Uunchai Review: दोस्ती के जज्बे से निकले हौसले और उम्मीद की दिल छू लेने वाली कहानी, पढ़ें पूरा रिव्यू
Uunchai Review ऊंचाई उन जज्बात को बड़ी खूबसूरती से पेश करती है जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस किया जाता है। दोस्ती के विषय पर बनने वाली फिल्मों की कमी नहीं। खुद अमिताभ बच्चन ने पर्दे पर कई बार दोस्ती निभायी है मगर इस बार एहसास अलग है।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 12 Nov 2022 11:48 AM (IST)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। राजश्री प्रोडक्शन के तहत बनने वाली फिल्में पारिवारिक मूल्यों, परिवार और रिश्तों के ताने-बाने से बुनी होती हैं। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, विवाह, प्रेम रतन धन पायो जैसी फिल्मों के निर्देशक सूरज बड़जात्या ने इस बार भी राजश्री की परंपरा को कायम रखा है। हालांकि, भव्य विवाह, नाच गाना से इतर दोस्ती और उम्मीद को फिल्म ऊंचाई का आधार बनाया है। इस फिल्म में चार दोस्तों की कहानी के साथ बुढ़ापे, वक्त के साथ जीवन, रिश्तों में आए बदलाव और नई पीढ़ी की बदलती सोच जैसे पहलुओं को समेटने की कोशिश हुई है।
दोस्त की आखिरी इच्छा के लिए एवरेस्ट का सफर
कहानी 65 साल की उम्र पार कर चुके चार दोस्तों अमित श्रीवास्तव (अमिताभ बच्चन), ओम (अनुपम खेर), जावेद (बमन ईरानी) और भूपेन (डैनी डेंजोग्पा) की है। चारों भूपेन के जन्मदिन पार्टी में मिलते हैं। भूपेन की ख्वाहिश एवरेस्ट पर अपने दोस्तों के साथ जाने की होती है, लेकिन जन्मदिन के अगले दिन ही उसका निधन हो जाता है। अमित को उसके कमरे से एवरेस्ट बेस कैंप तक जाने के उन चारों के नाम के चार टिकट मिलते हैं।
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तीनों दोस्त उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उसकी अस्थियों को एवरेस्ट पर ही बिरखने का फैसला करते हैं। हालांकि, यह आसान नहीं होता। जावेद की पत्नी शबीना (नीना गुप्ता) उसमें रोड़ा होती है। वह जावेद को अकेला नहीं छोड़ती। वे उससे झूठ बोलते हैं कि काठमांडू जा रहे हैं और रास्ते में कानपुर में उसे उसकी शादीशुदा बेटी के पास छोड़ जाएंगे।
किताबों की दुकान चलाने वाले ओम की पत्नी का निधन हो चुका है। वह अपने बेटे और बहू साथ रहता है। नामचीन लेखक अमित ने अपनी जीवनसाथी अभिलाषा (नफीसा अली) को रहस्य बनाकर रख रखा है। वह युवाओं का आदर्श लेखक है। मेडिकल टेस्ट में ओम और जावेद की रिपोर्ट ठीक आती है, लेकिन अमित की बीमारी को रहस्य रखा जाता है।
तीनों दोस्त और शबीना कार से पहले कानपुर फिर गोरखपुर में ओम के घर पर होते हुए नेपाल की यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा के दौरान उनके रिश्ते को एक्सप्लोर किया जाता है। इस सफर में नाटकीय घटनाक्रम में उनके माला (सारिका) भी उनके साथ आती है। हालांकि, गोरखपुर से शबीना दिल्ली वापस चली जाती है। धीरे-धीरे परतें खुलती हैं। पता चलता है कि माला का भूपेन के साथ अतीत रहा है। रोड ट्रिप के बाद एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने तक कहानी रिश्तों की कई परतों को खंगालती है।
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