Shoorveer Review: कलाकारों के अभिनय और तकनीकी पक्ष ने संभाली कहानी के मोर्चे पर विफल सीरीज 'शूरवीर'
Shoorveer Web Series Review शूरवीर सीरीज भारतीय सैन्य बलों की जांबाजी और कार्यशैली को दिखाती है। खासकर वायु सेना में दिलचस्पी रखने वालों को सीरीज पसंद आएगी। हालांकि कहानी में कोई नयापन ना होने से रोमांच कम लगता है।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 16 Jul 2022 08:04 PM (IST)
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री देश को विश्वगुरु बनाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर आतंकी वारदातें रोड़े अटका रही हैं। प्रधानमंत्री को इस बात की भी फिक्र है कि अगर ऐसा होता रहा तो देश की जनता को क्या जवाब देंगे। पीएम की इस चिंता का समाधान एनएसए के मुखिया मिलिंद फणसे लेकर आते हैं। यह समाधान है हॉक्स (Hawks), देश की पहली फर्स्ट रिस्पॉन्स टीम, जो भारतीय सेना के तीनों अंगों थल, जल और वायु सेना के सर्वश्रेष्ठ अफसरों को मिलाकर बनी है।
इस विशेष यूनिट का मंत्र है जीरो कैजुअलटी, यानी किसी भी ऑपरेशन में अपने किसी जांबाज की जान नहीं जानी चाहिए। इस यूनिट को खड़ा करने की कमान सौंपी जाती है वायु सेना के अधिकारी जीसी रंजन मलिक को, जिन्होंने यूएन के एक ऑपरेशन में अपने 17 जवान खोने के बाद इस यूनिट की परिकल्पना की थी, ताकि फिर किसी सोल्जर की जान ना जाये और सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर सामंजस्य बन सके।
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हॉक्स के गठन, ट्रेनिंग और ऑपरेशन को समेटती है शूरवीर
डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज शूरवीर हॉक्स के गठन और इसके पहले ऑपरेशन की कहानी है। 31 मिनट से 55 मिनट अवधि के आठ एपिसोड्स में फैली सीरीज देशभक्ति के जज्बे से भरी हुई है और भारतीय सैन्य बलों, खासकर वायु सेना की कार्यशैली के अंदर झांकने का मौका देती है। हिंदी सिनेमा में वायु सेना को इतनी गहराई के साथ कम ही दिखाया गया है।सीरीज मुख्य रूप से दुश्मन देशों द्वारा चलायी जा रही आतंकी वारदातों और साजिशों से निपटने के लिए सैन्य बलों, इंटेलीजेंस एजेंसियों और सरकारी तंत्र के बीच तालमेल को पेश करती है। साथ ही संदेश देती है कि अगर राजनैतिक इच्छा शक्ति की दृढ़ता और सहयोग से सैन्य बलों का मनोबल बढ़ाया जा सकता है, जो अंतत: देश के काम आएगा।संदेश यह भी दिया गया है कि दौर अब ज्यादा सोचने-विचारने का नहीं, बल्कि एक्शन लेने का है। यह नया भारत है, जहां एलओसी के उस पार 200 किमी तक जाकर दुश्मन को 20 मिनट के अंदर ध्वस्त किया जा सकता है और 32 किमी अंदर फंसे अपने साथी को सकुशल छुड़ाकर भी लाया जा सकता है।
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तीन ट्रैक्स पर चलती है शूरवीर की कहानी
ब्रिजेश जयराजन लिखित कहानी को सागर पांड्या ने स्क्रीनप्ले में तीन ट्रैक्स में बांटा है। पहला- फर्स्ट रिस्पॉन्स टीम हॉक्स का गठन और ट्रेनिंग। दूसरा- पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व चीफ रियाज की लम्बी दूरी की भारतीय मिसाइल वायु को नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम को निष्क्रिय करने की योजना को विफल करना। तीसरा- स्वीडन की कम्पनी से वायु सेना के लिए खरीदे गये फाइटर विमानों में तकनीकी खराबी के कारण पायलटों की जान खतरे में पड़ना। इस एक विमान की कीमत 450 मिलियन डॉलर है। सीरीज में लड़ाकू विमान के सौदे में विदेशी कम्पनियों के भ्रष्टाचार को भी रेखांकित किया गया है। सीरीज के संवाद निसर्ग मेहता ने जूही गोखियानी और जयदेव हेमाड़ी के साथ मिलकर लिखे हैं, जिनमें मौजूदा माहौल और विचारधारा की छाप निरंतर नजर आती है। प्रधानमंत्री का कहना कि हम देश को विश्वगुरु बनाना चाहते हैं या बालाकोट स्ट्राइक का हवाला देते हुए एलओसी के उस पार जाकर एयर स्ट्राइक करना। आर्मी अफसरों की भाषा और इस्तेमाल होने वाले तकनीकी शब्दों पर खास ध्यान दिया गया है, जिससे किरदार ऑथेंटिक लगते हैं।
शूरवीर को भारत की टॉपगन बनाने की कोशिश की गयी है। हालांकि, सीरीज के लेखन में नयेपन की कमी अखरती है। शूरवीर की कहानी, कैरेक्टर ग्राफ, घटनाक्रम और साजिशें कई सीरीजों और फिल्मों में नजर आती रही हैं।
तकनीकी रूप से शानदार सीरीज है शूरवीर
इस सीरीज का जो पक्ष सबसे मजबूत है, वो है- फिल्मांकन और तकनीक। निर्माण के स्तर पर शूरवीर बेहद शानदार दिखती है और इसके दृश्य प्रभावित करते हैं। प्रोडक्शन डिजाइन और प्रतीक देवरा की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। आसमान में रेस लगाते फाइटर प्लेन और जमीन पर ऑपरेशन के दृश्य असरदार लगते हैं। कलाकारों की यूनिफॉर्म से लेकर सैन्य दफ्तरों की डिजाइनिंग में प्रोडक्शन ने बारीकियों का ध्यान रखा है।
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