यह सीरीज दो पार्ट्स में रिलीज की जा रही है। फिलहाल चार एपिसोड्स जारी किये गये हैं, जिनकी समयावधि औसतन 45 मिनट है। बाकी का हिस्सा जून में रिलीज किया जाएगा, जिसका प्री-कैप आखिरी एपिसोड के साथ नत्थी किया गया है।
डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अडेप्टेड सीरीजों की लिस्ट काफी लम्बी है। क्रिमिनल जस्टिस से लेकर आउट ऑफ लव तक, ब्रिटिश धारावाहिकों के अडेप्टेशन हैं। इन सीरीजों को काफी सफलता मिली और दर्शकों ने इन्हें पसंद किया था। इस लिस्ट में अब द नाइट मैनेजर का नाम जुड़ गया है।
द नाइट मैनेजर एक स्पाइ-एक्शन थ्रिलर है। संदीप मोदी ने इसका निर्देशन किया है। द नाइट मैनेजर विजुअली अच्छी लगती है। शानदार लोकेशंस, सूट-बूट पहने कलाकार, स्टाइलिश एक्शन, सब कुछ है... मगर फिर भी कुछ खटकता है।स्पाइ सीरीज में जिस तरह के रोमांच का अनुभव होना चाहिए, वो नहीं होता। दूसरे विदेशी अडेप्टेशन की तरह यह सीरीज स्वाभाविक नहीं लगती। बनावटी होने का एहसास देती है। हालांकि, कहानी का प्रवाह, अभिनय और दृश्यों का संयोजन इसे दर्शनीय जरूर बनाता है।
क्या है सीरीज की कहानी?
शांतनु सेनगुप्ता उर्फ शान सेनगुप्ता नेवी का एक्स लेफ्टिनेंट है और ढाका के द ओरिएंट पर्ल होटल में नाइट मैनेजर है, यहां एक 14 साल की बच्ची सफीना उसे मदद मांगती है, जो होटल के मालिक फ्रेडी रहमान की पत्नी है। फ्रेडी सिर्फ होटल का मालिक नहीं, बल्कि अवैध हथियारों का कारोबार करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का सदस्य है।सफीना से इस संबंध में सबूत मिलने के बाद शान सेनगुप्ता भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी की मदद से उसे बचाकर भारत भेजने की कोशिश करता है, मगर कामयाब नहीं हो पाता। फ्रेडी सफीना का कत्ल करवा देता है।
यह अपराधबोध शान को कचोटता रहता है। कुछ वक्त बाद रिसर्च एडमिनिस्ट्रेशन विंग की अधिकारी लिपिका सैकिया राव के कंविंस करने पर शान शैलेंद्र सिंह रूंगटा के गिरोह में अंडरकवर शामिल होकर जासूसी करने लगता है। क्या शान अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा? क्या सफीना की मौत का बदल ले सकेगा? क्या रूंगटा शान को पहले ही पकड़ लेगा? क्या शान रूंगटा के साम्राज्य को खाक में मिला पाएगा? इन सब सवालों के जवाब सीरीज के अगले हिस्से में मिलेंगे।
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रिव्यू- द नाइट मैनेजर (The Night Manager)
द नाइट मैनेजर का स्क्रीनप्ले श्रीधर राघवन ने लिखा है, जो पठान के लेखक हैं। सीरीज की शुरुआत शान के पुलिस से बचने के दृश्यों से होती है। इसके बाद कहानी बांग्लादेश के ढाका शहर पहुंच जाती है, जहां के होटल में शान नाइट मैनेजर है।यहां रोहिंग्या मुसलमानों के विस्थापन के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके चलते मेहमान होटल में कैद होकर गये हैं। शान को इनकी समस्याओं से निपटते हुए दिखाया गया है।
इसी क्रम में उसकी मुलाकात सफीना से होती है। शान की बैकग्राउंड पर समय खर्च नहीं किया गया है। उसे कुछ बुरे सपने आते हैं, जिनका संबंध सेवा में रहते हुए किये गये एक ऑपरेशन से है।इस ऑपरेशन में शान बच्चों को नहीं बचा सका था। हालांकि, इसके विस्तार में जाने की कोशिश नहीं की गयी है, बस संवादों से काम चला लिया गया है। उसके अतीत का अपराधबोध सफीना के मरने के बाद उभरकर आता है। शान रूंगटा को इसके लिए जिम्मेदार मानता है।
शायद यही वजह है कि वो सैकिया के कहने पर रूंगटा के गिरोह में शामिल हो जाता है। यहां भी उसे एक बच्चा ताहा मिलता है, जो रूंगटा का बेटा है और शान के मिशन का अहम किरदार।
दूसरे एपिसोड से पकड़ पड़ी ढीली
