Aahana Kumra के पिता नहीं चाहते थे बेटी बने एक्ट्रेस, अमिताभ बच्चन के सामने एक्टिंग देख खुशी से हो गए थे गदगद
आमतौर पर जिम्मेदारियों और सामाजिक ताने-बाने के कारण पिता की छवि सख्त और अनुशासित व्यक्ति की होती है। हालांकि कुछ मौके ऐसे भी आते हैं जहां सख्ती और अनुशासन का प्रतिरूप माने जाने वाले पिता की भावनाएं भी बहकर सामने आ जाती हैं। पिता दिवस के मौके पर कुछ सितारों ने अपने पिता से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें शेयर कीं दीपेश पांडेय के साथ।
दीपेश पांडेय, मुंबई। ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और ‘खुदा हाफिज’ फिल्मों की अभिनेत्री आहना कुमरा अपने पिता के बारे में बताती हैं, ‘मेरा और मेरे पिता का रिश्ता काफी दिलचस्प रहा है। पापा काफी वर्षों तक देश से बाहर रूस में रहे थे। जब मम्मी और हम तीनों बहनें उनके साथ रहने मुंबई आए, तो उन्हें घर में बच्चों की आदत नहीं थी।
हम जब शोर मचाते तो वो अक्सर मम्मी को बोलते ये इतना चिल्लाते क्यों हैं? शरारत क्यों करते हैं? उन्हें बच्चे पूरे अनुशासन में चाहिए थे। तो मम्मी कहतीं कि बच्चे ऐसे ही होते हैं। शुरुआत में पापा के साथ सामंजस्य बनाना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल था पर अब पापा मेरे बेस्टफ्रेंड बन गए हैं।
पिता नहीं थे एक्ट्रेस बनने के फेवर में
आहना कुमरा ने बताया कि पहले उनके पापा का मन बिल्कुल भी नहीं था कि वह फिल्म इंडस्ट्री में जाएं। उन्हें इस बात का डर था कि पता नहीं ये लड़की कर पाएगी या नहीं। फिर जब श्रीमान बच्चन (अमिताभ बच्चन) के साथ मैं अपना पहला शो ‘युद्ध’ कर रही थी, तो इप्का लेबोरेटरीज के चेयरमैन प्रेमचंद गोधा मुझे सेट पर मिलने आए थे। गोधा अंकल और मेरे पापा बहुत अच्छे दोस्त हैं। उस दिन मैं बच्चन साहब के साथ एक सीन शूट कर रही थी।मेरा काम देख पापा को हुई खुशी
शूटिंग के बाद अंकल मेरी वैनिटी वैन में आए और पापा के सामने मेरी खूब तारीफ की। तब पापा को लगा कि लड़की ने कुछ अच्छा किया है। वह बहुत खुश हुए और गदगद होकर मुझे गले लगा लिया। उसके बाद जब मेरी फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ आई तो उसमें भी मेरा काम देखकर पापा इसी तरह खुश हुए थे।’प्रीमियर पर मिला तोहफा
अभिनेता मानव विज और उनके पिता का रिश्ता अब दोस्त जैसा हो गया है। जियो सिनेमा पर हालिया प्रदर्शित वेब सीरीज ‘गांठ’ में नजर आए मानव कहते हैं, ‘मेरे पिता मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। अपनी भावनाएं व्यक्त करने से पहले वह मेरी भावनाएं व्यक्त करवा लेते हैं। दो साल पहले की बात है, उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था, मेरी वर्षगांठ के दिन उनकी सेहत बहुत बिगड़ गई थी। वह मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था। मैं बहुत ज्यादा डर गया था, डाक्टर भी अलग-अलग बातें बोल रहे थे।
मानव ने कहा कि मेरे पिता ने किसी भी बात के लिए मुझे कभी इन्कार नहीं किया। जो उनसे हो पाया, उन्होंने सब किया। उनका ऑपरेशन होने वाला था, तो मैं उनके पास गया और उनके कान में पूछा कि अभी क्या सोचा है? वह तुरंत समझ गए कि मैं क्या जानना चाहता हूं? उनकी तबियत इतनी खराब थी कि उन्होंने लड़खड़ाती जुबान में मुझसे पूछा क्या चाहिए तुम्हें? मैंने उन्हें कहा कि बाकी तो आपके ऊपर है, लेकिन मुझे आपकी बहुत जरूरत है। उन्होंने उस समय कहा कि तुम जिंदगी में कभी हीरो बनकर नहीं आए हो।