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Mrs Undercover Review: मिशन से ज्यादा घर की कहानी है राधिका आप्टे की फिल्म, कहानी से हास्य और रोमांच गायब

Mrs Undercover Review मिसेज अंडरकवर जी5 पर स्ट्रीम हो गयी है। यह कॉमेडी स्पाइ फिल्म है जिसमें राधिका आप्टे ने अंडरकवर एजेंट का किरदार निभाया है। फिल्म में सुमित व्यास और राजेश शर्मा सहयोगी किरदारों में हैं। फिल्म कैसी है जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 14 Apr 2023 12:25 PM (IST)
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Mrs Undercover Review Radhika Apte Sumeet Vyas. Photo- Instagram
प्रियंका सिंह, मुंबई। स्पाई कामेडी फिल्म मिसेज अंडरकवर अनुश्री मेहता के निर्देशन में बनी पहली है। कहानी शुरू होती है एक हत्या के साथ। अजय (सुमित व्यास) सामाजिक कार्यकर्ता है, लेकिन उसे आत्मनिर्भर और सशक्त महिलाओं से दिक्कत है।

वह उन्हें मार देता है। वहां से कहानी आती है कोलकाता में रहने वाली दुर्गा (राधिका आप्टे) पर, जो गृहणी है और अपने पति, सास-ससुर और बच्चे का ख्याल रखने में खुश है। पुलिस के साथ स्पेशल फोर्स के मुखिया (राजेश शर्मा) हत्यारे की तलाश में लगे हैं।

स्पेशल फोर्स के सारे एजेंट्स को किलर अजय मार चुका है। ऐसे में फोर्स एक एजेंट की तलाश में हैं। उन्हें अपने ऑफिस में मौजूद फाइल से पता चलता है कि एक एजेंट है, जिसकी ट्रेनिंग 10 साल पहले हुई तो थी, लेकिन उसे कभी कोई मिशन नहीं दिया गया। वह एंजेंट दुर्गा ही है। क्या दुर्गा इस मिशन के लिए हां कहेगी, क्या स्पेशल फोर्स किलर को पकड़ पाएगी कहानी इस पर आगे बढ़ती है।

कैसे हैं कथा, पटकथा संवाद और निर्देशन?

फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद और निर्देशन अनुश्री मेहता का है। इतनी जिम्मेदारियों के चक्कर में कहानी से हास्य और रोमांच दोनों गायब हैं। फिल्म के शुरू में ही किलर का चेहरा दिखा दिया जाता है। उसके बाद कहानी बस घिसटती चली जाती है। बीच-बीच में हाउसवाइफ (गृहिणी) शब्द का जिक्र होते ही एक लंबा-चौड़ा ज्ञान और मोनोलॉग चलने लगता है।

फिल्म में भले ही हास्य का जॉनर मिलाया गया हो, लेकिन पुलिस और स्पेशल फोर्स को इतना बेवकूफ दिखाना पचता नहीं है। देश की रक्षा करने की ट्रेनिंग ले चुकी दुर्गा मिशन से ज्यादा पति की बेवफाई पर उसे सबक सिखाने में दिलचस्पी दिखाती है।

स्पेशल फोर्स के चीफ और उसकी एजेंट के बीच की बातचीत हास्य पैदा नहीं कर पाती है। किलर का महिला मुख्यमंत्री को निशाने बनाने का एंगल बचकाना है, जहां केवल एक नौसिखिए एजेंट पर उसे बचाने की जिम्मेदारी होती है।

जब किलर को लगता है कि उसकी मां भी महिला सशक्तिकरण की बात कर रही है, तब वह अपनी मां की भी हत्या कर देता है। लेकिन वह ऐसा क्यों है, क्यों उसे महिलाओं के सशक्त होने से दिक्कत हैं, उसके बारे में बताने की आवश्यकता अनुश्री ने नहीं समझी।

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

ओटीटी पर निरंतर काम कर रहीं राधिका आप्टे अच्छी कलाकार हैं। उन्हें फिल्म में एक्शन करने का मौका भी मिला है, फिर भी वह प्रभावित नहीं कर पाती हैं, क्योंकि कमजोर कहानी उन्हें ऐसा करने नहीं देती है। राजेश शर्मा, सुमित व्यास का काम भी औसत दर्जे का ही है।

फिल्म के क्लाइमेक्स में लाल साड़ी और सिंदूर में गृहणियों का किलर को मारने वाला सीन धारावाहिक जैसा लगता है। अंत में सीक्वल का इशारा भी है। गीत-संगीत ऐसा नहीं कि फिल्म खत्म होने का बाद याद रहे।

मुख्य कलाकार- राधिका आप्टे, सुमित व्यास, राजेश शर्मा

निर्देशक- अनुश्री मेहता

अवधि- एक घंटा 47 मिनट

प्लेटफार्म- जी5

रेटिंग- डेढ़