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Saas Bahu Aur Flamingo Review: धीरे-धीरे गिरफ्त में लेता है 'सास-बहू' का सुरूर, हैरान करती हैं डिम्पल कपाड़िया

Saas Bahu Aur Flamingo Review सास बहू और फ्लेमिंगो उन दर्शकों के लिए है जो होमी अदजानिया की फिल्मों के किरदारों की दीवानगी को पहचानते हैं। डिज्नी प्लस हॉटस्टार की यह सीरीज डिम्पल कपाड़िया को बिल्कुल अलग रूप में दिखाती है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 05 May 2023 06:40 PM (IST)
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Saas Bahu Aur Flamingo Review String Dimple Kapadia Angira Dhar Isha Talwar Radhika Madan. Photo- Instagram
नई दिल्ली, जेएनएन। होमी अदजानिया की फिल्मों के किरदार अपने हाव-भाव या चारित्रिक गुणों के मामले में अक्सर अलग होते हैं। उनमें एक उत्तेजना होती है। व्यवहार, हावभाव या भावाभिव्यक्ति के मामले में वो सामान्य नहीं लगते।

कॉकटेल' में सैफ अली खान का किरदार, 'फाइंडिंग फेनी' में नसीरूद्दीन शाह या फिर 'अंग्रेजी मीडियम' में दीपक डोबरियाल के किरदार बिल्कुल अलग दिखते हैं। 

होमी अब 'सास बहू और फ्लेमिंगो' सीरीज के साथ ओटीटी स्पेस में उतरे हैं, जो डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो चुकी है और इस बार भी होमी के किरदार बिल्कुल अलग रंग-ढंग में नजर आ रहे हैं। सास, सास जैसी नहीं है। बहुएं, बिल्कुल भी बहुओं जैसी नहीं हैं और बेटी तो... क्या ही कहिए!

इस अतरंगी क्राइम थ्रिलर सीरीज की सास डिम्पल कपाड़िया हैं, जबकि बहुएं अंगिरा धर और ईशा तलवार हैं, जबकि बेटी राधिका मदान हैं। 'कॉकटेल' और 'फाइंडिंग फेनी' के बाद होमी के साथ डिम्पल का यह तीसरा प्रोजेक्ट है। 

इस बार होमी डिम्पल कपाड़िया का वो चेहरा दर्शकों के सामने लेकर आये हैं, जो उनके चाहने वालों के लिए भी नया है। डिम्पल, सीरीज में रेगिस्तान की 'पैब्लो एस्कोबार' जैसे किरदार में हैं। ड्रग कारटेल की मुखिया। होमी की 'सास बहू और फ्लेमिंगो' ड्रग्स के कारोबार की पृष्ठभूमि में बनी सीरीज है, जिसकी खूबी कहानी से ज्यादा इसका प्रस्तुतिकरण है। 

क्या है 'सास बहू और फ्लेमिंगो' की कहानी? 

राजस्थान के रेतीले इलाके में काल्पनिक रन प्रदेश में कहानी दिखायी गयी है, जिसके रुंझ गांव में दबंग सावित्री अपनी पुरानी हवेली में महिलाओं के लिए एनजीओ जैसी संस्था रानी कॉपरेटिव (कोऑपरेटिव) चलाती है। मगर, यह सावित्री का वो मुखौटा है, जो सबको दिखायी देता है।

इसकी आड़ में वो 500 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाला कोकीन का कारोबार करती है। उसका माल मुंबई से होते हुए स्पेन और दुनिया के कई देशों तक पहुंचता है। सावित्री की इस ड्रग का नाम फ्लेमिंगो है।

सावित्री के इस धंधे में उसका साथ बेटी और बहुएं बेटी देती हैं, जबकि अमेरिका में बसे दोनों बेटों का भनक भी नहीं होती। उल्टा बड़ा बेटा हर महीने मां को गुजारे के लिए 500 डॉलर भेजता रहा है। उन्हें इसका पता तब चलता है, जब वो गांव आते हैं और संयोग से उस जगह पहुंच जाते हैं, जहां कोकीन का पौधा उगाया जाता है। सच्चाई सामने आने पर दोनों बेटे हक्के-बक्के रह जाते हैं।

राज्य के डिप्टी सीएम के बेटे की ड्रग ओवरडोज से हालत बिगड़ने के बाद सरकारी तंत्र ड्रग्स खोज-खबर लेने में जुटता है और नारकोटिक्स विभाग एक अफसर जांच के लिए इलाके में पहुंचता है। इसके बाद सीरीज की कहानी सावित्री का अपना उत्तराधिकारी चुनने, पुलिस और दुश्मनों से जूझने पर केंद्रित हो जाती है। 

कैसे हैं कथा, पटकथा और अभिनय?

