Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sarfira Review: कहानी एक 'सरफिरे' की, जिसने आम आदमी को भी हवाई जहाज में बिठा दिया, अक्षय कुमार की जोरदार वापसी

अक्षय कुमार के लिए पिछले कुछ महीने अच्छे नहीं रहे हैं। इस साल के पहले हाफ में उनकी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। उससे पहले भी कुछ फिल्में ठीक नहीं चलीं। 12 जुलाई को रिलीज हो रही सरफिरा उनके करियर के लिए अहम फिल्म है। यह बायोपिक फिल्म है जो जीआर गोपीनाथ के जीवन की घटनाओं को दिखाती है।

By Jagran News Edited By: Manoj Vashisth Updated: Thu, 11 Jul 2024 12:10 PM (IST)
Hero Image
सरफिरा शुक्रवार को रिलीज होगी। फोटो- इंस्टाग्राम

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। देश में कभी हवाई यात्रा अभिजात्य वर्ग की विलासिता मानी जाती थी, लेकिन उसे आम आदमी की पहुंच में लाने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ थे। भारत में कम लागत वाली एयरलाइनों के जनक कहे जाने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ एक रुपये में टिकट और ई-टिकट के साथ वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में क्रांति लाए थे।

यह फिल्‍म उन्‍हीं की किताब सिंपली फ़्लाई: ए डेक्‍कन ओडसी (Simply Fly: A Deccan Odyssey) पर आधारित है। हालांकि, यह बायोपिक फिल्‍म है, लेकिन पात्रों के नाम और स्‍थान बदल दिए गए हैं। संभवत: किसी प्रकार के विवाद से बचने के लिए फिल्‍ममेकर्स ने यह निर्णय लिया होगा।

क्या है सरफिरा की कहानी?

महाराष्‍ट्र के अंदरूनी गांव में रहने वाला स्‍कूल मास्‍टर का बेटा वीर जनार्दन म्‍हात्रे (अक्षय कुमार) कम लागत वाली एयरलाइंस शुरू करने के इरादे से एयरफोर्स की नौकरी से इस्‍तीफा दे चुका है। उसे 24 बैंक ऋण देने से इनकार कर चुके हैं। वीर अपने दो दोस्‍तों के साथ एयरलाइंस खोलने को लेकर प्रयासरत है।

उसका आदर्श जैज एयरलाइंस का मालिक परेश गोस्‍वामी (परेश रावल) है, जिसका विमानन इंडस्‍ट्री में दबदबा है। वह चाहता है कि परेश उसके आइडिया में इन्वेस्‍ट करें। परेश को पसंद नहीं कि हवाई यात्रा आम लोगों की पहुंच में आए और वर्ग विभाजन खत्‍म हो। निराश वीर को प्रकाश बाबू (प्रकाश बेलवाड़ी) से उम्‍मीद नजर आती है, जो उसके आइडिया में निवेश करने को तैयार हो जाता है।

बाद में पता चलता है, वह परेश का आदमी होता है, जिसने आकाश में उड़ने के सपने देखने वाले वीर को सड़क पर चलने लायक नहीं छोड़ा। हालांकि, इन हालात में उसकी पत्‍नी रानी (राधिका मदान) उसका संबल बनती है। मस्‍तमौला रानी के भी अपने सपने हैं। वह शुरू में ही स्‍पष्‍ट कर देती है कि सिलाई, कढ़ाई जैसे काम आने के बावजूद वह घरेलू महिला बनकर नहीं रहना चाहती है।

दोनों के मिलने और फिर शादी करने की दिलचस्‍प कहानी भी इसमें हैं। खैर परेश के दबदबे के बीच वीर किस प्रकार अपने सपनों को उड़ान देता है, फिल्‍म इस संबंध में है।

यह भी पढ़ें: Sarfira Advance Booking- 'सरफिरा' बनकर आ रहे हैं Akshay Kumar, शुरू हुई फिल्म की एडवांस बुकिंग

कई मुद्दों को साथ लेकर चली है सरफिरा 

निर्देशक सुधा कोंगरा इससे पहले गोपीनाथ पर साल 2020 में तमिल फिल्‍म सोरारई पोट्रू बना चुकी हैं। उसमें सूर्या ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। अब उन्‍होंने इसका हिंदी संस्‍करण अक्षय कुमार के साथ बनाया है। खास बात यह है कि सूर्या ने इस फिल्‍म में मेहमान भूमिका निभाई है। वो फिल्म के सह निर्माता भी हैं।

