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Ghost Stories Review: कई सालों के बाद देखने को मिलेगा हटकर हॉरर कंटेंट, सोचने पर मजबूर करेगी 'घोस्ट स्टोरीज़' की चारों कहानियां

Ghost Stories Review फ़िल्म देखकर लगता है कि आपने कोई पेटिंग देख ली है जिसका कैनवास पूरी तरह से ब्लैक। यह तस्वीर अच्छी है लेकिन समझ में नहीं आ रही है।

By Rajat SinghEdited By: Updated: Thu, 02 Jan 2020 03:35 PM (IST)
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Ghost Stories Review: कई सालों के बाद देखने को मिलेगा हटकर हॉरर कंटेंट, सोचने पर मजबूर करेगी 'घोस्ट स्टोरीज़' की चारों कहानियां
नई दिल्ली [रजत सिंह]। Ghost Stories Review: नेटफ्लिक्स की साल 2020 की पहली वेब फ़िल्म 'घोस्ट स्टोरीज़' रिलीज़ हो गई है। डर के साथ साल की शुरुआत करने की कोशिश के बीच कुछ अलग हटकर कंटेंट सामने आया है। इसे चार डायरेक्टर्स ने मिलकर बनाया है। ज़ोया अख्त़र, अनुराग कश्यप, दिबाकर बैनर्जी और करण जौहर। एक फ़िल्म है, चार कहानियां हैं और चार पार्ट। ऐसे में हम आपको अलग-अलग कहानियों के बारे में बताएंगे।

1. जोया अख्त़र- इस फ़िल्म की पहली कहानी को ज़ोया अख़्तर ने डायरेक्ट किया है। इसमें जाह्नवी कपूर और सुरेखा सीकरी अहम भूमिका में हैं। इसकी कहानी एक नर्स और पेशेंट की है। नर्स, जो अज़ीब से पेशेंट की सेवा कर रही है, जिसका बेटे उसे मरने के लिए छोड़कर जा चुका है। फ़िल्म का यह पार्ट काफी सरल है। डर के लिए साउंड की जगह सस्पेंस का इस्तेमाल किया गया है। जाह्ववी की एक्टिंग काफी शानदार है। हालांकि, सुरेखा ने भी कमाल किया है। इसकी सबसे ख़ास बात है कि इसमें डराने के लिए किसी भी वीभत्स सीन का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

2. अनुराग कश्यप- अनुराग कश्यप ने अपने ही स्टाइल में कहानी को बयां किया है। यह काफी कॉम्प्लिकेटेड है। इसमें शोभिता धुलिपाला, जेक्ररी ब्राज और एक कैमरा अहम भूमिका में हैं। इस पार्ट को देखकर डर से ज्यादा घिन आती है। इस पूरे पार्ट को कम लाइट और कलर में शूट किया गया है। कई बार ब्लैक एंड व्हाइट जैसा फ़ील आता है। इसमें शोभिता को न्यूड शूट किया गया, जिसमें कैमरे का शानदार इस्तेमाल किया गया है। एक सीन में मुख्य किरदार नेहा अपने भ्रूण को ही खा जाती है। एक्टिंग में शोभिता धुलिपाल ठीक-ठाक लगी हैं, जबकि बच्चे का किरदार निभाने वाले जेक्री ब्राज ने बाजी मारी है।

3. दिबाकर बैनर्जी- पूरी फ़िल्म का सबसे शानदार पार्ट दिबाकर बैनर्जी ने डायरेक्ट किया है। उनकी कहानी में दो बच्चे और जॉम्बीज़ शामिल हैं। आप पहली बार ऐसे जॉम्बीज़ देखेंगे। सुकांत गोयल और आदित्य शेट्टी ने कमाल की एक्टिंग की है। इसमें डर के साथ उस भय का भी अहसास होता, जो आपके आस-पास चल रहा है। इस पार्ट में एक डायलॉग है, 'वे खा गए सबको', जो कई मायनो में सही लगता है। भूख़ की जो कहानी इसमें दिखाई गई, वह काफी संवेदनशील है। यह कहानी डराती भी है, और इमोशनल भी करती है।

4.करण जौहर- करण जौहर ने एक बार फिर शानदार सेट दिखाने की कोशिश की है। कहानी में डर से ज्यादा किसी आदमी का पागलपन नजर आता है। इस पार्ट में करण जौहर ने उन सभी तकनीकों का इस्तेमाल किया है, जो डराने के लिए काम में लाए जाते रहे हैं। जैसे तेज आवाज़, किसी का अचानक से पीछे से आ जाना और एक इमोशनलेस चेहरे वाला किरदार। इस हिस्से में मृणाल ठाकुर और अविनाश तिवारी ने अहम किरदार निभाए हैं। अविनाश औसत नजर आए, तो मृणाल भी ख़ास इम्पैट नहीं छोड़ पाई हैं। यह फ़िल्म की सबसे कमजोर कड़ी नजर आती है।

डर से ज्यादा वीभत्सपूर्ण फ़िल्म

इस फ़िल्म में काफी कुछ है। यही इसकी कमजोरी है। इतना कंटेंट होने पर दर्शक थक जाता है। पार्ट में होने से फ्लो नहीं टूटता, पर समझने के लिए काफी दिमाग लगाना पड़ता है। हर कहानी के पीछे कुछ अलग एंगल दिखाया गया है। एक अलग किस्म का डर देखने को मिलता है। यह डर से कहीं ज्यादा वीभत्स है। फ़िल्म देखकर लगता है कि आपने कोई पेंटिंग देख ली है, जिसका कैनवास पूरी तरह से ब्लैक है। यह तस्वीर अच्छी है, लेकिन समझ में नहीं आ रही है। कुल मिलाकर यह एक बुरे सपने जैसा है, जहां आप फंसे हुए हैं।