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The Romantics Review: यश चोपड़ा की फिल्मों की तरह सुरीली और रंग बिरंगी सीरीज! कुछ सुने, कुछ अनसुने किस्से

The Romantics Review यश चोपड़ा ने अपनी फिल्ममेकिंग से हिंदी सिनेमा में रोमांस को एक दिशा दी। उनकी कहानियों में रोमांस प्रधान तत्व हुआ करता था। फिर जॉनर चाहे जो हो। रिश्तों को उनके जैसा कोई नहीं दिखा पाया।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Wed, 15 Feb 2023 02:04 PM (IST)
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The Romantics Review Yash Chopra Documentary Show. Photo- Instagram

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। द रोमांटिक्स सीरीज का क्रेडिट रोल शुरू होने से पहले डॉक्युमेंट्री सीरीज में शामिल हस्तियों के वन लाइनर्स दिखाये जाते हैं। कैमरे के सामने बैठते ही सलीम खान कहते हैं- बस यह मत पूछना, सलमान की शादी कब होगी?

यह उनका मजाकिया स्वभाव है, जिसकी जद में अक्सर उनका अपने भी आ जाते हैं। शुरुआती मोंटाज के दृश्य बदलते रहते हैं और अलग-अलग कलाकार, लेखक, निर्देशक आते रहते हैं। यशराज की फिल्मों का संगीत और दृश्य गुंथे हुए रहते हैं। 

लगभग 6 मिनट का यह मोंटाज पूरी डॉक्युमेंट्री का मिजाज सेट कर देता है। दर्शक को समझ आता है कि अगले 52 मिनट कैसे गुजरने वाले हैं, क्योंकि पायलट एपिसोड लगभग 58 मिनट का है।

नेटफ्लिक्स पर शुक्रवार को आयी द रोमांटिक्स, यश चोपड़ा की फिल्मों की तरह ही संगीत और रंगों से सजी डॉक्युमेंट्री है। पहले एपिसोड से आखिरी एपिसोड्स तक, यशराज की सुपरहिट फिल्मों के दृश्य और संगीत की निरंतर बहती धारा बोर नहीं होती। बातों के साथ अगर संगीत की संगत मिल जाए तो माहौल खुशनुमा रहता है।

द रोमांटिक्स तकरीबन एक घंटे की अवधि के चार एपिसोड्स की डॉक्युमेंट्री सीरीज है। इन चार एपिसोड्स में मुख्य रूप से यश चोपड़ा की फिल्ममेकिंग पर फोकस किया गया है, जिसमें रोमांस की एक बेहद प्रबल धारा अंतर्निहित रहती थी। चारों एपिसोड्स के शीर्षक उनके सफर और फिल्मों की विरासत को आगे बढ़ाने के क्रम में आये पड़ावों के प्रतीक हैं- द ब्वॉय फ्रॉम जालंधर, प्रोडिगल सन, द न्यू गार्ड और लेगेसी।

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35 सेलिब्रिटीज और दोस्तों के इंटरव्यू  

यश चोपड़ा ने किस तरह रोमांस को अपने सिनेमा का प्रधान तत्व बनाया, डॉक्युमेंट्री उसी प्रक्रिया को यशराज फिल्म्स और यश चोपड़ा के साथ काम करने वाले कलाकारों, लेखकों, निर्देशकों और पत्रकारों के जरिए बयां करती है। वहीं, कुछ परिवारिक दोस्तों के माध्यम से यश चोपड़ा की निजी यात्रा के अहम पड़ावों पर बात की गयी है।

यश चोपड़ा के परिवार से भी डॉक्युमेंट्री में मुलाकात होती है। पामेला चोपड़ा, आदित्य चोपड़ा, उदय चोपड़ा और रानी मुखर्जी फिल्मी परिवार के कुछ दिलचस्प किस्से सुनाते हैं। पहला एपिसोड यश जी का परिचय जालंधर के मिडिल क्लास परिवार के बच्चे के तौर पर करवाता है।

