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काम्या पंजाबी सहित इन टीवी सितारों ने जताई इच्छा, बोले-अगर मौका मिले तो दशहरा पर इन बुराइयों का करेंगे अंत

पूरे देशभर में सितारों से लेकर आम आदमी धूमधाम से दशहरा मना रहा है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है और कहा जाता है कि रावण दहन के साथ ही हर किसी को अंदर के रावण का अंत कर देना चाहिए। हाल ही में टीवी सितारों ने बताया कि वह इस दशहरा किन बुराइयों को मिटाकर उसपर जीत पाना चाहते हैं।

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Sat, 12 Oct 2024 07:12 PM (IST)
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टीवी सितारों ने दशहरा पर की मन की बात/ फोटो- Instagram
प्रियंका सिंह व दीपेश पांडेय, मुंबई। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा के त्योहार से टीवी जगत के सितारों की बहुत सी यादें हैं। भले ही हर कोई अपनी-अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार अलग-अलग तरीके से यह त्योहार मनाता हो, लेकिन त्योहार मनाने का कारण और उद्देश्य सभी के एक जैसे ही हैं असत्य पर सत्य की विजय। कुछ टीवी सितारों ने विजयादशमी से जुड़ी यादों को लेकर बात की।

अहंकार खत्म करना चाहूंगा

दिल्ली की लोकप्रिय रामलीला में धारावाहिक शैतानी रस्में के अभिनेता सिद्धांत इस्सर कई बार राम की भूमिका निभा चुके हैं। वह कहते हैं कि,

"पुराणों में लिखी गाथाएं प्रतीकात्मक होती हैं। रावण के दस सिर घमंड, ईर्ष्या, सुख, दुख, महत्वाकांक्षा, काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया रूपी इंसान के दस विकार या बुराइयां हैं। भगवान राम का इन दसों भावनाओं पर नियंत्रण था, लेकिन रावण का नहीं। इसलिए राम ने रावण पर विजय प्राप्त की। अगर हम भी अपने अंदर के रावण को नियंत्रित करके और राम को जगा कर रखें तो हमारी ज्यादातर समस्याएं खत्म हो जाएंगी"।

बचपन में दशहरा से पहले नवरात्र में मैं अपने मित्रों के साथ खूब गरबा खेला करता था। रावण दहन देखने तो मैं कई बार नई दिल्ली स्थित लाल किला भी गया हूं। मैं तो लाल किले पर होने वाली दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध रामलीला में कई बार राम बना हूं और मेरे पिता पुनीत इस्सर (अभिनेता) रावण।

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अलग-अलग मौकों पर कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तो कभी गृहमंत्री अमित शाह ने मेरे हाथों से धनुष लेकर वहां रावण दहन किया है। हमारी इंडस्ट्री के भी कुछ सितारों और फिल्मकारों में बहुत अहंकार भरा है। मैं इस बुराई के खत्म होने की प्रार्थना करूंगा।

siddhant issar

खराब सोच वाले रावण का खात्मा चाहती हूं

धारावाहिक इश्क जबरिया की अभिनेत्री काम्या पंजाबी कहती हैं, "अंततः सच्चाई की जीत होने वाली बातें सच हैं, लेकिन कई बार सच्चाई तक पहुंचने का रास्ता इतना लंबा होता है कि कुछ लोग वो जीत पाने से पहले ही थक जाते हैं या सामाजिक जिम्मेदारियों में खो जाते हैं। भगवान श्रीराम की कहानियों और दशहरा से जुड़ी हर किसी की अपनी कोई न कोई यादें होती ही हैं।

हमें तो बचपन में इस बात का इंतजार रहता था कि पहले पूरा पुतला बनाया जाएगा। फिर शाम को मैदान में सब इकट्ठा होंगे और पुतला जलाकर दशहरा मनाया जाएगा। बचपन में मैं कई बार मेले में गई हूं और खेल-खेल में बाण भी चलाया है। हर किसी के अंदर एक रावण होता है। हम उस पर जितना ज्यादा नियंत्रण कर सकें और सच्चाई के रास्ते पर चल सकें उतना ही बेहतर होगा। 

रावण दहन के बाद जलेबी खिलाती हैं मां

धारावाहिक भाग्य लक्ष्मी के अभिनेता रोहित सुचांती कहते हैं, दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसीलिए मेरे दिल में दशहरा विशेष स्थान रखता है। मैंने देखा है कि सत्य हमेशा अपना रास्ता खोज लेता है। यह त्योहार चुनौतीपूर्ण समय में भी अपने इरादों पर कायम रहने के लिए प्रेरित करता है।

बचपन में दशहरा के मौके पर हम अपनी कालोनी में रामलीला देखने और रावण दहन को लेकर बहुत उत्सुक रहते थे। हमारे यहां दशहरे के अवसर पर घर में एक छोटी सी पूजा होती है। त्योहार की परंपरा बनाए रखने के लिए आज भी मां अपने हाथों से पूड़ी, आलू की सब्जी और खीर जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं।

रावण दहन के बाद वह हमेशा हमें जलेबी खिलाती हैं। बचपन में मैं हर साल अपने परिवार के साथ निकटतम रामलीला मैदान में जाता था। वहां जब रावण के विशाल पुतले को आग लगाई जाती थी तो आतिशबाजी और लोगों की जय-जयकार के साथ गजब का उत्साह होता था। अपनी आंखों के सामने बुराई पर अच्छाई की प्रतीकात्मक जीत को देखना करिश्माई अनुभव लगता था।

बचपन वाला आनंद लेना चाहती हूं

धारावाहिक श्रीमद् रामायण में सीता की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री प्राची बंसल के अनुसार दशहरा ढेर सारी सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। वह कहती हैं, बचपन से मैंने यही सुना है कि अधर्म हो या बुराई वो ज्यादा समय तक नहीं टिकती। इसलिए मैं सच्चाई और अच्छाई की जीत पर भरोसा करती हूं। हम सभी नकारात्मक ऊर्जा के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं, लेकिन उससे हमें अशांति ही मिलती है। दशहरा के मौके पर मेरे घर में मिठाइयां अवश्य बनती हैं। यह त्योहार जिंदगी में बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। बचपन में पापा पूरे परिवार के साथ हमें रावण दहन दिखाने ले जाते थे।

prachi bansal

रावण दहन देखने और दशहरे के मेले में जाने का अलग ही जुनून होता था। मैं पिछले कई वर्षों से रावण दहन देखने नहीं गई हूं। अब चाहती हूं कि फिर से उन पलों को देखूं और उनका आनंद लूं। रही बात समाज और इंडस्ट्री में कोई बुराई खत्म करने की तो मुझे लगता है कि हमारी पीढ़ी के लिए सही और गलत की स्पष्ट समझ और मानवतावादी होना ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालांकि समाज को नकारात्मकता से दूर जाना चाहिए।

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