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Sector 36 Review: 24 से ज्यादा बच्चों की हत्या, मामा को मारकर खाया उसका मांस, मौत का खेल दिखाती है फिल्म

विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल स्टारर फिल्म सेक्टर-36 बीते दिनों नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। निठारी गांव में हुए हत्याकांड में कौन-कौन शामिल था और कैसे प्रेम साइको किलर बना था इसे बड़ी ही खूबसूरती से मूवी में उतारा गया है। पुलिस की लापरवाही को भी मूवी में दिखाया गया है। दो घंटे की इस मूवी को नेटफ्लिक्स पर देखने से पहले यहां पर पढ़ लें पूरा रिव्यू-

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Sat, 14 Sep 2024 12:49 PM (IST)
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सेक्टर 36 का रिव्यू/ फोटो- जागरण ग्राफिक्स
तान्या अरोड़ा, नई दिल्ली। विक्रांत  मैसी ने 12th फेल में मनोज कुमार शर्मा का किरदार निभाकर खूब वाहवाही लूटी थी। अब वह नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'सेक्टर 36' में एक सीरियल किलर की भूमिका में नजर आए।

ये फिल्म साल 2006 में नोएडा के सेक्टर 31 के निठारी गांव में हुए हत्याकांड पर आधारित है, जहां तकरीबन 24 से ज्यादा बच्चों को एक साइको किलर ने मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि, इस मूवी में एक बैक स्टोरी भी है। आप घर बैठे इस फिल्म के साथ अपना वीकेंड मना सकते हैं या नहीं, यहां पर पढ़ें पूरा रिव्यू-

क्या है 'सेक्टर-36' की कहानी? 

सेक्टर-36 की कहानी शुरू होती है साइको किलर प्रेम (विक्रांत मैसी) के साथ, जो केवल चिकन खाता है और करोड़पति उसका फेवरेट शो है, जिसे देखे बिना वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होता। क्विज शो खत्म होने के बाद वह सीधा अपने टॉयलेट में जाता है और एक लड़की जिसे उसने मारा है, उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है। वह क्राइम करने के बाद उनको करनाल के बिजनेसमैन बस्सी की कोठी पर अंजाम देता है।

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यहां से शुरू होती है मौत की कहानी, गांव में बैठी अपनी बीवी और बेटी से तो वह बेहद प्यार करता है, लेकिन वह घर के आसपास गांव में रहने वाले बच्चों को बड़ी ही बेहरमी से मारता है। कई बच्चों के गायब होने के बाद और घर वालों की शिकायत के बाद भी सब इंस्पेक्टर राम चरण पांडे (दीपक डोबरियाल)कुछ नहीं करते। गांव में जो बच्चा लाश देखता है और पुलिस को इन्फॉर्म करता है, वो भी गायब हो जाता है। 

SECTOR-36 REVIEW

हालांकि, कई हत्याओं के बावजूद भी पुलिस अधिकारी गांव के बच्चों के खोने पर तब तक सीरियस होकर FIR दर्ज नहीं करते, जब तक आंच उनकी बेटी वेदु पर नहीं आती। रामलीला के मेले से जब इंस्पेक्टर की बेटी को प्रेम उठाकर ले जाने लगता है, तब जाकर राम चरण पांडे बच्चों के गायब होने के मामले को दर्ज करता है और इस केस की तह तक जाता है।

2 घंटे 4 मिनट की फिल्म सेक्टर 36 में क्यों प्रेम बच्चों को मारता है, कैसे वह एक साइको किलर बनता है, इसे भी निर्देशक आदित्य निम्बालकर ने अपनी फिल्म में उतारा है। जब प्रेम छोटा होता है, तो उसके मामाउसका शारीरिक शोषण करते हैं और उनकी मीठ की दुकान होती हैं, जहां वह उसे बंद रखते हैं। 

बचपन में अत्याचार सहने वाला प्रेम जिस चाकू से चिकन काटता है उससे ही अपने मामा की जांघ पर वार करता है और फिर उनके टुकड़े-टुकड़े करके उनका मांस खा लेता है। ये सीन मेकर्स ने बीच-बीच में दिखाए हैं। दूसरी तरफ पांडे जी इस केस की तह तक जाने में लग जाते हैं और वह रिक्शा ड्राइवर से लेकर कंपाउंडर तक से पूछताछ करते हैं, जिससे उन्हें ये पता चलता है कि सभी बच्चों की हत्याओं के पीछे बस्सी के नौकर प्रेम का हाथ है।

