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Transformers One Review: रोमांचक मशीनी दुनिया में 'थॉर' की बुलंद आवाज, अतरंगी गाड़ियों की अटकती कहानी

Transformers One Movie Review हॉलीवुड सिनेमा की मोस्ट अवेटेड फिल्म ट्रांसफार्मर्स वन लंबे इंतजार के बाद सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस एनीमेटेड मूवी को लेकर फैंस में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है क्योंकि मशीनी दुनिया के लीड हीरो को आवाज हॉलीवुड सुपरस्टार क्रिस हेम्सवर्थ ने दी है। आइए इस फिल्म का पक्का रिव्यू यहां पढ़ते हैं।

By Priyanka singh Edited By: Ashish Rajendra Updated: Fri, 20 Sep 2024 07:14 PM (IST)
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हॉलीवुड फिल्म ट्रांसफार्मर्स वन रिव्यू (Photo Credit-Jagran)

 एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। सीक्वल और प्रीक्वल केवल हिंदी सिनेमा में ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड में भी खूब बनते हैं। ट्रांसफार्मर्स फ्रेंचाइज की दुनिया से दर्शक वाकिफ हैं कि कैसे अलग-अलग गाड़ियां ट्रांसफार्म होकर एक रोबोट में तब्दील हो जाती हैं। माइकल बे निर्देशित ट्रांसफार्मर्स: एज आफ इक्सटिंक्शन की प्रीक्वल फिल्म ट्रांसफार्मर्स वन (Transformers One) एनीमेटेड साइंस फिक्शन एक्शन फिल्म है, जो एनीमेटेड रूप में बनी है।

ट्रांसफार्मर्स वन की स्टोरी

कहानी शुरू होती है ट्रांसफार्मर्स के ग्रह साइबर्ट्रोन से। जहां एनर्जोन के खदान में बिना गोले यानी पहियों के काम करने वाला मजदूर ओरियन पैक्स (Chris Hemsworth की आवाज) पता लगाना चाहता है कि शक्तिशाली ट्रांसफार्मर्स द्वारा बनाया गया उपकरण मेट्रिक्स आफ लीडरशिप कहां खो गया है। उसमें से बहने वाले एनर्जान की ऊर्जा के कारण साइबर्ट्रोन की कुदरती खूबसूरती बनी हुई थी।

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मेट्रिक्स आफ लीडरशिप खोने के बाद से ग्रह पर एनर्जोन नहीं है। पैक्स का दोस्त डी-16 (ब्रायन ट्री हेनरी) हर मुश्किल में उसका साथ देता है। साइबर्ट्रोन का लीडर सेंटिनल प्राइम (जोन हैम) वहां के मजदूरों से ज्यादा से ज्यादा एनर्जान खदान से निकालने के लिए कहता है।

वह बताता है कि वह खुद मेट्रिक्स आफ लीडरशिप की खोज में है। हालांकि वह उन क्वींटंसोन्स से मिला हुआ है, जिसने साइबर्ट्रोन पर हमला कर मेट्रिक्स आफ लीडरशिप हासिल करने का प्रयास किया था। क्या साइबर्ट्रोन पर दोबारा एनर्जान बह सकेगा, क्या मेट्रिक्स आफ लीडरशिप मिलेगा। इस पर कहानी आगे बढ़ती है।

स्क्रीनप्ले रहा फीका

इस कहानी को लिखने की जिम्मेदारी लेखक एंड्रू बरेर और गब्रैल फेरारी को दी गई थी। एरिक पियरसन ने दोनों के साथ मिलकर फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखा है। फिल्म की कहानी मनोरंजक है, लेकिन स्क्रीनप्ले उसे कई जगहों संभाल नहीं पाया। बिना कारण के जोक्स, बैकस्टोरी के बिना कई पात्रों का जुड़ जाना, लड़ाई वाले दृश्यों में कौन-किससे लड़ रहा है, ऐसे कई कंफ्यूजन कहानी का मजा किरकिरा करते हैं।

डी-16 का अचानक से खलनायक बन जाना पचता नहीं है। हालांकि फिल्म की शुरुआत में मशीनी दुनिया में पैक्स और डी-16 की दोस्ती इंसानी भावनाओं से जोड़े रखती है। मेट्रिक्स आफ लीडरशिप का हकदार कौन है, यह जानते हुए भी फिल्म का क्लाइमेक्स शानदार है।

फिल्म की सबसे खास बात है इसका एनीमेशन, जो इतना बेहतरीन है कि एक समय के बाद याद नहीं रहता है कि आप एनीमेडेट फिल्म देख रहे हैं। गाड़ियों या रेलगाड़ी के चलने पर अपने आप रास्ता बन जाना, डी-16 और पैक्स का तेजी से भागते ट्रांसफार्मर्स के बीच रेस लगाना ऐसे कई दृश्य हैं, जो एनीमेशन की दुनिया में ही संभव लगते हैं।

इन सितारों की आवाज जीतेगी दिल

उम्मीदों से भरपूर, मजदूरों की जिंदगी से निकलकर अपना जीवन खुलकर जीने के लिए उत्सुक पैक्स की आवाज बने क्रिस हेम्सवर्थ उसकी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं। कभी दोस्त, तो कभी विलेन बने डी-16 के बदलते स्वभाव को ब्रायन टायरी हेनरी का अच्छा साथ मिला है। खदान में मजदूरों की सुपरवाइजर बनी एलीटा पर स्कारलेट जॉनसन की आवाज जंचती है। तेज-तर्रार और धूर्त सेंटिनल प्राइम को जो हैम ने अपनी आवाज से दमदार बनाया है।

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