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आसान नहीं रहे शुरुआती चार साल, महज 30 रुपये के टिफिन में दो वक्त का खाना करता था मैनेज-करन मेहरा

टीवी एक्टर करन मेहरा ने सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है से नैतिक बनकर घर-घर में पहचान बनाई। लेकिन हाल ही में करन ने बताया कि एक्टर बनने का उनका ये सफर बिलकुल भी आसान नहीं था और शुरुआती चार साल उन्हें खूब संघर्ष करना पड़ा था।

By Tanya AroraEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2022 03:08 PM (IST)
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Yeh Rishta Kya Kehlata Hai actor karan mehra remember his struggle days. Photos Credit- Instagram
शिखा धारीवाल, मुंबई। टेलीविजन एक्टर करण मेहरा को अपने पहले ही सीरियल 'यह रिश्ता क्या कहलाता है' से जबरदस्त सफलता मिली। करन टीवी सीरियल का करीब 6 से 7 साल हिस्सा रहें और उसके बाद उन्होंने यह रिश्ता क्या कहलाता है से ब्रेक ले लिया था। करन के लिए एक्टिंग की मंजिल तक पहुंचना उतना भी आसान नहीं था। टेलीविजन इंडस्ट्री में शुरुआती दौर में करन को काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। jagran.com से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में करन मेहरा ने अपने स्ट्रगल के दिनों से जुड़ी कई इंटरेस्टिंग कहानियां साझा की हैं।

करन मेहरा कहते हैं कि, 'मैं दिल्ली से हूं और मैंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था, तो मेरे लिए एक बात यह आसान रही कि जब मैं 2004 में मुंबई आया था तो मुझे आने के बाद स्टाइलिंग में काम मिल गया और इसके साथ-साथ मैंने एक्टिंग का कोर्स करने के लिए भी एडमिशन ले लिया। फिर फिल्मेकिंग के बारे में भी रिसर्च की और उसके बाद कैमरे के पीछे के कई डिपार्टमेंट्स में मुझे जहां भी काम मिला तो कर लिया। इस दौरान काम के साथ -साथ मैं एक्टिंग के लिए लगातार ऑडिशन दे रहा था, लेकिन कही मुझे मौका नही मिला पर हर डिपार्टमेंट में एक्सपीरियंस जरूर मिला। काफी काम सीखने के बाद और चार साल के स्ट्रगल के बाद मुझे ये 'रिश्ता क्या कहलाता है' में काम करने का मौका मिला'।

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करन आगे कहते हैं कि, 'मेरी यह जर्नी जितनी खूबसूरत अब नजर आती है, वह शुरुआती दिनों में इतनी खूबसूरत नहीं थी। क्योंकि मुझे काफी स्ट्रगल करना पड़ा। करन आगे कहते हैं कि मुंबई में एक स्टूडेंट के लिए सरवाइव करना बिलकुल भी आसान नहीं होता। जब मैं दिल्ली से मुंबई आया था तो काम की तलाश में था। यहां एक नए सिरे से काम की शुरुआत करनी थी और शुरुआत में ज्यादा खर्चा करने की मेरी हैसियत नहीं थी। मुझे याद है उन दिनों मैं खाने के मामले में भी कई बार कटौती करता था और आधा टिफिन खाता था, क्योंकि मेरा सिर्फ 30 रुपये का खाने का बजट होता था'।

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करन बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि, उस दौरान हम खूब बसों में और ट्रेन में धक्के खाते थे। मैंने मुंबई की लोकल ट्रेन में खूब सफर किया है, क्योंकि शुरुआती दिनों में मैं रिक्शा और टैक्सी के खर्चे अफोर्ड नहीं कर सकता था और इस वजह से मैं बस और ट्रेन में ही चक्कर काटता था। उन दिनों वैसे खर्चे कुछ खास नहीं होते थे और मैं तो वैसे भी बाहर खाना खाता नही था। मैं बहुत कम से कम बजट में मेंटेन करता था। रहने और खाने के अलावा पैसे जोड़ कर ऑडिशन देने जाना बस एक यही खर्चा था'।

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करन मेहरा ने आगे कहा, 'आज मैं इस मुकाम पर अपनी मेहनत के बल पर पहुंचा हूं। लेकिन ऐसा नही है कि स्ट्रगल अब खत्म हो गया है, क्योंकि अब एक अलग तरह का स्ट्रगल है अब एक एक्टर के तौर पर चैलेंजेस होते हैं। वैसे भी इंसान की लाइफ में स्ट्रगल कभी खत्म नहीं होता। लेकिन मैं खुश हूं कि काम के मामले में मेरे पास अच्छे प्रोजेक्ट्स हैं । जल्द ही मेरे कई म्यूजिक वीडियो रिलीज होने वाले है।