Patna Shuklla Review: सतही लेखन से डगमगाई अहम मुद्दे पर बनी 'पटना शुक्ला', वकील के किरदार में जंची रवीना टंडन
Patna Shuklla में रवीना टंडन ने एडवोकेट की भूमिका निभाई है जो एक छात्रा को न्याय दिलवाने के लिए सियासत से लड़ जाती है। हालांकि इसमें उसे व्यक्तगित क्षति भी पहुंचती है मगर अंत में हीरो बनकर निकलती है। फिल्म के निर्माता अरबाज खान हैं। निर्देशन विवेक बुड़ाकोटी ने किया है। उन्होंने फिल्म का सह-लेखन भी किया है। फिल्म ओटीटी पर रिलीज हो गई है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। इमरान हाशमी की फिल्म 'व्हाई चीट इंडिया' से लेकर 'व्हिसिल ब्लोअर' वेब सीरीज तक, शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले घपलों-घोटालों पर कई फिल्में और वेब सीरीज आ चुकी हैं। आम जनता से जुड़े होने की वजह से ऐसे विषय एक बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं, मगर दर्शक का जुड़ाव तभी हो पाता है, जब कहानी में गहराई हो।
डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई रवीना टंडन की फिल्म पटना शुक्ला एक शैक्षिक घोटाले की पृष्ठभूमि पर कोर्टरूम ड्रामा है। अरबाज खान निर्मित फिल्म की कहानी बिहार के एक काल्पनिक विश्वविद्यालय में अंकतालिका घोटाले के खिलाफ एक छात्रा और वकील की लड़ाई पर आधारित है।
निर्देशक विवेक बुड़ाकोटी ने विषय अच्छा चुना है, मगर कथा-पटकथा में गहराई ना होने की वजह से यह एक दमदार और मारक फिल्म में परिवर्तित नहीं हो पाया। सधी हुई अदाकारी से रवीना ने फिल्म को अपने कंधों पर उठाने की भरपूर कोशिश की है, मगर सतही कहानी ने उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दिया।
क्या है 'पटना शुक्ला' की कहानी?
तन्वी शुक्ला (रवीना टंडन) गृहिणी होने के साथ-साथ पटना जिला न्यायालय में वकील भी है। पति सिद्धार्थ शुक्ला (मानव विज) जल विभाग में सीनियर इंजीनियर है। एक बेटा सोनू है, जो स्कूल में पढ़ता है। तन्वी की जिंदगी अपनी गृहस्थी और पेशे के बीच कट रही है। मगर, विहार विश्वविद्यालय में बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा रिंकी कुमारी (अनुष्का कौशिक) का केस तन्वी की निजी और व्यावसायिक जिंदगी में तूफान मचा देता है।
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रिंकी बीएससी थर्ड ईयर में फेल हो गई है। उसे विश्वास है कि उसे 60-65 फीसदी के बीच मार्क्स मिलने चाहिए, मगर फेल कर दिया गया है। शिकायत करने पर यूनिवर्सिटी ने उसके मार्क्स की रीकाउंटिंग की, मगर नतीजा नहीं बदला। इससे असंतुष्ट रिंकी अपनी परीक्षा कॉपियों की रीचेकिंग की मांग उठाती है, जिसे यूनिवर्सिटी ठुकरा देती है। रिक्शाचालक की बेटी रिंकी इसको लेकर यूनिवर्सिटी को अदालत में घसीटती है। तन्वी उसका केस लड़ती है। इस क्रम में एक बड़े घोटाले की परतें खुलती हैं, जिसमें विश्वविद्यालय अधिकारियों और राजनीति के सियासी गठजोड़ से पर्दा उठता है।
रिंकी का रोल नम्बर एक युवा बाहुबली नेता रघुबीर सिंह (जतिन गोस्वामी) के रोल नम्बर से बदलकर उसे पास करवा दिया जाता है, जबकि रिंकी फेल हो जाती है। हालांकि, इस क्रम में तन्वी को भी एक कुर्बानी देनी पड़ती है।