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Kota Factory Season 3 Review: तीसरे सीजन के साथ लौटी कोटा फैक्ट्री, अलग तेवरों के साथ दिखी जीतू भैया की पलटन

कोटा फैक्ट्री ओटीटी की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली सीरीजों में से एक है। इस सीरीज का निर्माण टीवीएफ ने किया है। सीरीज का पहला सीजन 2019 में आया था और अब तीसरा सीजन पांच साल बाद आया है। शो में पंचायत के सचिव जी जितेंद्र कुमार जातू भैया के रोल में नजर आते हैं। उनके अलावा मयूर मोरे और एहसास चन्ना भी अहम किरदारों में हैं।

By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Updated: Thu, 20 Jun 2024 06:20 PM (IST)
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कोटा फैक्ट्री का तीसरा सीजन रिलीज हो गया है। फोटो- इंस्टाग्राम
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। देश में इस वक्त नीट (NEET) और नेट (NET) का मुद्दा छाया हुआ है। इन दो परीक्षाओं पर लाखों विद्यार्थियों का भविष्य टिका रहता है और फिलहाल दोनों परीक्षाएं सवालों के घेरे में हैं। 

प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित धांधली के इस माहौल में कोटा फैक्ट्री का तीसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गया है, जिसकी कहानी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों और कोचिंग संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों के जीवन को दिखाती है।

कोटा फैक्ट्री सीरीज की घटनाएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे लाखों विद्यार्थियों को जोड़ती हैं और यही इस सीरीज के पिछले सीजनों की लोकप्रियता की वजह है। कोटा फैक्ट्री का तीसरा सीजन कोचिंग संस्थानों की आपसी खींचतान से अधिक इसके प्रमुख किरदारों की व्यक्तिगत कहानियों पर केंद्रित रखा गया है।

पंचायत में सचिव जी का किरदार निभाने वाले जितेंद्र कुमार जीतू भैया के रोल में लौटे हैं। जितेंद्र को इसी सीरीज से जीतू भैया का उपनाम मिला है, जो फिजिक्स का टीचर है। कोटा फैक्ट्री का तीसरा सीजन पिछले दोनों सीजनों की विरासत को आगे बढ़ाता है और दर्शक को जोड़कर रखता है।

क्या है तीसरे सीजन की कहानी?

तीसरे सीजन की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां दूसरा सीजन खत्म हुआ था। जीतू भैया अपने स्टूडेंट की सुसाइड से उबरे नहीं हैं। इस अपराधबोध का उन पर मानसिक रूप से गहरा असर हुआ है और मनोचिकित्सक की मदद ले रहे हैं।

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उनके तीनों प्रिय स्टूडेंट्स वैभव, मीना और उदय अपने एग्जाम की तैयारियों में जुट हैं। जेईई और नीट परीक्षाएं पास करने के मकसद के अलावा उनकी अपनी-अपनी चुनौतियां भी हैं। मीना के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। वो ट्यूशन पढ़ाना शुरू करती है।

वैभव का मिजाज बदलते देख वर्तिका नये स्टडी पार्टनर की तलाश में है। शिवांगी नीट की तैयारी के दवाब में है। ये सभी कैसे अपनी-अपनी समस्याओं का सामना करते हैं, इसे कहानी में पिरोया गया है। तीसरे सीजन को पांच एपिसोड्स में बांटा गया है।

कैसा है शो का स्क्रीनप्ले और अभिनय?

42 से 48 मिनट्स के चार एपिसोड्स हैं, जबकि पांचवें एपिसोड की अवधि लगभग एक घंटा है। पंचायत सीजन 3 और गुल्लक सीजन 4 के बाद टीवीएफ की सीरीज कोटा फैक्ट्री एक महीने से भी कम अवधि में आई है। कोचिंग क्लासेज में पढ़ रहे मध्यमवर्गीय विद्यार्थियों की लक्षित करके बनाई गई सीरीज वहीं चोट करती है, जहां जरूरी है।

कोटा फैक्ट्री ऐसी सीरीज है, जहां कहानी को आगे बढ़ाने की तमाम सम्भावनाएं हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की फैक्ट्री बने कोचिंग संस्थान, एक-दूसरे से आगे निकलने की निर्लज्ज होड़, पारिवारिक और सामाजिक दबाव में जिंदगी की जंग हारते विद्यार्थी, ऐसे तमाम विषय देखे और सुने से लगते हैं। 

फोटो- इंस्टाग्राम/नेटफ्लिक्स

जीतू भैया के किरदार में दिखे नये रंग

तीसरे सीजन में जीतू भैया का किरदार दो हिस्सों में बंटा नजर आता है। एक तरफ वो अपने अतीत से जूझ रहा है, दूसरी ओर उसकी स्टूडेंट्स के लिए भी कुछ जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें पूरा करने की कोशिश में जुटा है। जितेंद्र कुमार ने इस ट्रांसफॉर्मेशन को बेहद सरलता से पेश किया है। पहले और दूसरे सीजनों के मुकाबले तीसरे सीजन में कैरेक्टर ग्राफ का बदलाव साफ महसूस होता है। 

कोटा फैक्ट्री की खूबी इसकी स्टार कास्ट भी है, जो अपने-अपने किरदारों में मुकम्मल लगती है। वैभव पांडेय के किरदार में मयूर मोरे, बालमुकुंद मीना के किरदार में रंजन राज, उदय गुप्ता के रोल में आलम खान, शिवांगी राणावत के रोल में एहसास चन्ना  मीना के किरदार में एहसास चन्ना, वर्तिका के रोल में रेवती पिल्लई और मीनल के रोल में ऊर्वी सिंह ने अपने किरदारों को कामयाबी के साथ जीया है।

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फोटो- इंस्टाग्राम/नेटफ्लिक्स

जीतू भैया की कोचिंग एमर्स में एडहॉक कैमिस्ट्री टीचर के किरदार में तिलोत्तमा शोम की एंट्री इस बार का हाइलाइट है। इस किरदार के जरिए कोटा की एजुकेशन की फैक्ट्री वाली इमेज को धुंधला करने की कोशिश भी की गई है। 

पुनीत बत्रा, प्रवीन यादव, निकिता लालवानी, मनीष चांदवानी के लेखन में पुराने सीजनों की रवानगी है। निर्देशक प्रतीश मेहता कलाकारों से उपयुक्त भाव निकलवाने में सफर रहे हैं। ब्लैक एंड व्हाइट में दिखाई जा रही सीरीज एक तरह से पुरानी यादों का संयोजन है, जो वर्तमान में भी उतना ही सामयिक और जज्बाती है।