अमिताभ बच्चन (दीवार, त्रिशूल, कभी कभी, काला पत्थर, सिलसिला), अनिल कपूर (लम्हे, मशाल, विजय), शाह रुख खान (डर, वीर जारा, जब तक है जान), सलमान खान, आमिर खान (परम्परा), सैफ अली खान (परम्परा), रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, माधुरी दीक्षित (दिल तो पागल है), काजोल, जूही चावला (डर), अभिषेक बच्चन से लेकर आयुष्मान खुराना तक बने हैं, जो यशराज बैनर और यश जी के क्राफ्ट की बातें करते हैं, साथ ही यादें भी ताजा होती हैं। कुछ मजेदार किस्से भी निकल आते हैं।

पत्नी पामेला एप्रूव करती थीं फिल्मों के संगीत

द रोमांटिक्स असल में यश चोपड़ा के बतौर फिल्ममेकर सफर और उनके क्राफ्ट का विवरण है। इसे यश चोपड़ा की फिल्मी बायोग्राफी भी कही जा सकती है। उनके करियर की पहली फिल्म से लेकर आखिरी फिल्म तक के सफर, निजी संघर्ष, उतार-चढ़ावों को इसमें कवर किया गया है। उनके निर्देशन में काम करने वाले कलाकार बताते हैं कि यश चोपड़ा उन फिल्मकारों में शामिल थे, जो अपनी फिल्म के लिए एक कन्विक्शन रखते थे और इसी वजह से जब फिल्में नहीं चलती थीं तो वो निराश हो जाते थे।

बड़े भाई और जाने-माने फिल्मकार बीआर चोपड़ा की कम्पनी में वेतन पर नौकरी करने वाले यश चोपड़ा ने जब 1970 में अपनी कम्पनी यशराज फिल्म्स की नींव रखी तो इसमें उनका सबसे बड़ा संबंल उनकी पत्नी पामेला चोपड़ा बनीं। ये किस्से खुद पामेला सुनाती हैं। अपनी पहली मुलाकात से लेकर शादी, परिवार और बिजनेस पर वो बातें करती हैं।

Photo- screenshot, youtube

यश चोपड़ा की जिंदगी में पामेला की अहमियत इस बात से आंकी जा सकती है कि अपनी फिल्मों के संगीत का एप्रूवल वो उन्हीं से लेते थे। इसके लिए घर में एक गद्दे वाला कमरा हुआ करता था, जहां दोनों बैठकर संगीत सुनते थे। यश चोपड़ा और पामेला की शादी का दुर्लभ फुटेज चेहरे पर मुस्कान ला देता है। दर्शकों को सीरीज में कई ऐसी तस्वीरें और वीडियो देखने को मिलते हैं, जो पहले नहीं देखे होंगे।

आदित्य चोपड़ा के फिल्मकार बनने का सफर

द रोमांटिक्स शर्मीले स्वभाव वाले आदित्य चोपड़ा की बतौर फिल्मकार ग्रोथ को भी दिखाती है। बचपन में फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शंस लिखने का शौक या हॉलीवुड फिल्मों को देखते हुए भारतीयता खोने का डर या ऋतिक रोशन के साथ डांस कॉम्पिटिशन या लम्हे को लेकर उनकी असहमति, आदित्य के उस पहलू को दिखाती है, जो कम ही बाहर आया। आम तौर पर मीडिया से दूर रहने वाले आदित्य चोपड़ा का पहला इंटरव्यू इस डॉक्यु सीरीज में दिखाया जाता है।

यश चोपड़ा के साथ करण जौहर के पुराने इंटरव्यू की क्लिप्स इस्तेमाल की गयी हैं। करण खुद भी सीरीज में यश चोपड़ा और आदित्य चोपड़ा के बारे में बात करते हैं।

