Mirzapur में क्यों रखा गया था कालीन भैया का पत्नी बीना संग बेडरूम सीन? पंकज त्रिपाठी ने बताई सही वजह
मिर्जापुर के नए सीजन में पता चलेगा कि क्या कालीन भैया अपनी सत्ता वापस पा सकेंगे या गुड्डू पंडित को मिलेगी उनकी गद्दी? शो में हिंसा दिखाने व अपशब्दों के प्रयोग को लेकर सवाल तो खड़े हुए पर लोकप्रियता भी खूब मिली। कालीन भैया का पात्र निभाने वाले पंकज त्रिपाठी व गुड्डू पंडित बने अली फजल से शो को लेकर प्रियंका सिंह की बातचीत के अंश।
प्रियंका सिंह, मुंबई। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में कालीन के व्यवसाय की आड़ में मादक पदार्थों व हथियारों का गैरकानूनी धंधा चलाने वाले अखंडानंद त्रिपाठी को शहर कालीन भैया के नाम से जानता है। पिछले सीजन में उन्हीं की तरह गैरकानूनी हिंसा से उनके साम्राज्य का अंत करते दिखे गुड्डू पंडित। पेश है दोनों कलाकारों से बातचीत।
क्या कंटेंट और पात्र कलाकारों से बड़े हो गए हैं?
अली: हां, यह बात सही है। शो का जो कंटेंट है, उसके कारण कलाकारों का कद बढ़ा है। एक आत्मविश्वास आ जाता है कि यह तो हमने किया है। अब इसके साथ दूसरे कंटेंट में भी प्रयोग कर सकते हैं। मैं इस शो को अपने जीवन में स्तंभ की तरह देखता हूं। जो मुझे कुछ ना कुछ (प्रसिद्धि, पैसा) देता रहता है। हालांकि, इसके बाद दूसरा शो कर नहीं पाया हूं, क्योंकि यह बहुत वक्त और ऊर्जा ले लेता है।
पंकज: नि:संदेह कंटेंट बड़ा हो गया है। लोग पूछते रहते थे कि नया सीजन कब आ रहा, पर मेरे पास उत्तर नहीं होता था। हमें भी प्रदर्शन से एक हफ्ता पहले ही पता चलता है। फिर रणनीति बनानी पड़ती है। तारीख पता होने के बाद भी दर्शकों की जिज्ञासा बनाए रखना आवश्यक होता है। बीवी और बच्चों को भी बताने में झिझकते हैं कि कहीं कहानी लीक न हो जाए।
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कालीन भैया की गद्दी के लिए दावेदारी है, लेकिन क्या कभी पात्रों के लिए दावेदारी करनी पड़ी है?
पंकज: (हंसते हुए) जब घूम-घूमकर ऑडिशन देते थे तो वह दावेदारी ही तो थी। मैं अपनी तरफ से यही कहता था कि पात्र के लिए उपयुक्त हूं, लेकिन काम नहीं मिलता था। उस समय हमारी दावेदारी चलती नहीं थी।अली: अब सब कुछ गठबंधन वाला काम हो गया है। निर्देशक कलाकारों से इनपुट लेते हैं। हमारे सुझाव को ऊपर रखते हैं, उन पर अमल करते हैं, इन कारणों से दावेदारी अब नहीं करनी पड़ती है। शो में कई ऐसे दृश्य रखे गए हैं, जो पटकथा लेखन के समय नहीं सोचे गए थे।