Sharmajee Ki Beti Review: जिम्मेदारियों और चुनौतियों के बीच जो खोने ना दे अपनी पहचान, वही है 'शर्मा जी की बेटी'
शर्माजी की बेटी प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। यह तीन मिडिल क्लास महिलाओं की कहानी है जिनके सरनेम शर्मा हैं। ताहिरा ने शर्मा सरनेम का इस्तेमाल रूपक के तौर पर किया है। फिल्म में साक्षी तंवर दिव्या दत्ता संयमी खेर और शारिब हाशमी ने प्रमुख किरदार निभाये थे। शर्माजी की बेटी फिल्म की कहानी भी ताहिरा ने ही लिखी है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर से जंग जीत चुकीं आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा कश्यप ने बतौर निर्देशक अपनी पारी का आगाज कर दिया है। ताहिरा निर्देशित पहली फिल्म शर्मा जी की बेटी प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। ताहिरा ने अपने डायरेक्टोरियल डेब्यू के लिए जो कहानी चुनी है, उसकी नायिकाएं मध्यवर्गीय महिलाएं हैं, जिनका संघर्ष कभी खत्म नहीं होता।
बच्चे की उम्र के हिसाब से इस संघर्ष का मैदान जरूर बदलता रहता है, मगर यह कभी खत्म नहीं होता। निजी जीवन अलग-अलग मोर्चों पर लड़ रहीं इन महिलाओं को बच्चों के जज्बाती उलाहनों से लेकर तरक्की पाने पर ईर्ष्यालु साथियों के ताने तक सुनने पड़ते हैं।
पति की बेवफाई भी कभी-कभी हिस्से आ जाती है तो ब्वॉयफ्रेंड की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव अपना करियर दाव पर लगा देता है। तीन किरदारों ज्योति शर्मा, किरण शर्मा और तन्वी शर्मा को केंद्र में रखकर ताहिरा ने शर्माजी की बेटी बनाई है, जो इनकी रोजमर्रा की जिंदगी की जद्दोजहद के साथ महानगरों में रहने वाली गृहिणियों के अकेलेपन को भी रेखांकित करती है।
मगर, तमाम चुनौतियों के बीच 'शर्माजी की बेटी' अपनी पहचान नहीं खोने देती है। इस लिहाज से यह एक फीलगुड फिल्म है, जो अपनी सादगी से प्रभावित करती है।
क्या है फिल्म की कहानी?
ज्योति शर्मा (साक्षी तंवर) कोचिंग में फिजिक्स और मैथ पढ़ाती है। उम्र के संवेदनशील पड़ाव से गुजर रही बेटी स्वाति (वंशिका टपारिया) आठवीं में पढ़ती है। पति सुधीर शर्मा (शारिब हाशमी) प्राइवेट नौकरी में है। अपने जॉब की आपाधापी में ज्योति बेटी पर समुचित ध्यान नहीं दे पाती, जिसकी शिकायत बेटी को रहती है।यह भी पढ़ें: Upcoming OTT Releases- 'रौतू का राज' सुलझाने आएंगे नवाजुद्दीन सिद्दीकी, 'शर्मा जी की बेटी' भी दिखाएगी जलवा
उसका मानना है कि पापा के वेतन से जब घर चल सकता है तो फिर उसे नौकरी करने की क्या जरूरत है। बेटी के सवालों के जवाब देने में असमर्थ ज्योति बचे-खुचे समय में उसे बहलाने कोशिशें करती रहती है। किशोरावस्था से यौवन की ओर बढ़ रही स्वाति के पीरियड्स शुरू नहीं हुए हैं, जिसको लेकर वो फ्रस्ट्रेट रहती है।
सालभर पहले पटियाला से मुंबई आई किरण शर्मा (दिव्या दत्ता), पति विनोद शर्मा (प्रवीन डबास) और बेटी गुरवीन (अरिस्ता मेहता) के साथ रहती है। किरण नितांत अकेली है। पति के पास उसके लिए बिल्कुल वक्त नहीं है। अकेलेपन को दूर करने के लिए वो अलग-अलग तरीके ढूंढती रहती है। तन्वी शर्मा (संयमी खेर) स्टेट लेवल की क्रिकेटर है, जो बड़ौदा से मुंबई टीम के लिए खेलती है और नेशनल टीम में शामिल होने के लिए कोशिशें कर रही है। उसका मॉडल ब्वॉयफ्रेंड हीरो बनने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन तन्वी को ज्यादा गर्ली दिखने के लिए टोकता रहता है। ये तीनों महिलाएं किस तरह अपनी-अपनी जिंदगी की समस्याओं से जूझते हुए खुद को तलाश करती हैं, यही शर्माजी की बेटी की कहानी का सार है।