इसके जरिए हमने देखा है कि कैसे वन्यजीव और पौधे लगातार बदलती दुनिया में जीवित रहते हैं और तेजी से कठिन होती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल ढलते हैं। 29 जुलाई से सोनी बीबीसी अर्थ चैनल पर प्लैनेट अर्थ III (Planet Earth III) प्रसारित होगा।
इस सीजन को लगभग पांच वर्षों में 43 देशों और छह महाद्वीपों में फिल्माया गया है। सीरीज के निर्माता माइक गंटन ने खास बातचीत की।
वन्यजीवों पर आधारित डाक्यूमेंट्री बनाने के प्रति आपका लगाव कैसे शुरू हुआ?
मुझे बचपन से ही प्रकृति से प्यार रहा है। मैंने किशोरावस्था में ही फिल्में बनाना शुरू कर दिया था। तब सोचा नहीं था कि मैं वन्यजीव फिल्ममेकर बनूंगा। विश्वविद्यालय के बाद मुझे बीबीसी में नौकरी मिल गई। मैं हमेशा से डेविड एटनबरो (प्रख्यात वन्यजीव फिल्ममेकर) के साथ काम करना चाहता था।
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मुझे डेविड के साथ द ट्रायल्स आफ लाइफ डाक्युमेंट्री सीरीज पर काम करने का मौका मिला। वहां से सोचा कि कुछ और काम क्यों करना? मैंने तब से वन्यजीव पर डाक्युमेंट्री सीरीज बनाना जारी रखा। उसके बाद डेविड के साथ 35 साल से काम कर रहा हूं। अब वह 98 साल के हैं। इस उम्र में भी काम कर रहे हैं।
सर डेविड एटनबरो से आपने क्या सीखा?
मैंने उनसे सीखा है कि अपनी जिज्ञासा को कैसे बनाए रखना है। वे अभी भी सीखना चाहते हैं और चीजों को समझना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह एक इंसान होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिस दुनिया में आप रहते हैं, उसके बारे में उत्सुक होना। प्लैनेट अर्थ थ्री जैसी सीरीज बनाने का एक हिस्सा जिज्ञासा को प्रोत्साहित करना है।
मुझे लगता है कि हम सभी को अपने आस-पास देखने की जरूरत है कि यह दुनिया कितनी असाधारण है साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी देखें, जो दुनिया के बारे में अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। दूसरा, मैंने उनसे सीखा है, यदि आपके पास उत्साह, जुनून के साथ आइडिया है दुनिया को बताने के लिए तो यह काम सारी जिंदगी कर सकते हैं। डेविड इस उम्र में भी लोगों को हमारे अद्भुत ग्रह पृथ्वी के बारे में बताना चाहते हैं।यह भी पढ़ें:
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जब आपने प्लैनेट अर्थ शुरू किया था,तब आपका क्या विचार था?
प्लैनेट अर्थ ब्रांड, मुझे लगता है, शायद अब तक का सबसे बड़ा, सबसे प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ ब्रांड है। पहला प्लैनेट अर्थ (Planet Earth) वास्तव में प्रकृति के चमत्कारों पर था। प्लैनेट अर्थ II में जानवरों के जीवन में और गहराई से उतरना और उनके संघर्षों को उनके नजरिए से देखना शामिल था। यह बहुत अंतरंग अनुभव था।
प्लैनेट अर्थ II में यह देखना शुरू किया कि आप जहां भी फिल्मांकन करते हैं, आपको लगता है कि लगभग हर चीज का मानवता से कोई ना कोई संबंध है। इसलिए, हमें लगा कि प्लैनेट अर्थ III में पिछले दो सीजन का कुछ अंश हो, लेकिन दृष्टिकोण अलग हो।सीरीज का सातवां एपिसोड इस बारे में है कि जानवर किस तरह से खुद को ढाल रहे हैं। फिर अंतिम एपिसोड इस बारे में है कि हम ग्रह पर सबसे शक्तिशाली प्रजाति के रूप में, जानवरों को इस बदलाव से निपटने में कैसे मदद कर सकते हैं।
आपने शो के लिए कुछ नई तकनीकें भी विकसित की हैं?
