Ram Mandir: 9 घंटे उपवास, बैठने में होती थी परेशानी...रामयाण के 'हनुमान' के बारे में प्रेम सागर ने किए बड़े खुलासे
Ram Mandir अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की सुर्खियों के बीच रामानंद सागर की रामायण एक बार फिर चर्चा में आ गई है। इस शो के किरदारों से जुड़ी तमाम बातें सामने आई हैं। इस शो में भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण का रोल प्ले करने वाले एक्टर्स अयोध्या पहुंच चुके हैं। वहीं हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह को लेकर प्रेम सागर ने एक खुलासा किया।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Ram Mandir Consecration: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Consecration) के लिए अयोध्या नगरी सज चुकी है। सोमवार (22 जनवरी) को श्रीराम अपनी जन्मस्थली में विराजेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के लिए कई नामी हस्तियां अयोध्या पहुंच चुकी हैं। वहीं, इस एतिहासिक मोमेंट के साथ ही रामानंद सागर की 'रामायण' भी चर्चा में आ गई है।
इस शो में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण का रोल प्ले करने वाले एक्टर्स अयोध्या पहुंच चुके हैं। वहीं, 'हनुमान' का किरदार निभाने वाले दारा सिंह (Dara Singh) अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने इस रोल से फैंस के दिलों में अमिट छाप छोड़ी थी।
'घंटो भूखे रहते थे दारा सिंह'
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही 'रामायण' से जुड़े कई किस्से और कहानियां सामने आ रही हैं। इस बीच रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने हनुमान का रोल प्ले करने वाले दारा सिंह के बारे में एक खुलासा किया है। प्रेम सागर ने बताया कि शूटिंग खत्म होने तक दारा सिंह घंटो भूखे रहते थे। दरअसल, इसकी एक वजह थी, जिस कारण उन्हें लंबे समय तक खुद को भूखा रखना पड़ता था।'हनुमान' का रोल प्ले करने वाले दारा सिंह पहलवानी के लिए भी फेमस थे। प्रेम सागर ने सेट पर उनके डेडिकेशन की तारीफ की। उन्होंने इस किरदार से जुड़े उनके कई किस्से शेयर किए। प्रेम सागर ने बताया कि दारा सिंह रोज सुबह 4 बजे सेट पर आ जाया करते थे, क्योंकि उनके मेकअप में लगभग तीन से चार घंटे लगते थे। उन्होंने कहा कि उस दौर में प्रोस्थेटिक्स नहीं हुआ करते थे और लुक हनुमानजी से मैच करना पड़ता था। मेकअप करने के तीन चार घंटे बाद शूट शुरू होता था। इस दौरान वह कुछ खा नहीं सकते थे।
पूंछ की वजह से बैठने में होती थी परेशानी
प्रेम सागर ने बताया कि दारा सिंह को पूंछ लगाने के बाद बैठने में परेशानी होती थी। इस कारण उनके लिए खास स्टूल तैयार करवाया जाता था, जिसमें एक कट लगा होता था, ताकि वह पूंछ के सहारे बैठ सकें।