SatyaPrem Ki Katha Review: कमजोर स्क्रीनप्ले को मिला कार्तिक-कियारा की बेहतरीन अदाकारी का साथ
SatyaPrem Ki Katha Review पिछले कुछ समय में ऐसी की फिल्में आयी हैं जिनमें मिडिल क्लास परिवार की मान्यताओं के साथ किसी खास संदेश की बात दिखायी गयी है। कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की यह दूसरी फिल्म है। दोनों इससे पहले भूल भुलैया 2 में साथ आये थे। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। हालांकि इसके बाद कार्तिक की शहजादा नहीं चली।
By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Thu, 29 Jun 2023 04:53 PM (IST)
प्रियंका सिंह, मुंबई। इस साल शहजादा के बाद यह कार्तिक आर्यन की दूसरी फिल्म है, जो सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। फिल्म की कहानी शुरू होती है सत्यप्रेम (कार्तिक आर्यन) के सपने के साथ, जिसमें वह शादी के ख्वाब सजा रहा है। सपना टूटता है, जब उसके पिता नारायण (गजराज राव) उसे घर के काम करने के लिए उठाते हैं।
वकालत की परीक्षा में फेल हो चुका सत्यप्रेम बेरोजगार है, इसलिए उसे घर के काम करने पड़ते हैं। उसकी मां (सुप्रिया पाठक) गरबा सिखाकर और बहन सेजल (शिखा तल्सानिया) जुम्बा की क्लासेस लेकर घर का खर्च चलाते हैं। सत्यप्रेम शादी करना चाहता है, लेकिन उसे लड़की नहीं मिल रही है।
कहानी एक साल पीछे जाती है, जहां गरबा में उसे कथा (कियारा आडवाणी) से पहली नजर में प्यार हो गया था, लेकिन कथा किसी और से प्यार करती थी, इसलिए बात वहीं खत्म हो गई थी। कहानी वर्तमान में आती है, जहां सत्यप्रेम को पता चलता है कि अब कथा सिंगल है। परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि सत्यप्रेम और कथा की शादी हो जाती है। कथा का एक राज है, जिसका खुलासा शादी के बाद होता है।
कैसा है फिल्म का स्क्रीनप्ले और अभिनय?
भले ही फिल्म को म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा जॉनर में रखा गया है, लेकिन इसका विषय संजीदा है। एक रिश्ते में सहमति कितनी मायने रखती है, इस पर बात की गई है। हालांकि, उस मुद्दे तक पहुंचने में लेखक करण श्रीकांत शर्मा ने अपनी कहानी में बहुत समय ले लिया।मराठी फिल्मों का निर्देशन कर चुके समीर विद्वांस का निर्देशन कई दृश्यों में कमजोर पड़ जाता है। खासकर फिल्म का पहला हाफ धीमा है। इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी रफ्तार पकड़ती है, क्योंकि कथा के राज से पर्दा उठता है। फिल्म की लंबाई बेवजह के दृश्यों को निकालकर 20-25 मिनट कम की जा सकती थी।