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Ruslaan Review: ट्रेलर ही पूरी पिक्चर... अब बाकी कुछ नहीं! आयुष शर्मा ने लगाया पूरा जोर, मगर यहां पड़े कमजोर

सलमान खान के बहनोई आयुष शर्मा ने लवयात्री से बॉलीवुड में अपना करियर शुरू किया था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही थी। हालांकि आयुष नजरों में आ गये। इसके बाद वो सलमान खान के साथ अंतिम में नजर आये थे जो एक्शन फिल्म थी। आयुष ने गैंगस्टर और सलमान ने पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया था। अब आयुष रॉ एजेंट के रोल में हैं।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Fri, 26 Apr 2024 05:16 PM (IST)
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रुस्लान सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम
प्रियंका सिंह, मुंबई। अभिनेता सलमान खान के बहनोई आयुष शर्मा को एक हिट फिल्म की तलाश है। इस बार उन्होंने अपनी फिल्म रुस्लान में पूरी ताकत झोंक दी। फिल्म की कहानी शुरू होती है एक एनकाउंटर के साथ, जहां पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक आंतकी और उसका परिवार मारा जाता है, लेकिन उसके बेटे रुस्लान (आयुष शर्मा) को एटीएस चीफ समीर सिंह (जगपति बाबू) ना केवल बचा लेता है, बल्कि गोद भी ले लेता है, क्योंकि उसकी कोई औलाद नहीं होती है।

आतंक का दाग मिटाने निकला रुस्लान

रुस्लान देश सेवा करना चाहता है। वह खुद पर आंतकी के बेटे होने का दाग मिटाना चाहता है। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में उसे मौका मिलता है, लेकिन वहां उसका काम केवल जानकारियां इकठ्ठा करना होता है, ना कि किसी को मारना।

फिर भी जैसा कि हिंदी फिल्मों में होता है, बाकी रॉ एजेंट्स की तरह वह भी सीनियर के आर्डर्स नहीं मानता है। इस चक्कर में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठा है, जिससे वही आतंकी साबित हो जाता है। खुद पर लगे इस दाग को रुस्लान कैसे साफ करेगा, उस पर कहानी आगे बढ़ती है।

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बेस्ट सीन ट्रेलर में दिख गये

दो घंटे की फिल्म देखने के बाद यही बात समझ आती है कि ट्रेलर में फिल्म के सारे बेस्ट सीन दिखा दिए गए थे। ट्रेलर देख लिया, मतलब फिल्म देख ली। अक्सर बड़े-बड़े फिल्मकारों से सुनते आए हैं कि बिना इमोशन के एक्शन फिल्म नहीं बनती है। इसमें एक्शन तो है, लेकिन इमोशन की भारी कमी है।

आयुष ने फिल्म के लिए अपनी बाडी और सिक्स पैक एब्स बनाने से लेकर एक्शन में तेज-तर्रार होने के लिए खूब मेहनत की, लेकिन इस चक्कर में वह अपनी एक्टिंग पर काम करना भूल गए। भावुक, गुस्सैल हर सीन में वह एक जैसा अभिनय करते हैं। चेहरे पर भाव आने से पहले ही चले जाते हैं।

आयुष फिल्म में बार-बार एक सवाल सबसे पूछते हैं कि क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं? फिल्म में तो उन्हें इसका जवाब कोई नहीं देता है। फिल्म देखने के बाद दर्शक उन्हें इसका जवाब दे पाएंगे। हालांकि, आयुष ने एक्शन दमदार किया है। अगर आयुष के डायलॉग्स कम और स्टंट ज्यादा रखे जाते तो यह एक अच्छी एक्शन फिल्म बन सकती थी।

फिल्म के लेखक यूनुस सजावल, मोहित श्रीवास्तव और केविन दवे देशभक्ति के आसपास इस कहानी को बुनना जरूर चाहते थे, लेकिन वह असफल होते हैं।

निर्देशक करण ने कहा था कि उन्होंने फिल्म को दूसरी एक्शन फिल्मों के मुकाबले कम बजट में बनाया है, ऐसे में सिनेमैटोग्राफर जी श्रीनिवास रेड्डी का साथ उन्हें मिला, जिन्होंने अपने कैमरे के जरिए इस फिल्म को विजुअली खूबसूरत बनाया है।

जगपति बाबू की बेदम मौजूदगी 

फिल्म के क्लाइमैक्स में जो होता है, वह चौंकाता नहीं है। अंत में सीक्वल का संकेत है, जो इस फिल्म का बॉक्स आफिस कलेक्शन देखने के बाद मेकर्स शायद ही बनाएं।

सुश्री मिश्रा को भले ही उनकी पहली ही फिल्म में एक्शन करने का भरपूर मौका मिला है, लेकिन उनके किरदार में कोई गहराई नहीं है। उन्हें कब रुस्लान से प्यार हो जाता है, उनके साथ किसी को पता नहीं चलेगा।

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विद्या मालवडे रॉ प्रमुख के रोल में प्रभावित नहीं कर पाती हैं। जगपति बाबू हिंदी फिल्मों में अपने लिए दक्षिण भारतीय फिल्मों से अलग किरदार की तलाश में हैं। इस फिल्म पर उनकी तलाश पूरी होती नहीं नजर आती है।

इससे बेहतर वह सालार पार्ट 1- सीजफायर के छोटे से रोल में नजर आए थे। दिल फिसल गया... गाना कानों को पसंद आने की बजाय चुभता है। फिल्म में आयुष की हीरोइक एंट्री के लिए मेकर्स कोई बेहतर गाना ढूंढ सकते थे।