं।

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हेल को ‘ओसेज हिल्‍स के राजा’ के रूप में जाना जाता है। उन्‍हें लोग किंग के नाम से संबोधित करते हैं। अर्नेस्‍ट को ओसेज की महिला मोली (लिली ग्लैडस्टोन) से प्‍यार हो जाता है। डायबिटीज की मरीज मौली अपनी बहनों मिन्नी (जिलियन डायोन), अन्ना (कारा जेड मायर्स), (जेने कोलिन्स) और बुजुर्ग मां लिजी क्यू की देखभाल करने की जिम्मेदारी संभालती है।

घटनाक्रम मोड़ लेते हैं। शादी के बाद एक-एक करके उसकी बहनों की हत्‍या हो जाती है। स्‍वजनों की मौत से आहत और बेहद बीमार चल रही मौली किसी तरह हिम्‍मत करके वाशिंगटन जाकर राष्‍ट्रपति से मदद की गुहार लगाती है। वहां से जांच का सिलसिला शुरू होता है।

कैसा है फिल्म का स्क्रीनप्ले और अभिनय?

स्कार्सेसी और सह लेखक एरिक रोथ की पटकथा के कई विवरण सीधे ग्रैन की किताब से लिए गए हैं और आर्थिक मताधिकार से वंचित करने की बड़ी प्रणाली को उजागर करने पर फोकस करते हैं, जो एक भ्रष्ट संरक्षकता कार्यक्रम के माध्यम से ओसेज पर थोपा गया था।

नियमों के तहत धन प्रबंधन के लिए गोरों को अभिभावक बनाना अनिवार्य था। साथ ही अर्नेस्ट बर्कहार्ट और उसकी पत्‍नी मोली पर भी केंद्रित करते हैं। उनकी कहानियां निस्संदेह एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। फिल्‍म देखते हुए ओसेज के लोगों के प्रति सहानुभूति पैदा होती है।

स्कोर्सेसी ने मानवीय भावनाओं की जटिलता के साथ लालच और धोखे की पराकाष्ठा को दर्शाया है। उन्‍होंने इस कहानी को भव्‍यता के साथ अंतरंगता दोनों प्रदान की है। फिल्‍म का कैमरावर्क शानदार है। स्कार्सेसी और उनके तकनीकी सहयोगी उस दौर की वेशभूषा,सामाजिक आचरण और व्‍यवहार,राजनीतिक और पारिवारिक मर्यादाओं का कहानी में समावेश करते हैं।

उनके चित्रांकन के लिए आवश्‍यक भव्‍यता से वे नहीं हिचकते। फिल्‍म में हर पहलू पर बहुत बारीकी से काम हुआ है। विशेष रूप से जिस तरह से यह दिखाती है कि दवा, भोजन और शराब जैसी रोजमर्रा की जिंदगी की चीजों को किसी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों द्वारा कैसे हथियार बनाया जा सकता है। वह झकझोरता है।

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फिल्‍म की शुरुआत में अर्नेस्ट बर्कहार्ट की भूमिका में लियोनार्डो डिकैप्रियो जब स्टीम इंजन की ट्रेन से उतरकर फेयरफैक्स क्षेत्र में भीड़ भरे ट्रेन प्लेटफॉर्म पर उतरते हैं, तो लगता है, जैसे कोई बच्चा अजनबियों की भीड़ में भटक गया हो। कुछ तलाश रहा है। चाचा का प्रभुत्‍व उस पर गहरा है।

हालांकि, चाचा के इरादों से वह नावाकिफ नहीं है। पैसों को लेकर वह बेहद लालची है। उनके किरदार में कई परतें हैं। वह उन भावों को बहुत सहजता से परदे पर जीते हैं। फिल्‍म का खास आकर्षण मोली है। उनकी परफार्मेंस शानदार है।

कम संवादों के साथ उनके चेहरे के हावभाव और बाडी लैंग्वेज उनकी खुशी, व्‍यथा और दर्द को बयां कर जाते हैं। किंग की भूमिका में राबर्ट डी नीरो का काम उत्‍कृष्‍ट है। यह किरदार उनके अलावा कोई नहीं निभा सकता था। सहयोगी भूमिकाओं में आए कलाकार भी अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहते हैं।