बिजनेसमैन बस्सी से पूछताछ करने से तो डीसीपी जवाहर रस्तोगी (दर्शन जरीवाला) पांडे को रोक देता है और उसे सस्पेंड कर देता है। हालांकि, जैसे ही अधिकारी बदलता है, उससे बातचीत करके सब इंस्पेक्टर पांडे तुरंत मौका पाकर प्रेम को पूछताछ के लिए बुलाता है और वह पुलिस के सामने किए गए सारे क्राइम्स के बारे में उगल देता है। वह इस भरोसे पर सब बताता है कि उसके ऊपर पापा जी (बस्सी) का हाथ है।

साइको किलर प्रेम बताता है कि कैसे मामा को मारकर उनका मांस खाने से उसे आनंद आता है और फिर हर दो तीन महीने में उसे मांस खाने की आदत पड़ जाती है, जिसकी वजह से वह बच्चों को मारता है। उनके कुछ ओर्गेंस वह कंपाउंडर को बेच देता है, जिसके उसे पैसे भी मिलते हैं। कुछ वह खा जाता है।

पांडे को छानबीन में ये भी पता चलता है कि प्रेम के साथ-साथ उसके मालिक बस्सी भी बच्चों के हत्याकांड के मामले से जुड़े हुए हैं। जितनी भी बॉडी हैं, वह बस्सी के घर के टंकी के अंदर और कुछ वहां के नाले में पाई जाती हैं, जिस बिनाह पर पुलिस दोनों को गिरफ्तार करती है।

हालांकि, हत्याकांड के मामले में डीसीपी से आईबी बन चुके जवाहर अपने दोस्त बस्सी को बचा लेते हैं और सारा इल्जाम प्रेम पर आ जाता है। इस पूरी छानबीन में पुलिस राम चरण पांडे भी अपनी जिंदगी गंवा देते हैं।

सस्पेंस नहीं लेकिन फिर भी खड़े होंगे रोंगटे 

इस क्राइम थ्रिलर फिल्म की कहानी काफी प्लेन है। अगर आपको पहले से ही निठारी केस के बारे में पता है, तो शायद इस फिल्म में आपको चीजें कम ही इंटरेस्टिंग लगे। अगर आप इस क्राइम थ्रिलर फिल्म में सस्पेंस ढूंढेंगे तो वह शायद आपको नहीं मिलेगा, लेकिन कुछ सींस ऐसे हैं, जिसे देखकर आप सोच में डूब जाएंगे।  इसके अलावा डीसीपी जवाहर किसे पांडे जी की पोजीशन लेने के लिए फोन करता है और केस सुलझाने के बावजूद क्यों पांडे को पुलिस नौकरी से निकाला जाता है, इसे लेकर कई सवाल मन में आ सकते हैं।

मूवी में पांडे का जूनियर बस्सी और जवाहर मिलकर क्या उसे मरवाते हैं, ये क्लियर नहीं हो पाया है। प्रेम के कुछ पार्ट्स को मेकर्स ने रिपीट भी किया है। हालांकि, अगर निठारी केस के बारे में आप इन डिटेल नहीं जानते हैं, तो ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर जरूर देख सकते हैं।

कैसा है सितारों का काम

फिल्म की कहानी भले ही थोड़ी इधर-उधर हुई हो, लेकिन स्टारकास्ट ने तो गजब का काम किया है। विक्रांत मैसी ने साइको किलर की भूमिका को बड़ी ही बखूबी से निभाया है। बॉडी लैग्वेज से लेकर भाषा और एक्सप्रेशन, उन्होंने हर चीज को बहुत ही अच्छे से कॉपी किया है।

इसके अलावा दीपक डोबरियाल ने भी पुलिस के किरदार में जान फूंक दी। वह हर सीन में खूब जंचते हैं। इसके अलावा आकाश खुराना,दर्शन जरीवाला, बहरुल इस्लाम सहित सपोर्टिंग स्टारकास्ट ने भी अपने-अपने रोल्स को काफी अच्छे से निभाया है।

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