Movie Review: बड़े सितारों की एक साधारण फिल्म 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान', मिले बस 'दो स्टार'
कुल मिलाकर ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान कमर्शियल जोन में एक साधारण फिल्म है! जिसे जिज्ञासा के कारण एक बार देख सकते हैं!
By Hirendra JEdited By: Updated: Fri, 09 Nov 2018 07:13 AM (IST)
-पराग छापेकर
स्टार कास्ट: आमिर ख़ान, अमिताभ बच्चन, कटरीना कैफ़ और फातिमा सना शेखनिर्देशक: विजय कृष्ण आचार्य
निर्माता: यशराज फिल्म्सभारतीय सिनेमा का इतिहास कुछ ऐसा रहा है जहां कई बार अच्छी फिल्में भी फ्लॉप हो जाती हैं तो बुरी फिल्में भी हिट हो जाती है! 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान' को लेकर फिल्म दर्शकों में अच्छी खासी उम्मीद बन रही थी। क्योंकि इस फ़िल्म में मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर ख़ान और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पहली बार साथ आ रहे हैं।
इसका मतलब यह निकाला गया कि शायद फिल्म इतनी मनोरंजक हो और कहानी इतनी दमदार हो कि दोनों इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए? बड़े-बड़े किले, पानी पर चलने वाले ज़ंगी जहाज और ग्रैंड प्रोडक्शन वैल्यू! एक्शन और एडवेंचर से भरपूर! साथ ही जो दावा किया गया कि यह फिल्म 300 करोड़ में बनी है तो जाहिर तौर पर एक भव्य फिल्म बनाने का प्रयास किया गया है।फिल्म की कहानी 1795 के भारत की दिखाई गई है जिसमें दिखाया गया है और जैसा हमारा इतिहास भी है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई व्यापार करने के लिए थी मगर धीरे-धीरे उसने अपनी हुकूमत चलानी शुरू कर दी! और इसके विरोध में जो लोग उतरे वह लोग आजाद कहलाए जिसका नेतृत्व खुदा बख्श यानी अमिताभ बच्चन करते हैं और दूसरी तरफ है फिरंगी यानी आमिर ख़ान जिसका काम है अंग्रेजों के लिए मुखबिरी करना! उसे यह काम सौंपा जाता है कि वो आजाद का पता लगाये! क्या फिरंगी इस मकसद में कामयाब होगा या फिरंगी खुद आजाद के चुंगल में फंस जाएगा? इसी ताने-बाने पर बुनी गई है फिल्म- 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान'।
'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान' आज की राजनीति की तरह हो गई है मसलन चकाचौंध से भरपूर मगर मूलभूत मुद्दों का अभाव! दो चमकते-चमकते सितारों के साथ निर्देशक विजय कृष्ण आचार्य अधपकी कहानी को लेकर मैदान में उतर गए! स्क्रीनप्ले को उन्होंने अपनी सहूलियत के हिसाब से जहां-तहां घुमा दिया! भले वो तार्किक हो या ना हो! कई सारे किरदारों को डेवलप करना वह भूल ही गए! जब आप इतिहास की बात करते हैं, स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो जाहिर है लॉर्ड क्लाइव जिन्होंने साम्राज्य का विस्तार किया उनकी मृत्यु किसी काल्पनिक घटना के तहत नहीं हो सकती थी!यह इतिहास से छेड़छाड़ है। आमिर की ही फिल्म लगान की तरह लॉर्ड क्लाइव का नाम किसी और काल्पनिक नाम पर रखा जा सकता था। कुल मिलाकर आधी पकी कहानी और स्क्रीनप्ले पर काम हुआ है और वह साफ नजर भी आता है! स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले पर काम किया जाता तब इतने बड़े बजट की फ़िल्म और भी बेहतरीन बन जाती। ऐसा नहीं है कि फिल्म में मनोरंजन नहीं है। तमाम सारी कमियों के बावजूद भी आप यह फिल्म एक बार देख सकते हैं आपके बच्चों को यह फिल्म पसंद आ सकता है।
अभिनय की बात करें तो खुदा बख्श के किरदार में अमिताभ बच्चन सुपर हीरो की तरह पूरी फिल्म में छाए रहते हैं! आमिर ख़ान फिरंगी के किरदार में जमे तो बहुत है पर लगता है उन्होंने दूसरों के डायलॉग्स भी अपने हिस्से में ही कर लिए! इन दो किरदारों के अलावा विजय कृष्ण आचार्य ने बाकी किरदारों में कोई दिलचस्पी दिखाई ही नहीं तो उनके परफॉर्मेंस की बात करना संगत नहीं होगा।कुल मिलाकर 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान' कमर्शियल जोन में एक साधारण सी फिल्म है। जिसे जिज्ञासा के कारण एक बार देख सकते हैं। शायद इस जिज्ञासा के चलते फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट भी हो जाए मगर कुल मिलाकर यह एक सामान्य फिल्म है।
जागरण डॉट कॉम रेटिंग: 5 (पांच) में से 2 (दो) स्टारअवधि: 2 घंटे 44 मिनट