मूल फिल्‍म देख चुके लोग भी सरफिरा का लुत्‍फ ले सकेंगे। यह फिल्‍म वीर के सपनों की उड़ान को पंख देने के सफर के साथ जातिवाद, पितृसत्तात्मक समाज, महिला समानता अधिकारों और अमीर-गरीब के बीच अंतर पर भी बात करती है। फिल्म की शुरुआत से ही यह दिखाया गया है कि पूंजीपतियों और नौकरशाहों के बीच गठजोड़ किस तरह इस लीग में शामिल होने की चाह रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कुचलने में सहायक रहा है।

सुधा कोंगरा, पूजा तोलानी और शालिनी उषादेवी का लिखा स्‍क्रीनप्‍ले दमदार है। कई दृश्‍य भावुक कर जाते हैं। फिल्‍म वर्तमान से अतीत में आती-जाती है। वीर और रानी की प्रेम कहानी को खूबसूरती से एक्‍सप्‍लोर किया गया है। रानी के किरदार के जरिए नारीवाद को भी बारीकी से उठाया है, पर उसके लिए कोई भाषणबाजी नहीं है।

बायोपिक फिल्मों के खिलाड़ी अक्षय कुमार

रानी शुरुआत से ही स्‍पष्‍ट कर देती है कि उसका काम उसके लिए उतना ही अहम है, जितना उसके पति का।बायोपिक फिल्‍मों के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार इससे पहले केसरी, पैडमैन, टायलेट : एक प्रेम कथा, मिशन मंगल, सम्राट पृथ्‍वीराज, मिशन रानीगंज में असल नायकों के जीवन को भी आत्मसात कर चुके हैं। उसी जॉनर की फिल्‍म सिरफिरा करने में उन्‍होंने कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई।

अपने इस निर्णय में वह सफल नजर आते हैं। पिछले कुछ समय से फ्लॉप फिल्‍में दे रहे अक्षय कुमार यहां पर पूरी फॉर्म में हैं। उन्‍होंने किरदार के स्‍वभाव और हावभाव को समझकर उस पर मेहनत की है। वीर की हताशा, निराशा, जोश-जुनून और जज्‍बे के भावों को सहजता से निभाया है।

पिता की मृत्‍यु के बाद मां के चरणों में रोना हो, एयरपोर्ट पर आर्थिक मदद मांगना या पत्‍नी से मदद जैसे कई दृश्‍यों में वह दिल में उतर जाते हैं। वह बीच-बीच में मराठी बोलते हैं, जिससे उनका पात्र विश्‍वसनीय लगता है। मस्‍तमौला पत्‍नी रानी की भूमिका में राधिका मदान प्रभावित करती हैं। उन्‍होंने संवाद अदायगी पर खासी मेहनत की है। वह साफ झलकती है। अक्षय के साथ पर्दे पर उनकी केमिस्‍ट्री अच्‍छी लगती है।

यह भी पढ़ें: Movies Release In July- जुलाई में रिलीज होंगी ये 3 बड़ी फिल्में, दांव पर लगी इन सुपरस्टार्स की किस्मत

अपनी भूमिका में खूब जमे परेश रावल

परेश गोस्‍वामी का पात्र ऐसे व्यक्ति का है, जो नहीं चाहता कि कोई और सपने देखने वाला युवा समृद्ध हो। उस भूमिका में परेश रावल से बेहतर कोई नहीं हो सकता। बाकी सहयोगी भूमिका में आए कलाकार सीमा विस्‍वास, अनिल चरणजीत ने मिले मौके का पूरा मौका उठाया है।

पिछले दिनों रिलीज नेत्रहीन उद्योगपति श्रीकांत बोला की बायोपिक में पूर्व राष्‍ट्रपति ए पे जी अब्‍दुल कलाम के योगदान को देखने का मौका मिला था। सरफिरा में भी वह वीर की मदद करते दिखते हैं। फिल्‍ममेकर्स को उन पर बायोपिक बनाने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। बहरहाल, अगर छोटी-मोटी कमियों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो उतार-चढाव के बावजूद यह सफर सुहाना लगता है।