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मुंबई डायरीज, मायानगरी में होने वाली घटनाओं की पृष्ठभूमि में एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और मरीजों की जिंदगी को दिखाती है।
मुंबई डायरीज के पहले सीजन में 26 नवम्बर को हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर कहानी गढ़ी गयी थी, वहीं दूसरा सीजन 26 जुलाई को आई ऐतिहासिक बाढ़ की बैकग्राउंड पर आधारित है। हालांकि, शो में इन दोनों घटनाओं के घटित होने के वर्षों को दिखाने में लिबर्टी ली गयी है।
लगातार कई घंटों तक हुई भारी बारिश ने मुंबई को पानी-पानी कर दिया था, मगर 'मुंबई डायरीज 2' में शहर के हालात और उसकी वजह से पैदा होने वाली दिक्कतों को सिर्फ वहीं तक सीमित किया गया है, जहां उनका संबंध किसी ना किसी तरह
बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल से जुड़ता है।दूसरा सीजन रोमांच के स्तर पर पहले सीजन से पिछड़ जाता है, मगर प्रमुख किरदारों के साथ होने वाली घटनाएं भावनाओं का ज्वार-भाटा खूब लेकर आती है। सारे किरदार खुद से जूझते नजर आते हैं।
क्या है दूसरे सीजन की कहानी?
दूसरे सीजन की शुरुआत पहले सीजन में दिखायी गयी घटनाओं के 6 महीने बाद 25 जुलाई से होती है, जब शहर में भारी बारिश होना शुरू हुई थी। 26/11 में मारे गये पुलिस अधिकारी अनंत केल्कर की पत्नी मिसेज केल्कर (
सोनाली कुलकर्णी) ने बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल के ट्रॉमा विभाग के अध्यक्ष डॉ. कौशिक ओबेरॉय (
मोहित रैना) पर मर्डर का केस बॉम्बे हाई कोर्ट में कर दिया है, जिस पर 31 जुलाई को फैसला आने वाला है।
लोगों ने भी मान लिया है कि उच्च न्यायालय का फैसला ओबेरॉय के खिलाफ ही आएगा और उसका करियर खत्म हो जाएगा। डॉ. रोमानी ने खुद को ओबेरॉय का उत्तराधिकारी भी मानना शुरू कर दिया है।26/11 के हमलों में अपनी मां को खोने से टूट चुकी डॉ. दीया पारेख (
नताशा शर्मा) ने वकीलों के सवालों में उलझकर डॉ. ओबेरॉय के खिलाफ अदालत में गवाही दे दी है, मगर यह बात उसे भीतर ही भीतर खाये जा रही है। इधर, मुंबई में बारिश और तूफान बढ़ता जा रहा है।
रास्तों पर वाहनों की लम्बी-लम्बी कतारें लग गयी हैं। लोग कमर तक पानी में डूबकर रास्तों पर चल रहे हैं। कई जगह जाम के हालात हैं। इन सबके बीच सोशल सर्विस विभाग की हेड चित्रा दास (
कोंकणा सेन शर्मा) की निजी जिंदगी में उस समय तूफान आता है, जब एक विदेशी डॉक्टरों के डेलिगेशन में उसका पति डॉ. सौरव चंद्रा (
परमब्रत चटर्जी) भी अस्पताल पहुंचा है।
घरेलू हिंसा से बचने के लिए चित्रा लंदन से उसे छोड़कर भाग आयी थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि चंद्रा उसे खोज निकालेगा। हालांकि, वो दिखाता यही है कि उसे रत्तीभर भी अंदाजा नहीं था, चित्रा उस अस्पताल में काम करती है।चंद्रा के आने का असर चित्रा और डॉ. अहान मिर्जा (
सत्यजीत दुबे) के रिश्तों पर भी पड़ता है। चित्रा का करीबी होने की वजह से मिर्जा डॉ. चंद्रा के निशाने पर भी आ जाता है। तीसरी सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर सुजाता अजावले (
मृणमयी देशपांडे) को एक मरीज की मदद के लिए प्रोटोकॉल तोड़ने पर सस्पेंड होना पड़ता है, मगर सस्पेंशन भी उसे गलत को सही करने से नहीं रोक पाता।
कैसा है दूसरे सीजन का स्क्रीनप्ले?