हम हमेशा तकनीक में इनोवेटर (नवप्रवर्तक) रहे हैं। मुझे लगता है कि सबसे रोमांचक चीजों में से एक है लोगों को ऐसी चीजें दिखाना जो वे अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इस सीरीज में, वास्तविक सफलता की वजह छोटे ड्रोन रहे। पिछले कुछ वर्षों से हम ड्रोन विकसित कर रहे हैं और वे लगातार बेहतर होते जा रहे हैं।कहीं-कहीं उन्हें हेलीकॉप्टर की जगह प्रयोग किया गया हैं, क्योंकि वे सस्ते होते हैं और उन्हें लोकेशन पर ले जाना बहुत आसान है। उसके लिए प्रशासनिक अनुमति मिलना आसान है और वे संभवतः पर्यावरण पर कम प्रभाव डालते हैं। सही समय पर कौशल के साथ, आप ड्रोन को जानवरों के करीब ला सकते हैं, जिसे कभी कैमरा ऑपरेटर नहीं ला सकते, क्योंकि जानवर भाग जाएंगे।
सीरीज के शुरुआती दृश्य में दक्षिण अफ्रीका में केप फर सील का शिकार करने वाले शार्क की कहानी है। उस कहानी को कई नजरिए से देखना समझना होगा। तब आपको शतरंज का खेल देखने को मिलता है, शार्क और सील्स के बीच किस तरह की चालें चलती हैं और यह ड्रोन के बिना असंभव होगा। ड्रोन जानवरों के ऊपर मंडरा सकते हैं। यह उन्हें परेशान नहीं करता है और आपको वह अविश्वसनीय दृश्य मिलते हैं।
आपने कई बार भारत यात्रा की हैं…
मुझे वहां जाना अच्छा लगता है। मैंने बाघों पर डाक्युमेंट्री बनाने के लिए बांधवगढ़ नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश) में काफी समय बिताया है। वह एक बहुत ही यादगार अनुभव था। भारत में असाधारण वन्यजीव हैं। आपके पास बाघ हैं। अगर कोई मुझसे पूछे कि पृथ्वी पर सबसे शानदार जानवर कौन सा है, तो मैं बाघ कहूंगा। भारत आने के बारे में जो बातें हमेशा बहुत दिलचस्प होती हैं, उनमें से एक है कि भारतीय लोगों के पास वन्य जीवों और नेचुरल हिस्ट्री के बारे बहुत सारी जानकारी है।
इस सीरीज में भारत में आपने क्या शूट किया?
वहां पर हृयूमन (Human) एपिसोड के अंतर्गत जानवरों और इंसानों के बीच रिश्तों को दिखाया है। इसमें हमने कोबरा वाला प्रसंग भारत से लिया है। यह अद्भुत है। वे खतरनाक सांप हैं। वह कहानी, मुझे लगता है, इस बात का एक आकर्षक उदाहरण है कि आप उन जानवरों के साथ कैसे रह सकते हैं जिन्हें खतरे के रूप में देखा जाए या उन्हें मार दिया जा सकता है।मुझे लगता है कि यह वहां के लोगों की सांस्कृतिक और संभावित रूप से उनके धार्मिक विश्वासों का हिस्सा है कि वे कोबरा को उनके साथ रहने की अनुमति देते हैं। जिसके बाद कोबरा द्वारा हमला न करने या न काटने की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है। आपको जानवरों के बीच बेहतर संबंध मिलते हैं।
आपने काफी यात्रा की है, कोई यादगार वाकया?
वास्तव में, अक्सर ऐसी चीजें मैंने एटनबरो के साथ लोकेशन पर की है, क्योंकि वे ज्यादा गहन होती हैं। प्लैनेट अर्थ II शुरुआत करने पर डेविड एटनबरो को यूरोप की सबसे ऊंची और सबसे विस्तृत पर्वत श्रृंखलाओं में से एक एल्प्स के ऊपर हॉट एयर बैलून में भेजा था। मैं पहले कभी हॉट एयर बैलून में नहीं गया था और मुझे ऊंचाई से डर लगता है, लेकिन उस गुब्बारे में होना अद्भुत था।करीब दस या 12 साल पहले मैं मोनार्क तितली के प्रवास को फिल्माने के लिए मैक्सिको गया था और मोनार्क तितलियां सर्दियों में आती हैं। यह मैक्सिको के पहाड़ों में पेड़ों में एक तरह से शीतनिद्रा में चली जाती है और फिर अगर आप साल के सही समय पर वहां पहुंचते हैं तो वे जागना शुरू कर देती हैं और सभी पेड़ों को छोड़ना शुरू कर देती हैं और आप अपने आस-पास की हवा में लाखों-करोड़ों तितलियों को उड़ान भरते हुए देखते हैं। यह बिल्कुल अनूठा अनुभव है।