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Singham Again Review: कहानी की पिच पर फिसल गया 'सिंघम', एक्शन और मारधाड़ से भरी मल्टी स्टारर मूवी

Singham Again Movie Review अजय देवगन (Ajay Devgn) स्टारर सिंघम अगेन मूवी लंबे वक्त बाद आज से सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। निर्देशक रोहित शेट्टी की इस मल्टी स्टारर मूवी को लेकर दर्शकों में काफी क्रेज है। इस बीच हम आपके लिए सिंघम अगेन का रिव्यू लेकर आए हैं और बताएंगे कि ये फिल्म आपको सिनेमाघरों में देखनी चाहिए या नहीं।

By Smita Srivastava Edited By: Ashish Rajendra Updated: Fri, 01 Nov 2024 05:58 PM (IST)
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सिंघम अगेन फिल्म का रिव्यू (Photo Credit-Jagran)
एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। निर्देशक रोहित शेट्टी और अजय देवगन (Ajay Devgn) की जोड़ी फिल्म सिंघम अगेन के जरिए वापसी कर चुकी है। दीवाली के अवसर पर आज इस फिल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया है। ऐसे में हम आपको सिंघम अगेन (Singham Again Review) का फुल मूवी रिव्यू बताने जा रहे हैं। 

क्या है फिल्म की कहानी?

अपने पुलिस किरदारों की दुनिया गढ़ रहे रोहित शेट्टी का सिंघम यानी बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) महाराष्‍ट्र, गोवा के बाद कश्‍मीर आ गया है। इस यूनिवर्स की फिल्‍म सूर्यवंशी में उमर हाफिज (जैकी श्राफ) की कहानी दिखाई गई थी। उमर के दो बेटों को सूर्यवंशी (अक्षय कुमार), सिंघम और सिंबा (रणवीर सिंह) मार देते हैं। अब उमर ड्रग्‍स के धंधे में लिप्‍त है।

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सिंघम अगेन की शुरुआत इसी उमर को पकड़ने के साथ होती है। हालांकि इस बार सिंघम अगेन की कहानी रामलीला मंचन के समानांतर चलती है। सिंघम से जुड़े पात्रों को रामायण सरीखा बताया गया है। खैर गिरफ्त में आया उमर चेतावनी देता है कि वह अकेला नहीं है। कोई सिघम का कफन तैयार कर रहा है। फिर कहानी दो साल आगे बढ़ती है।

सिंघम की पत्‍नी अवनि (करीना कपूर) सांस्कृतिक विभाग में कार्यरत है। वह रामलीला के मंचन की जिम्‍मेदारी साथ रामायण से जुड़े तथ्‍यों के बारे में भी बता रही है। पुलिस उमर के नेटवर्क की खोज में होती है। उनकी धड़पकड़ को लेकर शिवा स्‍क्‍वाएड का गठन होता है जिसका मुखिया सिंघम होता है।

उमर के नेटवर्क से जुड़े लोगों के मदुरै में होने की जानकारी मिलती है। डीसीपी शक्ति शेट्टी (दीपिका पादुकोण) उन्‍हें गिरफ्तार कर लेती है। उसके बाद सामने आता है डेंजर लंका (अर्जुन कपूर) यानी रावण। वह नाटकीय घटनाक्रम में अवनि का अपहरण कर लेता है और उसे श्रीलंका ले जाता है। सिंघम अपनी पत्‍नी को उसके चंगुल के मुक्‍त कराने जाता है। इस मिशन में उसके साथ सिंबा और सूर्यवंशी आते हैं। उनके साथ सत्‍या (टाइगर श्राफ) और शक्ति भी जुड़ते हैं।

स्क्रीनप्ले रहा कमजोर

दीवाली के मौके पर रिलीज सिंघम अगेन को रामायण के समानांतर बनाने का आइडिया दिलचस्‍प था। साकेत पटवर्धन द्वारा लिखी कहानी फिल्‍म रंग दे बसंती की याद दिलाती है जिसमें एक तरफ क्रांतिकारियों की कहानी चल रही होती है दूसरी ओर समकालीन किरदार। यूनुस सजावल, क्षितिज पटवर्धन, संदीप साकते, अनुषा नंदाकुमार, अभिजीत खुमान और रोहित शेट्टी यानी छह लोगों द्वारा स्‍क्रीन प्‍ले लिखने के बावजूद दोनों कहानियों को समानांतर चलाने के लिए मजबूत ड्रामा और दमदार सीक्‍वेंस यहां नजर नहीं आता।

