Dark 7 White Review: सियासी दाव-पेंच, साजिशों, दरकते रिश्तों और रंजिशों का दिलचस्प खेल है 'डार्क 7 व्हाइट'
Dark 7 White Review बिच्छू का खेल के बाद इन ज़ी5 और ऑल्ट बालाजी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की नई साझा पेशकश डार्क 7 व्हाइट (Dark 7 White) है जो श्वेता बृजपुरिया के क्राइम-थ्रिलर अंग्रेज़ी नॉवेल डार्क व्हाइट का स्क्रीन अडेप्टेशन है।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:42 AM (IST)
मनोज वशिष्ठ, जेएनएन। सिनेमा हो या सीरीज़, निर्माताओं के लिए क्राइम, मनोरंजन की दुनिया में सबसे सुरक्षित जॉनर माना जाता है। मिर्ज़ापुर से लेकर सेक्रेड गेम्स और दिल्ली क्राइम की सफलता इस बात की तस्दीक करती है कि क्राइम पर आधारित कंटेंट निर्माताओं के बैंक बैलेंस को बिगड़ने नहीं देता। हां, कंटेंट की गुणवत्ता पर बहस हो सकती है। ज़ी5 और ऑल्ट बालाजी ने लोकप्रियता के इस फॉर्मूले को काफी पहले समझ लिया और एक के बाद एक क्राइम बेस्ड ड्रामा लेकर आ रहे हैं।
'बिच्छू का खेल' के बाद इन दोनों ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की नई साझा पेशकश 'डार्क 7 व्हाइट' (Dark 7 White) है, जो श्वेता बृजपुरिया के क्राइम-थ्रिलर अंग्रेज़ी नॉवेल 'डार्क व्हाइट' का स्क्रीन अडेप्टेशन है। कहानी एक युवा मुख्यमंत्री के क़त्ल की तफ़्तीश और सात संदिग्धों के इर्द-गिर्द घूमती है। इसीलिए सीरीज़ के शीर्षक में डार्क और व्हाइट के बीच 7 का अंक रखा गया है। 10 एपिसोड्स की सीरीज़ इन दोनों ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आज (24 नवम्बर) रिलीज़ हो गयी।
'डार्क 7 व्हाइट' सीरीज़ मूल रूप से एक मर्डर मिस्ट्री है, मगर कहानी में सियासी दाव-पेंच, साजिशें, दरकते रिश्ते और रंजिशें साथ-साथ चलते हैं। राजस्थान की शाही और सियासी पृष्ठभूमि में सेट इस सीरीज़ की शुरुआत युद्धवीर सिंह यानी यूडी (सुमीत व्यास) से होती है, जो सबसे कम उम्र का सीएम बन चुका है। युद्धवीर सिंह, राजस्थान के एक राजघराने से ताल्लुक रखता है। रगों में शाही ख़ून है, मगर देश में प्रजातंत्र ने ताक़त का वो एहसास छीन लिया है, जिसके बूते रजवाड़ों ने सदियों तक राज किया। इसी कसक के चलते ताक़त हासिल करना युद्धवीर की कमज़ोरी बन चुकी है। प्रजातंत्र में यह ताक़त कुर्सी से आती है। लिहाज़ा, सूबे की सत्ता के सबसे ऊंचे आसन पर बैठने का मंसूबा पाले वो तमाम साजिशें करता है।
अपनी गर्लफ्रेंड ताशी का क़त्ल करता है। सीएम भैरोंनाथ सिंह का विश्वास जीतने के लिए उनकी बेटी डेज़ी (निधि सिंह) को प्रेम जाल में फंसाता है, लेकिन जब सीएम की कुर्सी मिलती है तो ज़िंदगी ही साथ छोड़ देती है। हालांकि, वो यह कुर्सी चुनाव से हासिल नहीं करता, बल्कि इसके पीछे भी उसकी एक हैरान करने वाली साजिश है। बहरहाल, सीएम की कुर्सी पर बैठने से पहले ही उसका क़त्ल सरेराह उस समय कर दिया जाता है, जब वो अपने लाव-लश्कर के साथ सीएम पद की शपथ लेने जा रहा होता है। सीएम के क़त्ल की जांच एसीपी अभिमन्यु सिंह (जतिन सरना) द्वारा की जा रही है, जिसके रडार पर 7 लोग हैं।
ये सभी युद्धवीर के क़रीबी हैं और इनकी ही मदद से उसने 10 सालों के भीतर छात्र राजनीति से सूबे की सियासत तक कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ीं। ये सात लोग हैं- नीलाक्षी गर्ग उर्फ़ नीलू, जो युद्धवीर की कॉलेज टाइम की गर्लफ्रेंड है और जिसका इस्तेमाल वो अपनी के हिसाब से करता रहा है। दूसरा संदिग्ध है- योगेश कटारिया, जो छात्र राजनीति के दौरान युद्धवीर का प्रतिद्वंद्वी था, मगर बाद में उसके खेल का मोहरा बन गया।
