The Nun 2 Review: सिहरन पैदा नहीं करती 'द नन 2', कॉन्ज्युरिंग यूनिवर्स की कमजोर कड़ी
The Nun 2 Review द नन 2 कॉन्ज्युरिंग यूनिवर्स की फिल्म है जिसमें एक डेविल नन की कहानी दिखायी गयी है। यह 2018 में आयी द नन का सीधा सीक्वल है और कहानी चार साल बाद के कालखंड में स्थापित है। कॉन्ज्युरिंग यूनिवर्स की सभी फिल्में पीरियड हॉरर हैं। कुछ की कहानी वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है। इन हॉरर फिल्मों की भारी फैन फॉलोइंग है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जवान के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई हॉलीवुड हॉरर फिल्म द नन 2 कॉन्ज्युरिंग यूनिवर्स की नौवीं फिल्म है और 2018 में आयी द नन का सीक्वल है।
मगर, कहानी और हॉरर के मामले में यह इस यूनिवर्स की सबसे कमजोर फिल्म है। कहानी में कुछ नयापन नहीं है और ना ही अब नन को देखकर सिहरन महसूस होती है। ऐसा लगता है कि नन की कहानी और किरदारों का चित्रण टाइप्ड हो गया है।
क्या है द नन 2 की कहानी?
द नन 2 की कहानी 1956 के फ्रांस के टारास्कन में दिखायी गयी है। रोमन चैप्टर के चार साल बाद शैतान वलक नन के रूप में एक बार फिर हमला करता है और एक पादरी को जलाकर मौत के घाट उतार देता है। जांच के लिए वेटिकन सिस्टर आइरीन को बुलाता है, जिससे पादरियों और दूसरी नन्स को बचाया जा सके। आइरीन, सिस्टर डेबरा के साथ पहुंचती हैं।
यह भी पढ़ें: Upcoming Horror Movies: डरने का शौक है तो फिर हो जाइए तैयार, लाइन से आ रही हैं इतनी हॉरर फिल्में
कैसा है द नन 2 का स्क्रीनप्ले?
माइकल शॉवेस निर्देशित द नन 2 की कहानी आकेला कूपर ने लिखा है। इयान गोल्डबर्ग, रिचर्ड नाइंग और आकेला का स्क्रीनप्ले है। कॉन्ज्युरिंग यूनिवर्स की कहानियां आपस में जुड़ी हुई हैं। माइकल शॉवेस ने इससे पहले यूनिवर्स की फिल्म द कर्स ऑफ ला लोरोना और द कॉन्ज्युरिंग- द डेविल मेड मी डू इट को निर्देशित किया था। द नन 2 उनकी तीसरी और सबसे हल्की फिल्म है।
द नन फ्रेंचाइजी को फॉलो करने वाले दर्शक इसे अपने निजी जुड़ाव के कारण तो देख सकते हैं, मगर फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जो कुछ नया पेश करती हो। अगर कहानी का विस्तार देखें तो सिर्फ कथाभूमि बदल गयी है, जबकि किरदार और घटनाएं लगभग वैसी ही हैं।
बोनी आरोंस ने नन यानी डेविल वलक के किरदार में वापसी की है, मगर यह किरदार डराता नहीं। इसकी वजह हो सकती है कि पहले भाग में नन के डरावने दृश्य देख चुके हैं, इसलिए बहुत कुछ अप्रत्याशित नहीं है। हॉरर फिल्मों में घटनाओं का अचानक घटना दहशत पैदा करता है। 'द नन 2' के केस में ऐसा नहीं होता।
फिल्म का क्लाइमैक्स भी बेहद कमजोर है और बहुत जल्दबाजी में निपटाया हुआ लगता है। कहानी में होने वाले खुलासे चौंकाते नहीं हैं। 'द नन 2' की प्रोडक्शन वैल्यू जरूर प्रभावित करती है। जिस कालखंड में कहानी दिखायी गयी है, उस दौर की बारिकियों पर पूरा ध्यान रखा गया है।
भवनों से लेकर वाहन और कॉस्ट्यूम दृश्यों को वास्तविकता के करीब रखते हैं। अन्य पहलुओं की बात करें तो पार्श्व संगीत भी प्रभावित नहीं करता, जो हॉरर फिल्मों के असर को गहरा करने में अहम भूमिका निभाता है।
यह भी पढ़ें: इन भारतीय हॉरर फिल्मों को आइएमडीबी पर मिली है सबसे ज्यादा रेटिंग, देखें लिस्ट