इस सीजन के आठ एपिसोड्स का स्क्रीनप्ले यश छेतिजा और परसिस सोडावाटरवाला ने लिखा है, जबकि संवाद संयुक्ता चावला शेख के हैं। आतंकी हमलों के बाद हुए नुकसान से अस्पताल अभी पूरी तरह उबरा नहीं है। आतंकी घटना के निशान अस्पताल की बिल्डिंग के साथ लोगों के मन में भी बाकी है। मरम्मत का काम चल रहा है। इस बीच डॉक्टर उसी शिद्दत से मरीजों के इलाज कर रहे हैं।
शुरुआत के पांच एपिसोड्स मुख्य रूप से डॉ. कौशिक और चित्रा दास की निजी जिंदगी की उलझनों को समर्पित हैं। डॉ. कौशिक अपने कोर्ट केस में उलझा है। इस केस के फैसले पर उसका भविष्य टिका है।इसके अलावा गर्भवती पत्नी
अनन्या एक कार्यक्रम में शामिल होने पुणे जाती है, मगर भारी बारिश के कारण लगे लम्बे जाम में अपनी कार में फंसी रह जाती है। उधर, चित्रा दास पति डॉ. सौरव के आने की वजह से बार-बार अपने कड़वे अतीत को याद कर रही है। वो उसका सामना करने की हिम्मत जुटा रही है।
ड़ॉ. पारेख, डॉ. सुजाता अजावले, नर्स विद्या से जुड़े साइड ट्रैक्स कहानी को आगे बढ़ाने और एकरूपता तोड़ने में मदद करते हैं। डॉ. पारेख जिस बर्न पेशेंट का इलाज कर रही है, वो अपनी पहचान को लेकर जूझ रहा है। उसका नाम संदीप है, मगर वो खुद को संजना मानता है और चाहता है कि उसका परिवार इसे स्वीकार करे।
डॉ. अजावले के जरिए जुवेनाइल होम में बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न का मुद्दा उठाया गया है। वहीं, एक्सीडेंट का शिकार सबा नाम की बच्ची के जरिए सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स के जज्बे को दिखाया गया है कि किस तरह कम सुविधाओं में भी वो मरीजों की जाने बचाने के लिए जुटे रहते हैं और इस क्रम में कुछ नियमों की अनदेखी भी की जाए तो वो जीवन से बढ़कर नहीं है। दादर स्टेशन पर ब्रिज गिरने की घटना को मुंबई शहर में बिल्डर्स के भ्रष्टाचार पर कमेंट किया गया है। मुंबई में बाढ़ के हालात की रिपोर्टिंग के जरिए मीडिया की स्थिति पर टिप्पणी की गयी है। न्यूज टुडे चैनल की एंकर मानसी हिरानी (
श्रेया धन्वंतरी) इस बार चैनल की पॉलिसीज के खिलाफ स्टैंड लेती है और चैनल के उस नैरेशन का विरोध करती है, जिसमें मुंबई स्पिरिट का हवाला देकर बदहाली के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध रिपोर्टिंग करने से रोका जाता है। अपनी छवि को बचाने के लिए डॉ. कौशिक की बलि चढ़ाने को तैयार आइसीएम की राजनीति को दिखाया गया है। आखिरी तीन एपिसोड सीरीज की जान हैं। इन तीन एपिसोड्स में होने वाली घटनाएं रोमांच को चरम पर ले जाती है और तीन एपिसोड्स में डॉ. कौशिक, चित्रा दास, डॉ. अहान मिर्जा, डॉ. पारेख, डॉ. अजावले और सीएमओ डॉ. सुब्रमण्यम की जिंदगी में अहम मोड़ आते हैं। यह भी पढ़ें:
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कैसा है कलाकारों का अभिनय?
अभिनय की बात करें तो डॉ. ओबेरॉय के किरदार में
मोहित रैना पूरी तरह छा जाते हैं। इस किरदार के दर्द और छटपटाहट को वो महसूस करवाते हैं। पत्नी अनन्या के अंतिम क्षणों में मोहित की अदाकारी भावुक कर देती है। इन दृश्यों में अनन्या बनी
टीना देसाई की अदाकारी काबिले-तारीफ है। चित्रा दास के किरदार में
कोंकणा सेन शर्मा ने चित्रा दास के डर और हिम्मत को बखूबी दिखाया है।
परमब्रत चटर्जी ने डॉ. सौरव चंद्रा के किरदार के स्याह पक्ष को सफलता के साथ पेश किया है। इस किरदार को दूसरे सीजन का मुख्य विलेन माना जा सकता है।डॉ. पारेख के किरदार में नताशा शर्मा, लगातार 50 घंटे शिफ्ट कर रहे डॉ. अहान मिर्जा के रोल में सत्यजीत दुबे, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली डॉ. अजवाले के किरदार में मृणमयी देशपांडे ने प्रशंसनीय परफॉर्मेंस दी है।
सीएमओ डॉ. मधुसूदन सुब्रमण्यम का किरदार पहले सीजन के मुकाबले अधिक अहम हुआ है, जिसमें
प्रकाश बेलावड़ी ने जान फूंक दी है। सहयोगी किरदारों में सबसे ज्यादा प्रभावित हेड नर्स चेरियन बनी
बालाजी गौरी करती हैं। मानसी हिरानी के किरदार में
श्रेया धन्वंतरी जंचती हैं। गायनोकॉलॉजिस्ट डॉ. संध्या के किरदार में
रिद्धि डोगरा की भूमिका संक्षिप्त है, मगर अहम है।
निखिल आडवाणी का निर्देशन सधा हुआ है और इमोशनल सींस में भावनाओं को ऊभारने में कामयाब रहे हैं।मुंबई डायरीज की प्रोडक्शन टीम की तारीफ भी करनी होगी, जिन्होंने बॉम्बे जनरल हॉस्पिटल को पर्दे पर साकार किया है। अस्पताल के अंदर बाढ़ का पानी घुसने के दृश्य सच्चे लगते हैं। अस्पताल के अंदर हो रही विभिन्न घटनाओं को दिखाने में सिनेमैटोग्राफी की भूमिका भी अहम रही है।