यह शो हाल ही में शुरू हुआ है, ऐसे में इस बार रक्षाबंधन पर भी अंकित शूटिंग कर रहे होंगे। इस बार रक्षाबंधन पर उनके क्या प्रोग्राम हैं, इस बारे में उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।
आपने रक्षाबंधन पर छुट्टी लेने की नहीं सोची?
नहीं, नया शो है। ऐसे में छुट्टी मिलना कठिन है। वैसे भी काम पहले है। हमने सेट पर रक्षाबंधन का एपिसोड पहले ही बहुत अच्छे से शूट कर लिया है, क्योंकि इस शो में मेरे किरदार अमन सिंह राजपूत की पांच बहने हैं। मैं अकेला हूं और मेरी कोई बहन नहीं है, लेकिन मेरे मामा की बेटी अनुष्का मेरे लिए सगी बहन से भी बढ़कर है।वह मुझसे छोटी है और वही रक्षाबंधन पर मुझे राखी बांधती है। जब कभी काम की वजह से राखी नहीं बंधवा पाता हूं तो वीडियो कॉल पर ही वह राखी बांध देती है। सबसे खास बात यह है कि मुझे उसको उपहार देना चाहिए, लेकिन वह मेरे लिए महंगे उपहार खरीदती है।
ग्वालियर से अभिनेता बनने के लिए मुंबई आने के पीछे क्या प्रेरणा रही?
यह बहुत दिलचस्प कहानी है। मेरे पिता संजय रायजादा थिएटर एक्टर हैं। वह जब मुंबई आए तो उन्हें ये रिश्ता क्या कहलाता है शो में काम करने का अवसर मिला। इस कारण से बाद में हम परिवार वालों को भी सेट पर जाने का मौका मिला। हम कुछ कलाकारों से भी मिले तो शो के प्रति थोड़ी जिज्ञासा बढ़ी।
बाद में मुझे लगा कि हमें असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम सीखना चाहिए और हमने काम सीखना शुरू कर दिया। करीब छह महीने हमने काम सीखा भी। किया। इसी दौरान सेट पर मौजूद सब लोग कहते रहते थे कि तुम आर्टिस्ट बन सकते हो। धीरे-धीरे एक्टिंग का कीड़ा मेरे अंदर आ ही गया।
इस शो में आप एक सीधे-साधे लड़के की भूमिका में हैं। वास्तविक जीवन में कैसे हैं?
मुझसे लोग कहते हैं कि तुम बहुत सीधे दिखते हो। मेरा मानना भी है कि आप जैसे भीतर से होते हैं, वह आपके चेहरे पर दिख जाता है। वास्तविक जीवन में मैं बहुत भोला-भाला हूं। इसलिए इस शो के पात्र से अच्छे से जुड़ पाया। मेरा पात्र सकारात्मकता फैलाता है जो उससे बात करता है वो खुश हो जाता है। मैं भी ऐसा ही हूं।
इस शो का शीर्षक महिला केंद्रित है। ऐसे में कहीं मन में यह बात तो नहीं आती है कि इसमें मेरे करने के लिए क्या होगा?
मुझे टीवी जगत में आए सात-आठ साल हुए हैं। हालांकि मैं बचपन से शो देखता आ रहा हूं, जिनमें से अधिकांश महिला केंद्रित ही रहे हैं। ऐसे में काफी पहले से यह बात अंदर बैठी हुई है कि लगभग हर कहानी महिला कलाकार के आसपास ही होगी। बस मेरा प्रयास यह रहता है कि मैं अपनी भूमिका के साथ न्याय कर पाऊं।
आप कई शो कर चुके हैं। फिर भी क्या सेट पर पहले दिन नर्वस होते हैं?
हां, नर्वस होता हूं, लेकिन मैं वैनिटी वैन में स्वयं से बात करता रहता हूं कि अंकित तुम्हें इस भूमिका के लिए चुना गया है। इसलिए तुम्हें ये अच्छे से करना ही है। फिर ऊपर वाले का नाम लेकर कैमरे के सामने चला जाता हूं। इसके साथ ही कुछ पुशअप्स भी मारने पड़ते हैं ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे। मैं अंतर्मुखी हूं, इसलिए आसान नहीं होता है सेट पर जाते ही लोगों से बात करना।
हां, कलाकार हूं तो बस अभिनय कर लेता हूं। हालांकि शुरू में काफी परेशानी होती थी, क्योंकि मैं छोटे शहर से हूं तो आत्मविश्वास भी कम था। वैसे भी मुंबई की चमक-दमक को समझने में समय लगता है। जब वह समझ आ जाती है तो काम करने लग जाते हैं और स्वयं को संभालना भी सीख जाते हैं। जब आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है तो अभिनेता रणवीर सिंह और क्रिकेटर विराट कोहली के वीडियो देखता हूं। उनके वीडियो मुझे बहुत प्रेरित करते हैं।
आपने रियलिटी शो से दूरी क्यों बनाई है? मन नहीं करता कि बिग बॉस जैसे शो में जाकर लाइमलाइट बटोरी जाए?
मुझे
बिग बॉस की जरूरत फिलहाल नहीं लगती है। हां, खतरों के खिलाड़ी शो को लेकर लगता है कि ये कर सकता हूं। बिग बॉस में निजी जिंदगी बाहर आ जाती है। मेरा मानना है कि रील और रियल लाइफ में एक पर्दा होना चाहिए। कुछ लोगों के लिए यह काम करता होगा, लेकिन मेरे लिए यह मायने नहीं रखता है।
इतने व्यस्त शेड्यूल में ग्वालियर जाना हो पाता है?
बहुत कम जाना हो पाता है। एक दोस्त की शादी में दो साल पहले गया था। मैं वहां की सर्दियां बहुत मिस करता हूं। कारण, मुंबई में अच्छी सर्दी नहीं पड़ती है। ग्वालियर की सर्दी में दो-तीन स्वेटर और जैकेट पहनना पड़ता है। यही नहीं, सर्दी के दिनों में वहां खाने के लिए भी काफी कुछ होता है। मन बहुत करता है जाने का, लेकिन समय नहीं मिल पाता है। मेरे परिवार के कई लोग ग्वालियर में रहते हैं। हमारा घर भी है। मेरे मम्मी-पापा वहां जाते रहते हैं।
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