आठ एपिसोड्स में फैली वेब सीरीज धीमी रफ्तार से शुरू होती है। पहले दो एपिसोड्स इस सीरीज के मिजाज को जज्ब करने में निकल जाते हैं और इसका लुत्फ उठाने के लिए थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है, क्योंकि 'सास बहू और फ्लेमिंगो' का खुमार तीसरे एपिसोड के साथ चढ़ना शुरू होता है, जब डिम्पल कपाड़िया के किरदार की बैक स्टोरी दिखायी जाती है।

बेटों को ड्रग के कारोबार का पता चलने के बाद सावित्री उन्हें बताती है कि वो इस धंधे में क्यों और कैसे आयी? अतीत में हुई इस दर्दनाक घटना ने उसकी जिंदगी का रुख मोड़ दिया था। 

'सास बहू और फ्लेमिंगो', कहानी से ज्यादा अपने ट्रीटमेंट से प्रभावित करती है। रन ऑफ कच्छ के इलाके में ड्रग्स के कारोबार की कल्पना बहुत कम फिल्मकारों ने की है। नेटफ्लिक्स पर आयी अनिल कपूर और हर्षवर्धन कपूर की 'थार' इस रेतीले इलाके में ड्रग्स कारोबार को छूकर निकल गयी थी। 

'उड़ता पंजाब' की तरह होमी की सीरीज रेगिस्तानी इलाके में ड्रग्स के कारोबार को पूरी तरह एक्सप्लोर करती है। 'सास बहू और फ्लेमिंगो' के कुछ दृश्य दिलचस्प हैं। इनका फिल्मांकन सीरीज के रोमांच को बढ़ाता है। मिसाल के तौर पर शुरुआती एपिसोड्स में बेटों के हवेली पहुंचने का दृश्य।

बाहर से शांत दिखने वाली हवेली में अंदर तूफान मचा हुआ था, क्योंकि मागड़ियों (मर्सिनरी) ने हवेली पर हमला कर दिया था और अंदर औरतें उनका मुकाबला कर रही थीं। नॉर्थ ईस्ट के ड्रग माफिया बने दीपक डोबरियाल जिस तरह से कुछ सप्लायरों को मारता है, वो दृश्य काफी रोमांचक है। 

डिम्पल कपाड़िया की यह दूसरी सीरीज है। उन्होंने प्राइम वीडियो की 'तांडव' से ओटीटी स्पेस में पारी शुरू की थी, जिसमें एक सियासी गलियारों की एक हाइ प्रोफाइल महिला के किरदार में नजर आयी थीं। डिम्पल राजस्थानी किरदारों में पहले भी नजर आ चुकी हैं, मगर 'सास बहू और फ्लेमिंगो' की सावित्री अलग ही स्तर पर है।

दिल से मुलायम, मगर पेशे में खूंखार सावित्री के किरदार में डिम्पल प्रभावित करती हैं। सावित्री, गरीब और जुल्म की शिकार महिलाओं के जख्मों पर मरहम लगाती है, वहीं अपने दुश्मन की जीभ काटने में बिल्कुल नहीं हिचकती। 

बहुओं और कारोबार में साझीदारों के किरदार में अंगिरा धर और ईशा तलवार की परफॉर्मेंस दमदार है। अंगिरा का किरदार बिजली परतदार है। उन्होंने इसे शिद्दत से निभाया है। मां के साथ ड्रग कारोबार में डूबी बेटी के किरदार में राधिका मदान भी पहली बार ऐसे रोल में दिखी हैं।

सीरीज के खलनायक मोंक दीपक डोबरियाल के लुक्स को उनकी अदाकारी पूरी तरह कॉम्प्लीमेंट करती है। दीपक के हावभाव देखकर एक अप्रत्याशितता बनी रहती है, पता नहीं यह किरदार क्या करने वाला है। ध्यान में मग्न रहने वाले इस किरदार की फिलॉस्फी प्रभावित करती है। उनके किरदार को संवाद लेखकों का भी साथ मिला है। 

उसूल पसंद बेटे के किरदार में वरुण मित्रा और नशेड़ी बेटे के रोल में आशीष वर्मा को हजम करने में थोड़ा वक्त लगता है। इन दोनों किरदारों के कैरेक्टर ग्राफ अटपटे हैं। ह्यूमर जगाने के मकसद से दिखायी गयी इन किरदारों की आपसी खींचतान असल में बोर करती है। नसीरूद्दान शाह का कैमियो असरदार है। 

सास बहू के सॉफ्ट ड्रामों से इतर इस बार इनका रूप और अंदाजे-बयां हिलाकर रख देता है। अपने स्त्रीत्व को ताकत मानकर चले वाली ये औरतें हंगामा खड़ा करने के लिए काफी हैं। होमी अदजानिया के क्राफ्ट के कद्रदानों पर 'सास बहू और फ्लेमिंगो' का सुरूर जरूर चढ़ेगा।

कलाकार- डिम्पल कपाड़िया, अंगिरा धर, ईशा तलवार, वरुण मित्रा, आशीष वर्मा, नसीरूद्दीन शाह आदि।

निर्देशक- होमी अदजानिया

प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

अवधि- लगभग 40 मिनट के 8 एपिसोड्स।

रेटिंग- ***