Operation Valentine Review: जुनून, जांबाजी और जज्बा भरपूर, मगर रोमांच के रनवे पर बिखर गई कहानी
Operation Valentine पहले 16 फरवरी को रिलीज होने वाली थी मगर फिर इसे दो हफ्ते आगे खिसका दिया गया। इस एरियल एक्शन फिल्म में वरुण तेज और मानुषी छिल्लर लीड रोल्स में हैं। तेलुगु एक्टर वरुण का यह हिंदी डेब्यू है। फिल्म तेलुगु के साथ हिंदी में भी बनाई गई है। हालांकि कहानी और कहने के अंदाज में फिल्म बिखर गई है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। 14 फरवरी, 2019 भारतीय इतिहास के लिए काला दिन। जम्मू कश्मीर के पुलवामा (Pulwama) में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर किए गए हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। बीते महीने आई रितिक रोशन (Hrithik Roshan) अभिनीत फाइटर भी इसी हमले पर आधारित थी। उसमें काफी सिनेमाई लिबर्टी ली गई थी। अब सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हुई ऑपरेशन वैलेंटाइन (Operation Valentine) भी पुलवामा हमले से प्रेरित कहानी पर आधारित है।
यहां पर भी वायुसेना की कार्यप्रणाली, जाबांजी के साथ उनकी निजी जिंदगी की झलक देने की कोशिश हुई है। यह हमला वैंलेंटाइन डे के तौर पर मनाए जाने वाले दिन 14 फरवरी को हुआ था तो शीर्षक ऑपरेशन वैलेंटाइन से दिया गया। हालांकि, यह ऑपरेशन प्रभावी नहीं बन पाया है।
क्या है ऑपरेशन वैलेंटाइन की कहानी?
कहानी का आरंभ पाकिस्तान में आतंकी हमले की तैयारी को लेकर होता है। उधर, विंग कमांडर अर्जुन देव (वरूण तेज) जुनूनी पायलट है। वह प्रोजेक्ट वज्र के तहत अपने एक सहकर्मी को खो चुका होता है। इस दौरान वह मौत के मुंह में जाते-जाते बचा था।
यह भी पढ़ें: Laapataa Ladies Review- भटके बिना सही पते पर पहुंचती है किरण राव की लापता लेडीज, हंसते-हंसते कह दी काम की बात
उसकी पत्नी और एयर फोर्स रडार ऑफिसर अहाना गिल (मानुषी छिल्लर) उस हादसे को भूल नहीं पाती है। घटनाक्रम मोड़ लेते हें। पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को नष्ट करती है। इसमें किस तरह प्रोजक्ट वज्र मददगार होता है। कहानी इस संबंध में है।
कैसा है फिल्म का स्क्रीनप्ले?
पुलवामा हमले के इर्द-गिर्द बनी यह फिल्म वायुसेना के अधिकारियों के जुनून, जांबाजी और साहस को समुचित तरीके से दिखाती है। आकाश में कलाबाजी खाते फाइटर विमान, संकरी पहाड़ियों के बीच गुजरना, दुश्मन देश के पायलटों को पटखनी देने के दृश्य यहां पर भी हैं।
रडार में आए बिना विमान किस प्रकार काम करते हैं वह इस फिल्म का दिलचस्प पहलू है। बीच में विमान की टेस्टिंग को लेकर कई दृश्य हैं। हालांकि, कहानी बिखरी लगती है। पाकिस्तान में घुसकर हमला और उसके बाद की प्रतिकिया बहुत ठंडी लगी है।
इन दृश्यों में कोई कौतूहल या रोमांच निर्देशक जोड़ नहीं पाए है। आखिर में पाकिस्तान से भारतीय पायलट की वापसी को सतही तरीके से दिखाया है।
अर्जुन और आहना के बीच रोमांस या पार्टी के दृश्यों के बजाए अगर रूहानी शर्मा, परेश पाहुजा, शताफ फिगर और अली रेजा के पात्रों को समुचित तरीके से गढ़ा गया होता तो देशभक्ति की भावनाओं को जगाने के लिए इनका बेहतर उपयोग हो सकता था।
शुरुआत में जब स्क्वॉड्रन लीडर यश (परेश पाहुजा) का फाइटर विमान नियंत्रण खोकर रन वे पर आता है, उस दृश्य में कोई तनाव नहीं है। वह दृश्य बहुत कमजोर तरीके से चित्रित किया गया है। आकाश में भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू पायलट के बीच सीन भी दिलचस्प नहीं बन पाए हैं।
बीच-बीच में विमान की स्थिति को लेकर स्क्रीन पर दिखाए गए ग्राफिक्स अनुपयोगी लगे हैं। कहानी कश्मीर, ग्वालियर और पाकिस्तान आती-जाती रहती है। देशभक्ति आधारित फिल्मों का एक अहम पहलू दमदार और चुटकीले संवाद भी हैं। उसकी कमी भी यहां पर अखरती है।
यह भी पढ़ें: Kaagaz 2 Review- आम आदमी से जुड़ा जरूरी मुद्दा उठाती है सतीश कौशिक और अनुपम खेर की फिल्म, आंखें भी करती है नम
कैसा रहा वरुण तेज का हिंदी डेब्यू?
शक्ति प्रताप सिंह हांडा द्वारा लिखित और निर्देशित इस फिल्म को तेलुगु और हिंदी में एक साथ शूट किया गया है। वरूण तेज की यह पहली हिंदी फिल्म है। कहानी का फोकस उन पर है। उनकी कदकाठी पात्र के अनुरूप है। हालांकि, पटकथा में कसाव की कमी के चलते उनका किरदार बहुत प्रभावी नहीं बन पाया है।
उनके चेहेरे के भाव एक समान लगे हैं। मानुषी के साथ उनके कई सीन हैं। दोनों की केमिस्ट्री बहुत जानदार नहीं बन पाई है। दोनों पति-पत्नी हैं, लेकिन वायुसेना में उनके सहकर्मी के बर्ताव से लगता नहीं कि वे उनके रिश्ते से परिचित हैं। मानुषी को भावनात्मक दृश्यों पर बहुत काम करने की जरूरत है। फिल्म का वीएफएक्स भी बहुत प्रभावी नहीं बन पाया है।