Swatantrya Veer Savarkar Review: कुछ जवाब देती, कुछ सवाल उठाती वीरता की कहानी, किरदार में उतर गये रणदीप हुड्डा
Randeep Hooda की फिल्म Swatantrya Veer Savarkar सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म में शीर्षक भूमिका निभाने के साथ रणदीप ने सह-लेखन और निर्देशन भी किया है। कहानी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की है जिन्होंने काला पानी की सजा काटी थी। रणदीप की फिल्म उनके जीवन के प्रमुख पड़ावों को दिखाने के साथ तत्कालीन राजनीतिक उठापटक भी दिखाती है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। अभिनेता रणदीप हुड्डा ने क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर आधारित फिल्म बनाने का कारण बताते हुए कहा था कि यह एंटी-प्रोपेगंडा फिल्म है, जो सावरकर से जुड़ी दूषित धारणाओं को खत्म करेगी।
फिल्म शुरू से ही उसी दिशा में आगे बढ़ती है, जहां फिल्म के निर्देशक, सह-लेखक और सह-निर्माता रणदीप एक-एक तारीख और अहम घटना का जिक्र करते हैं।
क्या है स्वातंत्र्य वीर सावरकर की कहानी?
कहानी विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) के बचपन से आरंभ होती है। महामारी की वजह से मरणासन्न उनके पिता कहते हैं कि इस क्रांति में कुछ नहीं रखा है विनायक, अंग्रेज बहुत बड़े हैं, लेकिन विनायक के मन में क्रांति की ज्वाला उम्र के साथ और भड़कती है।अपने आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह वह भी मानते हैं कि अंग्रेजों से लड़ने के लिए देश को सशस्त्र होना होगा। कॉलेज में ही वह अंग्रेजों के खिलाफ अभिनव भारत सोसाइटी की शुरुआत करते हैं। लंदन जाकर गोरों का कानून सीखना चाहते हैं, इसलिए ऐसे परिवार में शादी करते हैं, जो उनके विदेश जाने का खर्च उठा सके।
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178 मिनट की फिल्म में रणदीप ने सावरकर का बचपन, आजाद भारत के लिए उनके मन में धधकती ज्वाला, लंदन जाकर फ्री इंडिया सोसाइटी, इंडिया हाउस जैसे संगठनों से जुड़ना, इस कारण ब्रिटिश सरकार का उन्हें गिरफ्तार करना, भारत आते वक्त पानी के जहाज से कूदकर फ्रांस में शरण लेने का प्रयास करना शामिल हैं।इनके अलावा दो बार आजीवन कारावास के दौरान काला पानी की सजा काटना, राजनीतिक कैदी के तौर पर अपने अधिकारों का प्रयोग कर बरी होने के लिए याचिका लिखना, हिंदू महासभा का नेतृत्व करना, हिंदुओं से सशस्त्र बलों में शामिल होने की बात कहना, अंखड भारत का नारा लगाना, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या मामले में पहले मुख्य अभियुक्तों में उनका नाम आना, फिर संबंध स्थापित ना हो पाने पर बरी होना... को भी दिखाया गया है।
इस चक्कर में फिल्म लंबी जरूर हो गई है, लेकिन इस बात का एहसास इंटरवल तक बिल्कुल नहीं होता। काला पानी की सजा के दौरान जेल का वार्डन कहता है कि नर्क में आपका स्वागत है। वहां पर कैद क्रांतिकारियों का हाल देखकर शरीर में सिहरन होती है। आजादी में सांस लेने की कीमत और बढ़ जाती है, जिसे स्वतंत्रता सेनानियों ने यातनाएं सहकर हमें दी है।