सीरीज की शुरुआत अच्छी है, मगर दूसरे एपिसोड के बाद यह पकड़ खो देती है। नाइट मैनेजर शान और शैलेंद्र रूंगटा की संयोगवश मुलाकात के दृश्य सीरीज प्रभावित करते हैं। कहानी का यह अहम हिस्सा भी है।
श्रीलंका के निजी आइलैंड पर आलीशान बंगले में रह रहे रूंगटा और उसके साथियों की भाषा हिंदुस्तानी है, मगर उनका रहन-सहन देखकर लगता है, जैसे मैक्सिको के किसी ड्रग कारटेल की फैमिली को देख रहे हैं। विदेशी फिल्मों और सीरीजों में ऐसे दृश्य दिखते रहे हैं।रूंगटा के बेटे को किडनैप करने वाला दृश्य इस स्पाइ स्टोरी का निर्णायक बिंदु है, मगर इसे बेहद हल्के ढंग से दिखाया गया। रूंगटा के घर पहुंचकर शान किस तरह जासूसी को अंजाम देता है, वो दृश्य दिलचस्प हैं। खासकर, आइलैंड से मेनलैंड पहुंचने पर लिपिका जिस तरह शान तक संदेश पहुंचाती है, वो मजेदार है।
हल्का रहा रूंगटा का रंग
शैलेंद्र रूंगटा के किरदार का खाका जिस तरह कागजों पर खींचा गया होगा, वैसे वो पर्दे पर उतर नहीं सका है। रूंगटा शिपिंग, माइनिंग और पेट्रोकैमिकल्स के बिजनेस में है। समाज सेवा भी करता है, मगर यह सिर्फ एक कवर है। उसका असली कारोबार अवैध हथियारों का है। फर्जी कम्पनियों के जरिए वो ये कारोबार चलाता है।बेहद पावरफुल है और सरकार के उच्चाधिकारी उसके लिए काम करते हैं। इसलिए, जब भी कोई एक्शन होने वाला होता है, शैली को पहले ही पता चल जाता है। सफीना की मौत भी ढाका में इनफॉर्मेशन लीक होने की वजह से हुई थी। यह भी पढ़ें:
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इस किरदार में अनिल कपूर कूल बिजनेसमैन तो लगे हैं, मगर अंतरराष्ट्रीय किंगपिन वाला स्वैग गायब दिखता है। जो इंटेंसिटी इस किरदार के लिए चाहिए थी, वो चार एपिसोड्स तक तो नजर नहीं आती। उम्मीद है कि आने वाले एपिसोड्स में अनिल का यह किरदार करवट बदलेगा और दर्शकों को चौंकाएगा।
'शान' में गुस्ताखी
कुछ ऐसा ही आदित्य रॉय कपूर के किरदार शान सेनगुप्ता के साथ भी है। नाइट मैनेजर के रोल में जितना डैशिंग वो लगे हैं, एक स्पाइ के रूप में उतना असर पैदा नहीं कर सके। यह किरदार भी अभी पूरी तरह खुलना बाकी है।सीरीज के दूसरे पार्ट के जो हिस्से चौथे एपिसोड के अंत में दिखाये गये हैं, उनमें शान के किरदार की कुछ नयी परतें खुलती दिख रही हैं। हालांकि, उसके लिए इंतजार करना होगा। सहयोगी स्टार कास्ट में रॉ अधिकारी लिपिका के किरदार में तिलोत्तमा शोम जंची हैं। उनके किरदार को जिस तरह से अपने काम के लिए दीवाना दिखाया गया है, उसे तिलोत्तमा ने सही से जिया है। रूंगटा का दायां हाथ, रंगीनमिजाज और शक्की बृज पाल यानी बीजे के रोल में शाश्वत चटर्जी ने पूरी कोशिश की है, मगर इस किरदार की गे साइड निभाते हुए उन्हें देखना अटपटा लगता है।कुछ दृश्यों में उनका अंदाज नाटकीय लगता है। रवि बहल सालों बाद अभिनय में लौटे हैं। सीरीज में उनका किरदार रूंगटा के पार्टनर का है। हालांकि, रवि के हिस्से में बहुत कुछ नहीं आया है।
शैलेंद्र रूंगटा यानी शैली की गर्लफ्रेंड के किरदार में शोभिता धुलिपाला ठीक लगती हैं। उन्होंने इस किरदार की सेंसुअसनेस को कामयाबी से उभारा है। उसका एक अतीत भी है, जिसका खुलासा अभी नहीं किया गया है। यह समस्या ज्यादातर अडेप्टेड सीरीज के साथ रहती है। सीन-दर-सीन स्क्रीनप्ले मैच करवाने के चक्कर में शो को जिस स्थानयी परिवेश, वातावरण और टच की जरूरत होती है, वो चला जाता है और अंतिम प्रोडक्ट नकली सा दिखने लगता है।द नाइट मैनेजर के ये चार एपिसोड्स एक तरह से बाद वाले भाग की बुनियाद रखते हैं। इसलिए शो का सही फैसला दूसरा पार्ट आने के बाद ही होगा, जिसमें ज्यादा थ्रिल, रोमांच और एक्शन के दृश्य देखने को मिलेंगे।
कलाकार- अनिल कपूर, आदित्य रॉय कपूर, शोभिता धुलिपाला, तिलोत्तमा शोम आदि।
निर्देशक- संदीप मोदी
प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग- तीन स्टार