फिल्‍म की शुरुआत में उमर का इस उम्र में बराबरी से सिंघम के साथ एक्‍शन सीन ही पचता नहीं है। सिंघम की एंट्री भी दमदार नहीं बन पाई है। फिल्‍म का फर्स्‍ट हाफ लचर है। तमाम सितारों की मौजूदगी, धुंधाधार एक्‍शन के बावजूद इसमें कोई चार्म नहीं है। एक्‍टर हमेशा कहते हैं कि एक्‍शन के साथ इमोशन जुड़ा होता हे। यहां पर इमोशन नदारद है।

रावण सरीखे जुबैर का अवनि का अपहरण करने के प्रसंग तक कहानी में कोई रोमांच, कौतूहल या जुड़ाव नहीं होता। पात्र और कहानी थके हुए लगते हैं। शक्ति शेट्टी के पुलिस थाने पर हमले वाला प्रसंग बेहद कमजोर है।

कहां-कहां हुई है सिंघम अगेन की शूटिंग?

यह फिल्‍म कश्‍मीर, रामेश्वरम, मदुरै से लेकर श्रीलंका के अलग अलग स्‍थानों पर जाती है। सिनेमेटोग्राफर गिरीश कांत, रजा हुसैन मेहता अपने कैमरे के जरिए वहां की नयनाभिराम खूबसूरती को दर्शाते हैं, लेकिन सिंबा को छोड़कर कोई भी लुभा नहीं पाता है।

फिल्‍म में कश्‍मीर के बदलते हालात, पत्‍थरबाजी से दूरी बनाते युवा, आत्‍मनिर्भर भारत जैसे समकालीन मुद्दों के बावजूद फिल्‍म मसालेदार नहीं बन पाई है। मध्यांतर के बाद सिंबा की एंट्री नीरसता को खत्‍म करती है। उनके हिस्‍से में कई पंच लाइन हैं जो हंसाती हैं। फिल्‍म कुछ कुछ एक्‍शन सीन शानदार है।

कैसी रही स्टार कास्ट की एक्टिंग?

सिंघम का देश के प्रति जज्‍बा, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा तो उसमें कायम है लेकिन सिंघम को देखकर इस बार न तो तालियां पड़ती है, न ही सीटियां बजती हैं। उसकी वजह है कमजोर कहानी और पात्र का घिसापिटा चित्रण। सिंघम फ्रेंचाइज भले ही अजय देवगन के इर्दगिर्द है लेकिन इस बार उन पर सिंबा भारी पड़े हैं। ट्रेलर आने के बाद दीपिका पादुकोण को इंटरनेट मीडिया पर ट्रोल किया गया था।

लेडी सिंघम के तौर पर वह कहीं भी प्रभावित नहीं कर पाती। उनके हिस्‍से में चुनिंदा सीन है। रणवीर अपने खास अंदाज में हैं और सब पर भारी पड़ते हैं। अक्षय की एंट्री हमेशा की तरह हेलिकॉप्‍टर पर है। वह चिरपरिचित अंदाज में हैं।

डेंजर लंका बने अर्जुन कपूर कहीं से भी डेंजर यानी खतरनाक लगते नहीं हैं। करीना कहीं-कहीं ओवर एक्टिंग करती दिखी हैं। फिल्‍म में इस बार नई एंट्री सत्‍या की भूमिका में टाइगर श्रॉफ की है। उनके हिस्‍से में संवाद कम बस एक्‍शन है, जिसके वह महारथी हैं। रवि किशन कौन से मंत्री हैं यह आपको खुद की तय करना होगा।

आखिर में चुलबुल पांडे यानी सलमान खान की एंट्री से फिल्‍म के अगले भाग का संकेत है। वह भी इस यूनिवर्स का हिस्‍सा बनने जा रहे हैं। उसके लिए इंतजार करना होगा। बहरहाल, अपनी हर फिल्‍म में गाड़ियों को हवा में उछालते, हेलिकाप्‍टर से नायक की एंट्री कराते रोहित को थोड़ा ब्रेक लेकर कहानी पर गहराई से काम करने की जरूरत है।

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