Photo- screenshot, YouTube

यश चोपड़ा के साथ दीवार और सिलसिला जैसी कालजयी फिल्में करने वाले अमिताभ बच्चन सिनेमा के इम्पेक्ट की बात करते हैं। वहीं, लव ट्रायंगल फिल्म चांदनी में काम करने वाले दिवंगत कलाकार ऋषि कपूर अपने बिंदास अंदाज में पत्नी नीतू कपूर के साथ नजर आते हैं। ऋषि खुलकर कहते हैं कि भारत में से** के बाद सिनेमा ही मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है।

डॉक्युमेंट्री सवाल-जवाब के फॉरमेट पर आधारित है। सवाल दिखाये नहीं गये हैं, मगर सभी कलाकारों के जवाबों से पता चल जाता है कि एक सवाल के जवाब एक साथ पिरोये गये हैं। सिनेमाघरों में फिल्म देखने के अनुभव पर बात करते हुए शाह रुख उस वक्त को याद करते हैं, जब यश चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा की पहली मल्टीस्टारर फिल्म वक्त बनायी थी। वो ब्लैक में टिकट मिलने के समय को याद करते हैं, जो उस पीढ़ी के लिए एक नॉस्टेलजिया है। सीरीज देखते हुए और कलाकारों के अनुभव सुनते हुए दर्शक भी ऐसी कई यादों से गुजरता है।

राजनीतिक हालात के साथ सिनेमा ने बदली करवट

द रोमांटिक्स डॉक्युमेंट्री के इस मनोरंजक प्रारूप और संरचना के लिए फिल्ममेकर स्मृति मूंदड़ा बधाई की पात्र हैं। स्मृति लॉस एजेंलिस में रहती हैं। उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्ममेकिंग को दिलचस्प ढंग से ना सिर्फ दिखाया है, बल्कि उसे महसूस भी करवाया है।

सरोकारी सिनेमा से शुरुआत करने वाले यश चोपड़ा ने लगभग हर जॉनर की फिल्म बनायी। डॉक्यु सीरीज में देश के राजनीतिक हालात के साथ करवट बदलती सामाजिक विचारधारा के आधार पर यश चोपड़ा ने कैसे अपने किरदार गढ़े, स्मृति ने इसे समझाने के लिए रियल फुटेज का इस्तेमाल भी किया है। देश की आजादी के बाद नेहरू का सिनेमा के प्रभाव पर बात करना, इंदिरा गांधी की इमरजेंसी और नब्बे के दौर में आर्थिक उदारीकरण का सिनेमा बिजनेस पर असर के जरिए क्राफ्ट में बदलाव की बात की गयी है।  

डॉक्यु सीरीज में नहीं मिलेंगे सेंसेशनल किस्से

अगर इस डॉक्यु सीरीज के नेगेटिव प्वाइंट्स की बात करें तो पूरी सीरीज ज्यादातर अंग्रेजी में है। लगभग 35 सेलिब्रिटीज अंग्रेजी में ही बात करते हैं। हालांकि, हिंदी डबिंग के साथ भी सीरीज देखी जा सकती है, मगर बात का वजन कम हो जाता है।

डॉक्यु सीरीज यश चोपड़ा के संघर्ष को ऊपर लेकर आती है, मगर यह बात भुलायी नहीं जा सकती कि अलग फिल्म निर्माण कम्पनी बनाने से पहले जिन पांच फिल्मों ने उन्हें टॉप का निर्देशक बनाया, उनका निर्माण बीआर फिल्म्स ने किया था। अगर आप डॉक्यु सीरीज में किसी सेंसेशनल किस्से की तलाश में हैं तो निराशा हो सकती है। अगर आप सिनेमा के डाइ हार्ड फैन हैं तो कई किस्से पहले सुने लगेंगे। 

निर्देशक- स्मृति मूंदड़ा।

निर्माता- यशराज फिल्म्स।

अवधि- प्रति एपिसोड लगभग एक घंटा, चार एपिसोड्स।

रेटिंग- ***

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