प्राइम वीडियो की वेब सीरीज Poacher से आलिया भट्ट एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़ी हैं। हालांकि सीरीज आलिया के स्टारडम से बिल्कुल विपरीत है और बेहद वास्तविक ढंग से हाथी दांत तस्करों की जमीनी हकीकत दिखाती है। पोचर का निर्देशन Delhi Crime फेम रिची मेहता ने किया है। उस सीरीज की तरह यहां भी भावनाओं का जबरदस्त प्रवाह नैरेशन में महसूस होता है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 2019 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई क्राइम ड्रामा सीरीज दिल्ली क्राइम (Delhi Crime) के बाद फिल्ममेकर रिची मेहता पोचर वेब सीरीज (Poacher) लेकर आये हैं, जो प्राइम वीडियो पर आ गई है। रिची ने इस बार हाथी दांत के लिए हाथियों के अवैध शिकार को कहानी का आधार बनाया है।
आठ एपिसोड्स की सीरीज पोचर क्राइम के साथ थ्रिलर और इनवेस्टिगेटिव ड्रामा है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। सीरीज शिकारियों और तस्करी के धंधे की पूरी चेन को विस्तार से कवर करती है, जिससे यह वास्तविकता के करीब रहती है। अपने लालच के लिए इंसान किस तरह जंगलों में घुसकर प्रकृति को तबाह कर रहा है, पोचर इसका संदेश देती है।
सीरीज प्रमुख रूप से मलयालम भाषा में है, मगर बीच-बीच में अंग्रेजी और हिंदी के साथ बंगाली भाषा का भी संवादों में इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, सीरीज हिंदी के साथ दक्षिण की अन्य भाषाओं में भी स्ट्रीम की जा सकती है।
क्या है पोचर की कहानी?
सीरीज की कहानी 2015 के कालखंड वाइल्ड लाइफ एक्ट की रोशनी में बुनी गई है। शुरुआत अरुकु से होती है, जो हाथी का शिकार करने वाली टीम में शामिल था, मगर अपराधबोध के कारण वो अथॉरिटीज के सामने अपना कबूल करता है और हाथी दांत की तस्करी के रैकेट का खुलासा करता है, जिससे कुछ प्रभावशाली लोग भी जुड़े होते हैं। इसके बाद फॉरेस्ट अधिकारियों की टीम इसकी जांच में जुटती है।
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कैसा है सीरीज का स्क्रीनप्ले?
जंगल और जानवरों को केंद्र में रखकर कई कहानियां दिखाई जाती रही हैं।
प्राइम वीडियो पर कुछ साल पहले आई विद्या बालन की फिल्म शेरनी, जंगल और जानवरों के बीच घटते रिहायशी इलाकों के मुद्दा उठाती है और सवाल खड़ा करती है, क्या इंसान ने जानवरों की जगह पर अतिक्रमण किया है।रिची की सीरीज पोचर जंगल, जानवर और जज्बात के खम्भों पर टिकी हुई है। इसकी सबसे ताकत इसका लेखन ही है, जिसे तीनों प्रमुख कलाकार
निमिषा सजायन, रोशन मैथ्यू और
दिब्येंदु भट्टाचार्य का पूरा साथ मिला है। सीरीज के हर एपिसोड का शीर्षक द कन्फेसर, द क्रूसेडर, द स्केपगोट, द ब्लाइंड आई, द किडनैपिंग, द जंगल, द बिग फिश और द ग्रेवयार्ड इसकी कहानी का संकेत देता है।
जंगल और सरकारी दफ्तरों के दृश्य वास्तविक लगते हैं। केरल के घने कुटुमपुझा जंगलों की लोकेशन और सीरीज को लेकर की गई रिसर्च के कारण यह एक डॉक्युमेंट्री के एहसास देती है, मगर इससे सीरीज के एंटरटेनमेंट पर असर नहीं पड़ा है। कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है इनवेस्टिगेशन का रोमांच बढ़ता है। कलाकार जिस भाषा के हैं, वो अपने संवाद उसी में बोलते हैं।
पोचर से आलिया भट्ट बतौर एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर जुड़ी हैं। आलिया का नाम सीरीज को एक ग्लैमर टच देता है, मगर नैरेटिव इससे अछूता रहता है, जो पोचर की सबसे बड़ी खूबी है।
कैसा है कलाकारों का अभिनय?
अपने काम के लिए समर्पित और संजीदा फोरेस्ट रेंज ऑफिसर
माला जोगी के किरदार को निमिषा ने जीवित कर दिया है। यह किरदार केरल विन विभाग के डीसीएफ मनु सत्यन से प्रेरित है, जिन्होंने हाथी दांत के तस्करों के रैकेट को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं, वाइल्ड लाइफ क्राइम के डेटा एक्सपर्ट एलन जोसेफ के रोल में एलन जोसेफ के किरदार में रोशन मैथ्यू ने विश्वसनीय परफॉर्मेंस दी है।
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केरल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के फील्ड डायरेक्टर
नील बनर्जी के रोल में दिब्येंदु भट्टाचार्य पूरी तरह उतर गये हैं। सहयोगी कलाकारों ने भी अपनी सधी हुई परफॉर्मेंस से प्रभावित किया है। रिची ने कलाकारों की परफॉर्मेंसेज को यथासम्भव वास्तविकता के नजदीक रखा है। दिल्ली क्राइम की तरह यहां भी महिला कलाकारों को उभरने का पूरा मौका मिला है।