तीसरा संदिग्ध है- कुश लाम्बा, जो योगेश का समलैंगिक प्रेमी है और ख़ुद को सीएम पद का दावेदार मानता है। चौथा सस्पेक्ट है- शशांक, जो युद्धवीर की दोस्त ग्रेश्मा का पति और वक़ील है। कॉलेज में यह भी युद्धवीर के साथ था। पांचवां सस्पेक्ट ग्रेश्मा है, जो अब एक चैनल की मालकिन बन चुकी है। छठा सस्पेक्ट धवल है, जो कॉलेज के वक़्त से युद्धवीर के साथ है और अब उसकी सुरक्षा का प्रमुख है। सातवां संदिग्ध, युद्धवीर के अपने दादा शमशेर सिंह हैं, जिनके साथ युद्धवीर की बिल्कुल नहीं बनती। युद्धवीर को मारने के इन सभी के पास अपनी-अपनी वजह हैं।
पहले ही एपिसोड में युद्धवीर की हत्या के बाद आगे की कहानी क़त्ल के इन्वेस्टिगेशन और अतीत की घटनाओं के साथ आगे बढ़ती है, जिन्हें युद्धवीर के वॉइस ओवर में ही बताया गया है। एसीपी अभिमन्यु की पूछताछ के दौरान भी अतीत की कुछ घटनाओं का खुलासा होता है। डार्क 7 व्हाइट' एक फास्ट पेस्ड मर्डर मिस्ट्री है, जो इस जोनर के चाहने वालों को पसंद आएगी। मगर, सीरीज़ की शुरुआत में ही एक साथ इतने किरदार आ जाते हैं कि पात्रों को एक-दूसरे से अलग रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
पांच एपिसोड्स पात्रों और कहानी में तालमेल बिठाने में बीत जाते हैं। छठे एपिसोड से चीज़ें साफ़ होती हैं और फिर कहानी में दिलचस्पी बढ़ती है। हालांकि, पूरी सीरीज़ में सुमीत व्यास और जतिन सरना छाये रहते हैं। अभिनय के लिहाज़ से भी इन दोनों के अलावा कोई और कलाकार प्रभाव नहीं छोड़ पाता। किरदारों के ज़रिए राजनीति के पुराने खांचों को तोड़ने और किरदारों को उबेर कूल दिखाने के फेर में लेखन में जमकर अंग्रेज़ी मिश्रित गालियों और कामुक दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, वैचारिक स्तर पर विरोधाभास की तस्वीर भी निकलकर आती है। पुरुष किरदारों के बीच समलैंगिकता को लेकर जहां अपराध बोध का भाव दिखाया गया है तो वहीं महिला किरदार ब्रा हवा में उछालकर अपनी उनमुक्त कामुकता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते।
मोहिंदर प्रताप सिंह और मयूरी रॉय चौधरी के स्क्रीनप्ले में रफ़्तार है। कहानी ज़रूर राजस्थान में दिखायी गयी है, मगर प्रांजल सक्सेना, शशांक कुंवर और स्नेहिल दीक्षित के संवादों में राजस्थानी भाषा का अपनापन ग़ायब है, बल्कि किरदारों को सुनकर ऐसा लगता है, जैसे वे किसी मेट्रोपॉलिटन में बसे हों। युद्धवीर के राजनीतिक ट्रांसफॉर्मेशन की बारीकियों पर निर्देशक सात्विक मोहंती ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया है।
10 साल की राजनीति करने के बाद भी युद्धवीर का अंदाज़ वही स्टूडेंट लीडर सरीखा रहता है। हालांकि, सुमीत व्यास ने अपने अभिनय से इस कमी को पाटने की पूरी कोशिश की है। वैसे अभिमन्यु सिंह को छोड़कर यह कमी सभी पात्रों के चित्रण में अखरती है। एकता कपूर के धारावाहिकों के किरदारों की तरह इस सीरीज़ के कैरेक्टर्स भी समय के प्रभाव से अछूते दिखते हैं। 'डार्क 7 व्हाइट' इसके सस्पेंस और आख़िरी एपिसोड्स में आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स के लिए देखी जा सकती है।
कलाकार- सुमीत व्यास, निधि सिंह, जतिन सरना, मोनिका चौधरी, तानिया कालरा आदि।निर्देशक- सात्विक मोहंतीनिर्माता- एकता कपूरवर्डिक्ट- *** (तीन स्टार)