Ramayan में इस टेक्नोलोजी से मारा गया था 'कुंभकरण', सिर और धड़ को अलग करने के लिए रामानंद सागर ने अपनाई थी ये 3 चीजें
जब भी पौराणिक कथाओं पर बने शो की बात होती है तब रामानंद सागर के रामायण का जिक्र जरूर होता है। 80 के दशक में शुरू हुए इस शो को आज भी लोग देखना पसंद करते हैं। इस शो में रामायण की कहानी को जिस अंदाज में रामानंद सागर ने लोगों के सामने रखा था वही अंदाज लोगों को आज भी पसंद आता है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। छोटे और बड़े पर्दे पर कई तरह की कहानियां दिखाई गई हैं। इनमें से कुछ का असर सिर्फ कुछ समय तक ही रहता है, तो कुछ सालों-साल तक याद की जाती हैं। ऐसा ही एक शो रहा है रामानंद सागर का 'रामायण'। इस सीरियल को शुरू हुए 30 साल से उपर का समय बीत चुका है, लेकिन जिस तरह से इसमें एक-एक कैरेक्टर को दिखाया गया, उसकी याद आज भी लोगों के दिलों में ताजा है।
आज भी फेमस है 80 के दशक का 'रामायण'
रामानंद सागर का 'रामायण' सिर्फ शो नहीं है। यह लोगों के लिए उनके इमोशन से जुड़ा है। इस शो ने 'राम' बने अरुण गोविल, माता 'सीता' बनीं दीपिका चिखलिया, 'लक्ष्मण' बने सुनील लहरी को अमर कर दिया। जहां भी ये जाते, लोग इन्हें भगवान मानकर इनके आगे शीश झुकाने से गुरेज नहीं करते। इस 'रामायण' के न सिर्फ राम, सीता और लक्ष्मण फेमस हुए, बल्कि 'रावण' से लेकर 'कुंभकरण' तक को तवज्जो मिली।
1987 में जब रामानंद सागर ने 'रामायण' की शुरुआत की, तब वीएफएक्स, क्रोमा की और ग्राफिक्स का आज की तुलना में इतना वाइड इस्तेमाल नहीं होता था। अब सवाल ये है कि युद्ध वाले सीन कैसे शूट किए जाते थे। इसका खुलासा एक बार सुनील लहरी ने किया था। उन्होंने बताया था कि किस जुगाड़ और क्रिएटिविटी से 'रामायण' में कुंभकरण को मारा गया था। किसी वीएफएक्स के बिना ही कुंभकरण की हत्या की गई थी।
जुगाड़ से शूट हुई थी 'रामायण'
कुंभकरण का रोल नलिन दवे (Nalin Dave) ने किया था। वह गुजराती एक्टर थे और यह शो खत्म होने के दो साल बाद उनकी डेथ हो गई थी।रामायण टीवी शो के कई सीन सिर्फ बेसिक जुगाड़ से पूरे किए गए थे। जब कुंभकरण के मरने वाला सीन दिखाया गया, तो यूजर्स की आंखें भर आईं। लेकिन ये सीन दिखाना जरूरी भी था। 'कुंभकरण' का वध 'भगवान राम' ने कुछ जुगाड़ के साथ किया था। अगर आप उस एपिसोड को देखेंगे, तो पाएंगे कि जब 'राम' और 'कुंभकरण' के बीच युद्ध होता है, तो कुंभकरण के शरीर का एक-एक अंग कटकर गिर जाता है। हाथ अलग गिरते हैं, धड़ अलग गिरता है। ये सब क्रोमा की से बनाए गए इफेक्ट का कमाल था।