Move to Jagran APP

Notebook Movie Review: दिल छू लेने वाला है इस नोटबुक का संदेश, मिले इतने स्टार्स

Notebook Movie Review-नोटबुक की पूरी शूटिंग कश्मीर की वादियों में हुई है। कुदरती दिलकश नज़ारे इस फिल्म की जान हैं और उन्हें मनोज कुमार खटोई ने खूबसूरती से कैमरे में उतारा है l

By Manoj KhadilkarEdited By: Updated: Fri, 29 Mar 2019 01:01 PM (IST)
Notebook Movie Review: दिल छू लेने वाला है इस नोटबुक का संदेश, मिले इतने स्टार्स
मनोज खाडिलकर

फिल्म - नोटबुक ( Notebook )

स्टार कास्ट - जहीर इकबाल और प्रनूतन बहल

निर्देशक - नितिन कक्कड़

निर्माता - सलमान खान, मुराद खेतानी, अश्विन वर्दे

कश्मीर की समस्या वर्षों से जस की तस बनी हुई है। घाटी में बच्चों और नौजवानों को बरगला कर बन्दूक उठाने पर मजबूर करने वालों के ख़िलाफ़ लगातार कोशिशें जारी हैं और उसी कड़ी में फिल्म नोटबुक भी जुड़ जाती है। फिल्म की कहानी और उसका संदेश कश्मीर के उन परिवारों के लिए है, जो बताता है कि बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए न कि गन।

सबसे पहले सलमान खान को इस बात के लिए बधाई दी जा सकती है कि उन्होंने इस तरह की कहानी पर फिल्म बनाई है। दिल को छू लेने वाली कहानी और उसके पीछे दिया गया बड़ा मैसेज इस फिल्म को बड़ा बनाता है। फिल्म नोटबुक की कहानी कश्मीर की एक झील के बीचों बीच बने वूलर पब्लिक स्कूल की है। कबीर और फिरदौस की। बिना बिजली, पानी और मोबाइल के नेटवर्क के बीच इस स्कूल में कभी एक टीचर यानि फिरदौस बच्चों को घर से बुला बुला कर पढ़ाती थीं और उनके चले जाने के बाद एक सर यानि कबीर को वहां भेजा जाता है। बच्चों की कॉपी-किताबों के साथ वहां एक नोटबुक होती है जो मैडम टीचर वहां छोड़ जाती हैं। बस उसी नोटबुक के सहारे कबीर को फिरदौस से प्यार हो जाता है और बाद में फिरदौस को कबीर से। दोनों ने एक दूसरे को देखा भी नहीं होता।

यह भी पढ़ें: Junglee Movie Review: हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और

नोटबुक साल 2014 में आई थाई फिल्म टीचर्स डायरी का हिंदी एडाप्टेशन है। सलमान खान ने नोटबुक के जरिये अपने दोस्त के बेटे जहीर इकबाल और जानी मानी अभिनेत्री नूतन की ग्रैंडडॉटर प्रनूतन बहल को बॉलीवुड से इंट्रोड्यूस किया है। दोनों अपने अपने काम से प्रभावित करते हैं और काफ़ी आगे जा सकते हैं । डी-ग्लैमरस रोल से फिल्मों में लॉन्च होना किसी फीमेल आर्टिस्ट के लिए बड़ी चुनौती होती है और प्रनूतन ने उसे निभाया है लेकिन अभिनय की विरासत को पीछे छोड़ कर उन्हें प्रोमिसिंग बनने के लिए अभी कड़ी मेहनत करनी होगी। 

नोटबुक की पूरी शूटिंग कश्मीर ( जम्मू) की वादियों में हुई है। कुदरती दिलकश नज़ारे इस फिल्म की जान हैं और उन्हें मनोज कुमार खटोई ने खूबसूरती से कैमरे में उतारा है, लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग उतने इम्प्रेसिव नहीं हैं ।

फिल्म का निर्देशन नितिन कक्कड़ ने किया है, जिसमें दम है l उन्होंने इससे पहले फिल्मिस्तान और मित्रों नाम की फिल्म का निर्देशन किया था। नोटबुक में छह बच्चे भी हैं, जिनके सहारे फिल्म की कहानी चलती है और सभी ने बहुत ही अच्छा और नेचुरल अभिनय किया है।

नोटबुक, आमतौर की हिंदी फिल्मों की तरह लव स्टोरी नहीं है लेकिन इमोशनल और रोमांटिक का मिश्रण जरूर है। कश्मीर के हालात में बच्चों की शिक्षा जोर दिये जाने और उन्हें आतंक के अंधेरे में धकेले जाने से रोकने का ये सन्देश नोटबुक को सराहनीय बनाता है। इस फिल्म को पांच में से 3 स्टार मिलते हैं।

अवधि - 2 घंटे 12 मिनिट

स्टार - *** ( 5 में से 3 स्टार)