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Sajini Shinde Ka Viral Video Review: टीचर का क्लब में डांस का वीडियो वायरल... जबरदस्त मैसेज देती है फिल्म

Sajini Shinde Ka Viral Video Review सजनी शिंदे का वायरल वीडियो एक सामयिक मुद्दे को एड्रेस करने वाली फिल्म है जिसमें राधिका मदान का किरदार केंद्र में है। फिल्म पेशेगत नैतिक मूल्यों की जरूरत पर भी कमेंट करती है। निमरत कौर ने पुलिस अधिकारी के किरदार में बेहतरीन काम किया है।

By Jagran NewsEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 27 Oct 2023 03:46 PM (IST)
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सजनी शिंदे का वायरल वीडियो रिलीज हो गयी है। फोटो- इंस्टाग्राम
प्रियंका सिंह, मुंबई। पिछले कुछ वर्षों में देश-विदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां एक शिक्षक को उसके इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो या फोटो की वजह से अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। ऐसी ही परिस्थिति से मिलती-जुलती कहानी को फिल्म सजनी शिंदे का वायरल वीडियो में दिखाया गया है।

क्या है वायरल वीडियो की कहानी?

कहानी शुरू होती है पुणे के एक स्कूल में भौतिक विज्ञान पढ़ाने वाली टीचर सजनी शिंदे की सिंगापुर के एक क्लब में मनाई जा रही जन्मदिन पार्टी के साथ। वह स्कूल के आफिशियल ट्रिप पर कुछ टीचर्स के साथ आई होती है। हालांकि, उसे इस ट्रिप के लिए परमिशन नहीं मिली थी।

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क्लब में शराब के नशे में दो लड़कों के साथ नाचते हुए उसका वीडियो एक टीचर की गलती से स्कूल के आफिशियल इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर अपलोड हो जाता है, जिसकी वजह से सजनी के साथ उस पार्टी में शामिल दो और टीचर्स को स्कूल से निकाल दिया जाता है।

पूरे शहर में सजनी का वीडियो वायरल हो जाता है। सजनी के पिता और चाचा इस बात से नाराज और शर्मसार हैं। सजनी का मंगेतर सिद्धांत (सोहम मजूमदार) भी उसे डांटता है। जब कोई विकल्प नहीं दिखाई देता है तो सजनी एक पोस्ट लिखकर गायब हो जाती है। क्या सजनी का अपहरण हुआ है? क्या किसी ने उसे मार दिया है? या सजनी ने आत्महत्या कर ली है?

इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है महिला सेल की इंस्पेक्टर बेला बारोट (निम्रत कौर) को। शक की सुई सजनी के पिता से लेकर उसके दोस्तों और मंगेतर तक घूमती है।

कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित गुजराती फिल्म रॉन्ग साइड राजू के निर्देशक मिखिल मुसाले ने एक जरूरी और प्रासंगिक विषय को फिल्म के माध्यम से दर्शाने का सफल प्रयास किया है।

कुछ पेशे ऐसे होते हैं, जिनकी गरिमा को बनाए रखने का दबाव उस पेशे से जुड़े लोगों पर होता है। वह काम में कितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों, निजी जिंदगी की झलक अगर उस पेशे की छवि से थोड़ी भी अलग हुए, तो उन्हें आसानी से जज कर लिया जाता है।

शिक्षकों से भी निजी जीवन में अनुशासन की उम्मीद की जाती है। इसे फिल्म के लेखकों परिंदा जोशी और मिखिल ने बखूबी पकड़ा है। फिल्म शुरू से ही बांधे रखती है, लेकिन क्लामैक्स में आकर कहानी फिल्मी हो जाती है। शुरुआत में फिजिक्स का उदाहरण देते हुए पहचान और व्यक्तित्व के बीच का टकराव कितना खतरनाक हो सकता है, वह बेहतरीन तरीके के समझाया गया है।

कुछ संवाद सोचने पर मजबूर करते हैं- ''''एक बार खुद के लिए जी लिया तो टीचर से धब्बा बन गए... अगर यह फिल्मस्टार करें तो फन, टीचर करे तो क्राइम, हमारी कोई लाइफ नहीं होती है ना... या 30 साल तक जिस प्रिसिंपल ने अपनी साड़ी की सेफ्टी पिन तक नहीं दिखने दी, उसकी सारी इज्जत 30 सेकेंड में उतर गई।

स्टूडेंट काउंसलर जो स्कूल की टीचर की श्रेणी में भी नहीं आती है, उसका यह कहना कि हम इलेक्शन ड्यूटी, पोलियो ड्राप सब काम करते हैं, यह रिसर्च की कमी दर्शाता है। फिल्म की यूएसपी है इसके कलाकार, सख्त पिता और रंगमंच के कलाकार के तौर पर सुबोध भावे प्रभावित करते हैं।

भाग्यश्री का रोल छोटा, लेकिन दमदार है। राधिका, सजनी की हर भावना को जीती हैं। खासकर वायरल होने के बाद समाज और परिवार के डर में सहमी हुई लड़की की मनोदशा को वह महसूस कराती हैं। हालांकि, मराठी बोलने में राधिका सहज नहीं लगती हैं।

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निम्रत कौर साबित करती हैं कि वह हर रोल करने के लिए तैयार हैं। एक तेज-तर्रार, हाजिर जवाब और अपने काम के लिए सजग पुलिस अफसर की भूमिका में वह अपने अभिनय का लोहा मनवाती हैं। असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर रामचंद्र पवार के रोल में अभिनेता चिनमय मांडलेकर का काम अच्छा है।

कबीर सिंह फिल्म में दोस्त के रोल में दिखे सोहम मजूमदार सजनी की आत्महत्या के आरोप में डरे सहमे मंगेतर के रोल में अपने अभिनय के कई रंग दिखाते हैं। सजनी के भाई के रोल में आशितोष का काम सराहनीय है। सुमित व्यास के हिस्से खास सीन नहीं लगे हैं। फिल्म के अंत में असली हौसला जीने में है... का संदेश कहानी को सही दिशा देता है। स्वैगर ब्वॉय और श्रेया जैन का गाया रैप सॉन्ग नाना ची टांग... सिचुवेशन पर फिट बैठता है।