Ulajh Review: सवालों में उलझकर रह गई जाह्नवी कपूर की फिल्म, अंत तक नहीं मिलते जवाब
जाह्नवी कपूर गुलशन देवैया और रोशन मैथ्यू अभिनीत उलझ एक जासूसी फिल्म है जिसके केंद्र में एक डिप्लोमेट है जो एक साजिश में फंस जाती है। जाह्नवी कपूर ने डिप्लोमेट की भूमिका निभाई है। फिल्म का निर्देशन सुधांशु सरिया ने किया है। फिल्म में कुछ घिसे-पिटे फॉर्मूलों पर कहानी को आगे खींचा गया है। अहम किरदार ठीक से गढ़े नहीं गये हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। पाकिस्तानी राजनेता की भारत यात्रा के दौरान हत्या की साजिश रचना। उसमें पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ के साथ कुछ भारतीय नेताओं के गठजोड़ संबंध जैसे घिसे-पिटे फार्मूले पर टाइगर 3, योद्धा जैसी फिल्में आ चुकी हैं।
भारतीय अधिकारियों के साहसिक मिशन की कहानी दिखाने के लिए लेखकों को अब कुछ दूसरे पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए, जो फिल्म को रोमांचक बनाने के साथ देश की छवि को भी चमका सकें।
उलझ फिल्म भले ही एक युवा डिप्टी हाई कमिश्नर को केंद्र में रखकर बनी है, लेकिन कहानी का बैकड्रॉप भारत और पाकिस्तान ही है। भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंध जगजाहिर हैं।
ऐसे में फिल्म के एक दृश्य में, जब भारतीय विदेश मंत्री कहता है कि तुम्हें पाकिस्तान की नीयत पर कोई शक लगता है तो लेखक और निर्देशक की इस दृश्य संरचना पर बेहद अफसोस होता है। लगता है, जैसे उन्हें दोनों देशों के संबंधों का एहसास ही नहीं है।
क्या है 'उलझ' की कहानी?
कहानी यूं है कि इस्लामाबाद के प्रधानमंत्री शहजाद आलम (रुशाद राणा) आतंकी यासीन मिर्जा को भारत वापस भेजने का एलान करते हैं, ताकि दोनों देशों के बीच दोस्ती की पहल हो सके। भारत उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आमंत्रित करता है।यह भी पढ़ें: Upcoming OTT Movies- 'किल' और 'कल्कि' से संजय-रवीना की 'घुड़चढ़ी' तक, पेश है अगस्त की पूरी लिस्ट
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ी आइएफएस (भारतीय विदेश सेवा) सुहाना भाटिया (जाह्नवी कपूर) के दादा देश के पहले संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि थे। वहीं, पिता धनराज भाटिया (आदिल हुसैन) साउथ कोरिया, रूस और जर्मनी जैसे देशो में भारत के राजदूत रह चुके हैं।
उन्हें संयुक्त राष्ट्र का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता है। काठमांडू में सुहाना की बुद्धिमत्ता की झलक दी जाती है। आइएफएस सुहाना को ग्रेट ब्रिटेन में दूसरे सबसे उच्च डिप्लोमेटिक पद पर तैनात किया जाता है। वह ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की सबसे युवा डिप्टी हाई कमिश्नर बनती है।धनराज इतनी कम उम्र में बेटी को इतने बड़ा पद मिलना असामान्य मानते हैं। सुहाना की तैनाती से उसका सहयोगी जैकब (मियांग चैंग) और सेबिन जोसेफ कुट्टी (रोशन मैथ्यू) खुश नहीं हैं। सुहाना की मुलाकात नकुल (गुलशन देवैया) से होती है। वह बिना जान पहचान सोचे समझे नकुल को दिल दे बैठती है।
लगता है, जैसे कॉलेज की लड़की हो। तभी कड़वे सच का सामना होता है। नकुल असल में पाकिस्तानी आइएसआइ एजेंट मुहम्मद हुमायूं अख्तर निकलता है। वह सुहाना के साथ अपना अंतरंग वीडियो दिखाकर उसे ब्लैकमेल करता है। उससे गोपनीय सूचनाएं निकलवाता है।लोकलाज के भय से सुहाना उसकी मांगों को जैसे-तैसे पूरा करती है। सूचनाएं लीक होने पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ उसकी जांच में जुटती है।
जांच का जिम्मा सुहाना को दिया जाता है। जैकब को शक होता है। वह पूछताछ करने उसके घर आता है, तभी नकुल की गोली का शिकार बनता है। सुहाना दिल्ली में नकुल के मिशन को रोक पाती है या नहीं, फिल्म इस संबंध में है।