Oppenheimer Review: 'परमाणु बम के जनक' की विजय और त्रासदी को दर्शाती है क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म 'ओपेनहाइमर'
Oppenheimer Review ओपेनहाइमर फिजिसिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर की बायोपिक है। क्रिस्टोफर नोलन निर्देशित यह फिल्म परमाणु बम के निर्माण की कहानी दिखाती है साथ ही उसके विनाश के बाद ओपेनहाइमर की मानसिक स्थिति को भी दिखाती है। फिल्म में पीकी ब्लाइंडर्स फेम अभिनेता किलियन मर्फी लीड रोल में हैं जबकि मैट डेमन रॉबर्ट डाउनी जूनियर एमिली ब्लंट अहम किरदारों में हैं।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Thu, 20 Jul 2023 04:14 PM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी में छह और नौ अगस्त, 1945 को अमेरिका ने परमाणु हमला किया था। इस हमले से मची तबाही इतिहास की सबसे विनाशकारी घटना साबित हुई। लाखों लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
हमले की 78 वीं बरसी से चंद दिनों पहले ‘परमाणु बम के जनक’ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जिंदगानी पर बनी फिल्म ओपेनहाइमर सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हो रही है, जिसे क्रिस्टोफर नोलन ने निर्देशित किया है। यह उस व्यक्ति की कहानी बताती है, जिसने परमाणु बम बनाने में मदद की और अपने बाकी जीवन में उसके घातक परिणामों को लेकर दुनिया को जागरूक करता रहा।
अमेरिकन प्रोमेथियस से ली गयी है कहानी
काई बर्ड (Kai Bird) और मार्टिन शेरविन की नॉन फिक्शन किताब अमेरिकन प्रोमेथियस: द ट्रायम्फ एंड ट्रेजेडी ऑफ जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर (American Prometheus: The Triumph and Tragedy of J. Robert Oppenheimer) को पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में नोलन ने शानदार फिल्म में रूपांतरित किया है।
नोलन के साथ द डार्क नाइट ट्रिलॉजी, डंकर्क और इनसेप्शन फिल्मों में काम कर चुके किलियन मर्फी ने यहूदी-अमेरिकी थियोरेटिकल फिजिसिस्ट ओपेनहाइमर की भूमिका निभाई है, जिन्होंने अमेरिकी सरकार के गुप्त मैनहट्टन परियोजना का नेतृत्व किया था।
तीन प्रमुख घटनाओं को जोड़ता है स्क्रीनप्ले
इसी परियोजना के तहत पहला परमाणु हथियार विकसित किया गया था। इस फिल्म को रोमांचक बनाए रखने के लिए नोलन ने ओपेनहाइमर में तीन आख्यान आपस में जोड़े हैं। पहली घटना 1954 की है, जब लगभग पचास वर्षीय ओपेनहाइमर को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले को लेकर सुनवाई का सामना करना पड़ता है।
इस सुनवाई में उसकी बर्बादी के लिए बेकरार संयुक्त राज्य परमाणु ऊर्जा आयोग के बोर्ड सदस्यों के सामने उनके अतीत को घसीटा जाता है और तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है। दूसरी आख्यान, साल 1959 में होता है, जब जूता विक्रेता से राजनीतिक महाशक्ति बने लुईस स्ट्रास (राबर्ट डाउनी जूनियर) राष्ट्रपति आइजनहावर के मंत्रिमंडल की पुष्टि की सुनवाई के दौरान ओपेनहाइमर के साथ अपनी भागीदारी को दोहरा रहे हैं।
तीसरी कहानी ओपेनहाइमर के भौतिकी के प्रति जुनून और महिलाओं के साथ प्रेम कहानी है और किस तरह उनके नेतृत्व में परमाणु बम का निर्माण हुआ और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी को उसकी विभीषिका झेलनी पड़ी।